नोटबंदी के बाद डिजिटल पेमेंट की संख्या में हुआ 4 गुना इजाफा, कैशलैस की तरफ बढ़ा देश
नोटबंदी के बाद से ही देश में कैशलैस भुगतान किए जाने लगे जिससे डिजिटल पेमेंट में 4 गुना का इजाफा हुआ है
नई दिल्ली (जेएनएन)। देश में नोटबंदी को 6 महीने पूरे होने जा रहे हैं लेकिन अभी भी इस मामले पर चर्चा जारी है। नोटबंदी के बाद हुए फायदे और नुकासन को लेकर अभी भी कई खबरें आ रही हैं। नोटबंदी के बाद देश में कैशलैस भुगतान की संख्या में इजाफा हुआ। जहां एक तरह कैश की परेशानी से लोगों को छुटकारा मिला वहीं, लोगों ने डिजिटल पेमेंट की तरफ कदम बढ़ाए। नोटबंदी के बाद से डिजिटल पेमेंट में 4 गुना का इजाफा हुआ है। इस बात की जानकारी भारतीय रिजर्व के आंकड़ों से मिली है। अगर आंकड़ों पर गौर किया जाए तो पिछले साल की तुलना में इस साल ऑनलाइन ट्रांजैक्शन में तीन गुना की बढ़ोतरी हुई है। जबकि वैल्यू में चार गुना बढ़ोतरी हुई है।
जनवरी 2017 में डेबिट कार्ड्स के जरिए 1 अरब बार से ज्यादा लेनदेन हुए। अगर पिछले साल के आंकड़ें देखें जाए तो इसी महीने 81.7 करोड़ बार ऑनलाइन ट्रांजैक्शन डेबिट कार्ड्स से हुए थे। जहां एक तरफ एटीएम से होने वाली संख्या 70 करोड़ के आसपास है। वहीं, प्वाइंट ऑफ सेल टर्मिनल के जरिए होने वाले लेन-देन में इजाफा हुआ है। देश में रिटेल प्वाइंट ऑफ सेल टर्मिनल्स लगाने वाली पाइनलैब्स के चीफ एग्जिक्यूटिव ऑफिसर लोकवीर कपूर ने कहा, “देश में फंड एक्सेप्टेंस इंफ्रास्ट्रक्चर में व्यापक विस्तार हुआ है। इसमें सबसे ज्यादा बढ़ोतरी नोटबंदी के बाद दर्ज हुई है। सरकार ने अलग-अलग तरह के कई कदम उठाए हैं, जिनके चलते प्वाइंट ऑफ सेल ट्रांजैक्शन में बढ़ोतरी होती रहेगी”।
पेमेंट सिस्टम्स को भी मिला बढ़ावा:
नोटबंदी के बाद से जहां लोग कार्ड्स से पेमेंट करने की तरफ आकर्षित हुए हैं वहीं, सरकार ने BHIM और UPI के जरिए ऑनलाइन ट्रांजैक्शन को बढ़ावा देने की पुरजोर कोशिश की है। दोनों में नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (NPCI) के इमीडिएट पेमेंट सर्विस (IMPS) नेटवर्क का इस्तेमाल होता है। अगर इनके आंकड़ों की बात करें तो मार्च 2017 में IMPS के जरिए 6.7 करोड़ ट्रांजैक्शन हुए जो पिछले साल के मुकाबले 160 फीसद ज्यादा हैं। वहीं, मार्च में IMPS ट्रांजैक्शन्स में BHIM और UPI का शेयर 64 लाख रहा। RBL बैंक की एग्जिक्यूटिव सुजाता मोहन के मुताबिक, “यूपीआई पर पीयर टु पीयर ट्रांजैक्शंस धीरे-धीरे बढ़ रहे हैं लेकिन बैंकों के यूपीआई एप्स के जरिए होने वाले ट्रांजैक्शन की संख्या में तेज उछाल होने की संभावना नजर नहीं आ रही है”।
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