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स्मार्टफोन की स्पेसिफिकेशन्स के बारे में जानें बड़े काम की यह 10 बड़ी बातें

इस आर्टिकल में जानें स्मार्टफोन के स्पेसिफिकेशन और टर्म्स जो हर स्मार्टफोन लवर को पता होने चाहिए

By Ankit DubeyEdited By: Updated: Tue, 25 Jul 2017 12:00 PM (IST)
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स्मार्टफोन की स्पेसिफिकेशन्स के बारे में जानें बड़े काम की यह 10 बड़ी बातें

नई दिल्ली (जेएनएन)। जब हम बाजार में स्मार्टफोन खरीदने जाते हैं तो दिमाग में हमारे कई सवाल दौड़ने लगते हैं। बैटरी लाइफ कितनी है? स्क्रीन कैसी है? मल्टीटास्किंग कितनी अच्छी तरह संभाल सकता है? डिवाइस इस समय काफी जटिल हो गए हैं। तकनीकी टर्म्स और शब्दजाल ऐसे हो दए हैं जो हमारे बीच बैठे विशेषज्ञों को भी पीछे छोड़ देता है। मोबाइल बाजार बिजली की गति के साथ बढ़ रहा है इसमें हर दिन नई स्पेसिफिकेशन और टर्म्स देखने को मिल रहे हैं। ऐसे में जागरण टेक ज्ञान आपको अपने इस आर्टिकल में बताने जा रहा है स्मार्टफोन के स्पेसिफिकेशन और टर्म्स जो हर स्मार्टफोन लवर को पता होने चाहिए।

1. प्रोसेसर

यह स्पेसिफिकेशन आप हर स्मार्टफोन में देखते होंगे यह फोन के परफोर्मेंस पर निर्भर करता है। प्रोसेसर हर स्मार्टफोन का दिल और आत्मा दोनों होती है। तरह-तरह के प्रोसेसर स्पीड के जरिए मापे जाते हैं जो कि गीगाहर्ट्स के तौर पर अभिव्यक्त होते हैं। आज दे दौर में मॉडर्न प्रोसेसर मल्टीपल कोरेस से बन रहे हैं जो एक इंडीविडुअल प्रोसेसिंग यूनिट है और अलग-अलग कार्यों को सभालने में सक्षम रहती है। ड्यूटी को कोरेस में बांटा जा सकता है जैसे पैरेलेल कंप्यूटिंग के लिए अनुमति और तेज आउटपुट देना शामिल है। विशेष रूप से स्मार्टफोन और अन्य मोबाइल उपकरणों के लिए प्रोसेसर्स को "सिस्टम-ऑन-चिप्स" या "चिपसेट्स" कहा जाता है क्योंकि वे आम तौर पर एक एकीकृत सर्किट पर कई घटकों का कलेक्शन करते हैं, जैसे कि रेडियो पर कॉल और डेटा और साथ ही ग्राफिक्स प्रोसेसिंग यूनिट को शामिल करना।

मैन्युफैक्चर्स और ब्रांड्स (जैसे क्वालकॉम, मीडियाटेक आदि)
दुनियाभर में कुछ कंपनियां है जो स्मार्टफोन्स के लिए प्रोसेसर बनाती हैं। इनमें से क्वालकॉम एक बड़ी कंपनी है जो स्नैपड्रैगन सीरीज को संभाल रही है। ज्यादा तर एंड्रायड डिवाइस में स्नैपड्रैगन चिपसेट का इस्तेमाल किया गया है। क्वालकॉम ने अपनी यूनिट्स को चार हिस्सों: 200, 400, 600 और 800 क्लास में बांटा हुआ है। इसमें जितना नंबर ज्यादा होगा वह प्रोसेसर सबसे तेज होगा। अगर आप स्नैपड्रैगन 835 प्रोसेसर वाला फोन खरीदते हैं तो वह इस क्वाकॉम टॉप ऑफ लाइन प्रोसेसर सीरीज का सबसे बेहतर फोन होगा। वहीं स्नैपड्रैगन 435 इसका लोअर एंड चिपसेट माना जाता है।

एंड्रायड स्मार्टफोन्स में प्रोसेसर बनाने वाली मीडियाटेक दूसरी बड़ी कंपनी है। इस डिवाइस के चिपसेट ज्यादातर एशिया में देखे जाते हैं। अमेरिका और यूरोप में भी इसके कुछ प्रोडक्ट्स देखे जाते हैं। मीडिया टेक का हाईएंड प्रोसेसर हीलियो X सीरीज के नाम से है। वहीं हीलियो P सीरीज सबसे निचले स्थान पर। इसके साथ ही मीडियाटेक के शुरुआत वाली कुछ MT67 और ज्यादा पावरफुल प्रोसेसर के रूप में MT6753 आउटक्लास MT6738 शामिल हैं।

