डिजिटल इंडिया के लिए सरकारी एप के निर्यात की तैयारी
सरकार का इरादा इन एप्लिकेशन्स को सॉफ्टवेयर प्रोडक्ट के तौर पर डेवलप कर उन्हें विदेशी बाजारों में निर्यात करने का है
नई दिल्ली (जेएनएन)। डिजिटल इंडिया का लक्ष्य हासिल करने के लिए तैयार हो रहे सरकारी सेवाओं के मोबाइल एप की संभावनाएं सॉफ्टवेयर प्रोडक्ट के तौर पर भी देखी जा रही हैं। सरकार का इरादा इन एप्लिकेशन्स को सॉफ्टवेयर प्रोडक्ट के तौर पर डेवलप कर उन्हें विदेशी बाजारों में निर्यात करने का है। ऐसा करके सरकार देश में विकसित एप्लिकेशन्स को एक ब्रांड के तौर पर प्रस्तुत करेगी।
सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक देश को डिजिटल बनाने के लिए घरेलू स्तर पर कई एप्लिकेशन्स डेवलप किए गए हैं। सरकारी सेवाओं के डिजिटलीकरण के लिए इनका इस्तेमाल हो रहा है। इन एप्स का इस्तेमाल कॉमन सर्विस सेंटरों में बड़े पैमाने पर हो रहा है। इसी तरह डिजिटल भुगतान के लिए यूपीआई और भीम जैसे एप विकसित किए गए हैं। सरकार इन एप्लिकेशन्स को भारतीय ब्रांड के तौर पर विकसित करना चाहती है।सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के अधीन आने वाले सॉफ्टवेयर टेक्नोलॉजी पार्क्स ऑफ इंडिया (एसटीपीआई) के महानिदेशक डॉ. ओमकार राय के मुताबिक ऐसे एप्लिकेशन्स को एक प्रोडक्ट का स्वरूप देने की कोशिश हो रही है। इन सॉफ्टवेयर उत्पादों की अफ्रीकी, आसियान और अन्य विकासशील देशों में संभावनाएं तलाशी जा सकती हैं। ई-गॉव के तहत विकसित की गई सेवाओं के इन एप्लिकेशन्स की इन बाजारों में काफी मांग हो सकती है।
यही वजह है कि देश में सॉफ्टवेयर प्रोडक्ट्स पर एक राष्ट्रीय नीति की जरूरत महसूस की जा रही है। इसके लिए तैयार एक मसौदे में इस नीति के जरिये सरकार और उद्योग जगत मिलकर देश में मजबूत सॉफ्टवेयर इंडस्ट्री की नींव रख सकते हैं। देश को आईटी में सर्विस सेक्टर के साथ-साथ सॉफ्टवेयर प्रोडक्ट हब के रूप में भी विकसित किया जा सकता है। सूत्र बताते हैं कि ऐसा समन्वय बिठाने के लिए जल्दी ही आईटी सेक्टर के स्टार्टअप और उद्योगों के साथ एक बैठक का प्रस्ताव भी मंत्रालय ने किया है। यह बैठक जल्दी ही होने की संभावना है।
नीति के मसौदे के मुताबिक वैश्विक स्तर पर सॉफ्टवेयर प्रोडक्ट इंडस्ट्री का आकार करीब 411 अरब डॉलर का है। इसके 2025 तक एक लाख करोड़ डॉलर तक पहुंचने का अनुमान है। भारतीय सॉफ्टवेयर प्रोडक्ट इंडस्ट्री का आकार 143 अरब डॉलर का है जिसके 2025 तक 350 अरब डॉलर तक पहुंचने का अनुमान जताया गया है।
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