कुछ कंपनियां ऐसी भी हैं जो खुद भी प्रोसेसर बनाती हैं। जैसे हुआवे किरिन ब्रांड के लिए, दिग्गज कंपनियां सैमसंग और एप्पल भी अपने प्रोडक्ट्स के लिए एक्सक्लूजिव चिपसेट तैयार करते हैं। सैमसंग प्रोसेसर 'Exynos' और एप्पल ने 'A' नाम से सीरीज तैयार की है। एप्पल के स्मार्टफोन्स में A8 के बाद A10 सबसे ज्यादा परफोर्मेंस वाली चिपसेट है। इसके साथ ही कंपनी ने A सीरीज में X सीरीज भी जोड़ी है जैसे A10X और A9X, यह सभी प्रोसेसर आईपेड के लिए इस्तेमाल किए जाते हैं।

दुनिया के तीन हाई एंड फोन्स के बारे में बात करें तो इनकी परफोर्मेंस लगभग सिमिलर है लेकिन इनमें प्रोसेसर अलग-अलग दिए गए हैं। नॉर्थ अमेरिका के मॉडल्स में सैमसंग गैलेक्सी S8 में क्वाकॉम स्नैपड्रैग 835 और दुनिया भर में खुदका Exynos 8895 इस्तेमाल करता है। एप्पल के आईफोन 7 की बात करें तो इसमें A10 चिप लगाई गई है। वहीं मेजू प्रो 6 मीडियाटेक के हीलियो X25 प्रोसेसर का इस्तेमाल करता है।

3. GPU (ग्राफिक्स प्रोसेसिंग यूनिट)

मोबाइल प्रोसेसर हमेशा ग्राफिक प्रोसेसिंग यूनिट (GPU) के साथ पैक किया जाता है। GPU डिवाइस में हमेशा विजुअल आउटपुट पर निर्भर होता है, खासकर जहां थ्री-डाइमेंशनल इमेज की बात है। यह आम तौर पर हाइ ग्राफिक के वीडियो गेम्स खेलने पर इस्तेमाल किया जाता है। या फिर उन रियलिटी एगमेंट्स एप्लिकेशन्स के इस्तेमाल में जहां अपने कैमरे से लेकर कम्प्यूटर द्वारा खींचीं गई वस्तुओं और इफेक्ट्स देखें जाते हैं।

4. मेमोरी

स्मार्टफोन स्पेसिफिकेशन में मेमोरी दो तरीके की होती है। एक रैंडम एक्सेस मेमोरी (RAM) और रीड ऑनली मेमोरी (ROM)

- रैंडम एक्सेस मेमोरी (RAM)
रैंडम एक्सेस मेमोरी एक्टिव ऑपरेशन और प्रोग्राम को स्टोर करने के लिए इस्तेमाल होती है। जब आप किसी एप को लोड करते हैं और उसे क्लोज करते हैं फिर दूसरी एप पर जाते हैं। इसमें जो पहली एप है वो अपने रैम डिवाइस में स्टोर हो जाती है। मतलब अगर आप वापस आते हैं तो जो कन्टेंट लोड रहता है उसे रैम की सहयता से आसानी से फिर से इस्तेमाल कर सकते हैं। ज्यादा रैम की जरूरत इसलिए पड़ती है क्योंकि आपको एक साथ मल्टी टास्किंग काम करना होता है।

ज्यादा तर मॉडर्न फोन्स 2 या 3 गीगाबाइट (GB) रैम के साथ बाजार में उपलब्ध हैं। 3GB नॉर्मल और हाई-एंड फोन्स के लिए कम से कम 4GB रैम का इस्तेमाल किया जाता है।

- रीड ऑनली मेमोरी (ROM)
इसे इंटरनल स्टोरेज या फिर फ्लैश मेमोरी भी कहते हैं। यह आपके डिवाइस पर मीडिया और फाइल्स को स्टोर करने में सहायता करती है। अगर आप अपने फोन में कोई गाना डालते हो, या एप डाउलोड करते हो या फिर फोटो क्लिक करते हो तो वह सब ROM में सेव होती है। ज्यादा तर स्मार्टफोन्स कम से कम 16GB रैम के साथ उपलब्ध हैं वहीं ज्यादा स्पेस के लिए कुछ लोग 32GB का भी सहारा लेते हैं।

- माइक्रो SD कार्ड्स
इसे एक्सटर्नल स्टोरेज या फिर मेमोरी कार्ड के नाम से भी जाना जाता है। कई एंड्रायड फोन्स में माइक्रो SD कार्ड का स्लॉट भी दिया जाता है। इंटरनल स्टोरेज के साथ कई स्मार्टफोन्स में माइक्रो SD का स्लॉट देकर एक्सटर्नल स्टोरेज भी दी जाती है। माइक्रो SD कार्ड बाजार में 256GB तक उपलब्ध हैं।

5. डिसप्ले

डिसप्ले टेक्नोलॉजी हमेशा से चेंज होती आई है और इसके कई ऐसे कारक हैं जो फोन की स्क्रीन की क्वालिटी को प्रभावित करती हैं। मैन्युफैक्चर्स डिसप्ले बनाते समय हमेशा साइज, रिजोल्यूशन और कलर पर ज्यादा फोकस करते हैं। क्योंकि स्मार्टफोन में यह पहला ऐसा एलिमेंट है जिसपर लोगों का सबसे पहला ध्यान जाता है।

- रेजोल्यूशन
रेजोल्यूशन डिसप्ले में नंबर ऑफ पिक्सल्स को दर्शाता है। मॉडर्न डिसप्ले कई तरह मिलियन्स ऑफ पिकस्ल में लैस होती हैं और यह चौड़ाई और लंबाई में मापी जाती है जैसे लैंडस्केप फॉर्मेट पर 1920X1080 हाई रिजोल्यूशन के तौर पर रहता है।

कॉमन रिजोल्यूशन जैसे 1280X720 या 1920X1080 और 720p और 1080p के नाम से जाना जाता है। P को प्रोग्रेसिव स्केन के तौर प्रस्तुत किया जाता है। 720p रिजोल्यूशन हाई-डेफिनिशन (HD) और 1080p फुल हाई डेफिनिशन (FHD) के तौर पर जाना जाता है। कुछ समय पहले फोन में 1080p ही सबसे ज्यादा रिजोल्यूशन वाली स्क्रीन मानी जाती थी लेकिन अब कुछ मोबाइल्स में 2160X1440 वाली क्वाड हाई डेफिनिशन (QHD) पैनल्स वाली डिसप्ले भी आ रही हैं। यह 720p डिसप्ले से 4 गुना ज्यादा है। वहीं इसकी टॉप चेन में 4k वाली 3840X2160 वाली हाई रिजोल्यूशन डिसप्ले लगाई जा रही हैं जैसे गैलेक्सी एस8 और आईफोन 7 प्लस में दी जा रही हैं।

- एसपैक्ट रेश्यो
एसपैक्ट रेश्यो चौड़ाई और लंबाई पर निर्भर होती है। जैसे 16:9 और बड़े फॉर्मेट के लिए 18:9 दी जाती है। अब कुछ सालों से स्मार्टफोन बाजार चौड़ी स्क्रीन की तरफ रुख मोड़ रहा है। गैलेक्सी S8 और LG G6 में 18:9 वाली डिसप्ले दी गई है।

- डिसप्ले साइज और पिक्सल डेन्सिटी (PPI)
स्क्रीन का साइज विपरीत कोनों और तिरछा करके मापा जाता है। छोटी डिसप्ले में अगर बड़ी डिसप्ले के आधार पर रिजोल्यूशन देखी जाए तो छोटी डिसप्ले में बड़ी डिसप्ले के मुकबाले ज्यादा क्लियरिटी दिखेगी क्योंकि दोनों का रिजोल्यूशन एक ही होगा।

मैन्युफैक्चर्स हमेशा पिक्सल डेन्सिटी को पिक्सल पर इंच या फिर PPI के हिसाब से मापा जाता है। एप्पल के प्रोडक्ट्स में पिक्सल डेन्सिटी को काफी अच्छी तरीके से पेश किया जाता है। एप्पल के मुताबिक वह कई सालों से 300ppi डिसप्ले दे रहा है जिससे फेस से 10 इंच की दूरी पर भी ठीक से देख सकते हैं।

- डिसप्ले टेक्नोलॉजी (LCD और OLED)
स्मार्टफोन्स में दो तरीके की डिसप्ले टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल किया जाता है। लिक्विड क्रिस्टल डिसप्ले (LCD) और ऑर्गेनिक लाइट इमिटिंग डिकोड (OLED) का इस्तेमाल किया जाता है। LCD पैनल पूरे स्क्रीन के लिए एक बैक लाइट का उपयोग करती हैं। इसका मतलब है कि जब भी फोटो दिखाई गई है तो पिच काली होगी और बैकलाइट के जरिए रोशनी फिर से चमक उठेगी।

OLED डिसप्ले का इस्तेमाल ऑर्गेनिक मैटेरियल पर किया जाता है। जिससे पिक्सल्स पूरी तरह से ऑन या ऑफ हो सके। जब यह पूरी तरह बंद हो जाती है जीरो लाइट के साथ ट्रू ब्लैक दिखाई देती है। यानी कि यह बैटरी लाईफ के लिए बेहतर मानी जाती है।

6. बैटरी

बैटरी का साइज हमेशा मिलीएम्प आर्स (mAh) मे मापा जाता है। ज्यादा mAh की बैटरी स्मार्टफोन को एक बार चार्ज करने पर लंबे समय तक बैकअप देती है। यह स्मार्टफोन्स में कई वेरिएशन में आती हैं। साल 2007 में यह आईफोन में 1400mAh की बैटरी और अब आईफोन 7 प्लस पैक्स में यह डबल 2900mAh की बैटरी के साथ आ रहा है। दूसरे स्मार्टफोन्स सिर्फ बड़ी बैटरी की वजह से डिजाइन किए जाते हैं ताकि इनमें ज्यादा mAh की बैटरी आ सके जैसे लेनोवो ने मोटो ई4 प्लस को पेश किया है जिसमें 5000mAh की बैटरी दी गई है। अब कंपनियां कई स्मार्टफोन्स में फास्ट चार्जिंग बैटरी और वायरलेस चार्जिंग (Qi और PMA) भी बना रही हैं।

7. कैमरा

बाजार में सभी स्मार्टफोन निर्माता कंपनियां कैमरा पर ज्यादा ध्यान दे रही हैं क्योंकि हर कोई स्मार्टफोन खरीदते समय यह देखता है कि कैमरा कैसा है। कैमरे में मेगापिक्सल (MP), अपर्चर (f/), पिक्सल साइज (µm) और हाई डायनामिक रेंज (HDR) को सबसे ज्यादा ध्यान में रखा जाता है।

- डुअल कैमरा
डुअल कैमरा इस वक्त स्मार्टफोन बाजार में काफी ट्रेंडिंग में है। कई स्मार्टफोन इस पर काम कर रहे हैं। एप्पल आईफोन 7 प्लस भी टेलेफोटो लेंस के साथ डुअल कैमरा दे रहा है। ताकि ऑब्जेक्ट को क्लियर देखा जा सके। आईफोन 2X ऑप्टिकल जूम के साथ उपलब्ध है जिसकी मदद से बैकग्राउंड को आसानी से ब्लर किया जा सकता है।

8. ब्लूटूथ

यह वायरलेस डाटा ट्रांसमिशन के लिए एक प्रोटोकॉल है जो कि कम रेंज में आसानी से दूसरी डिवाइस को कनेक्ट किया जा सके। यह एक ऐसा प्लेटफॉर्म है जिसमें दूसरी डिवाइस को पेयर्स करके उसमें आउटपुट दे सकते हैं जैसे वायरलेस हैडफोन्स, स्पीकर या स्मार्टवॉच। ब्लूटूथ 5 इस टेक्नोलॉजी का लेटेस्ट वर्जन है।

9. डाटा (3G, LTE)

लॉन्ग टर्म इवोल्यूशन का मतलब LTE है जो वायरलेस स्टैंडर्ड फीचर है जिसकी मदद से फोन संचारित और डाटा प्राप्ट कर सकते हैं। मोबाइल में LTE नेटवर्क होता है जो डिवाइस को इंटरनेट से कनेक्ट करती है। LTE ने कई टेक्नोलॉजी बदला है जैसे HSPA+ (जिसे हम 4G भी कहते हैं) और एक साल पहले तक 3G और अब कंपनियां 5G पर अगला कदम उठाने जा रही हैं।

10. वाई-फाई

ज्यादातर यूजर्स वाई-फाई अपने घर या ऑफिर में वाई-फाई नेटवर्क का इस्तेमाल करते हैं जो कि मोबाइल कनेक्शन के बजाए एक स्थानीय इंटरनेट कनेक्शन के इस्तेमाल करने की अनुमति देता है।