भारत में 53 फीसद बच्चे होते हैं साइबर क्राइम का शिकार, अपने बच्चों को इस तरह करें सिक्योर
अगर शहरी इलाकों की बात करें तो यहां काफी बच्चे इंटरनेट का इस्तेमाल करते हैं। इनमें से कई बच्चों का पासवर्ड कमजोर होता है
नई दिल्ली (जेएनएन)। वर्तमान में इंटरनेट का उपयोग आम हो गया है। कई यूजर्स को सोशल नेटवर्किंग साइट्स पसंद हैं तो कई यूजर्स को इंटरनेट से अलग-अलग जानकारी प्राप्त करना पसंद होता है। शहरी समेत ग्रामीण इलाकों में इंटरनेट का उपयोग लगातार बढ़ रहा है। यूजर्स सोशल मीडिया साइट्स पर काफी एक्टिव रहने लगे हैं। इनमें से कई यूजर्स ऐसे हैं जो अपने अकाउंट का पासवर्ड काफी कमजोर रखते हैं, जिन्हें आसानी से हैक किया जा सकता है। अगर भारत के शहरी इलाकों की बात करें तो यहां काफी बच्चे इंटरनेट का इस्तेमाल करते हैं। इनमें से कई बच्चों का पासवर्ड कमजोर होता है, जिसके चलते उनके साइबर हैकर्स के जाल में फंसने की संभावना ज्यादा बढ़ जाती है। यह जानकारी एक सर्वे में सामने आई है।
सर्वे में कही गईं मुख्य बातें:
यह सर्वे टेलीनॉर इंडिया ने 13 शहरों के 2,700 छात्र-छात्राओं के साथ किया है। टेलीनॉर इंडिया की वेबवाइज रिपोर्ट के अनुसार, 98.8 फीसद शहरी बच्चे इंटरनेट का इस्तेमाल करते हैं। इनमें से 54.6 प्रतिशत बच्चों का इंटरनेट पासवर्ड काफी कमजोर होता है। इनके पासवर्ड में केवल शब्द और अंकों का इस्तेमाल किया जाता है। और तो और पासवर्ड्स 8 अक्षरों से कम भी होते हैं। इसके साथ ही 54.82 फीसद बच्चे अपने पासवर्ड को अपने दोस्तों के साथ भी शेयर करते हैं। आंकड़ों के अनुसार, भारत में 53 फीसद बच्चे साइबर क्राइम का शिकार होते हैं। इस रिपोर्ट के अनुसार, बच्चों में साइबर अपराध का शिकार होने का जोखिम और इसलिए भी बढ़ जाता है क्योंकि आंकड़ों के अनुसार 6 से 18 साल तक के बच्चे 83.5 प्रतिशत सोशल मीडिया पर सक्रिय हैं। सोशल मीडिया पर इतनी अधिक सक्रियता और छोटी उम्र में समझ न होने के कारण बच्चे साइबर अपराध के शिकंजे में फंस जाते हैं।
टेलीनॉर इण्डिया कम्युनिकेशन के चीफ एग्जीक्यूटिव ऑफिस ने एक स्टेटमेंट में कहा की भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा जनसंख्या वाला देश है। इसमें से अधिकतर यूजर्स, खासतौर से बच्चे कमजोर या आसान पासवर्ड की वजह से साइबर हमले का शिकार बन जाते हैं। एक अध्ययन में यह बात सामने आयी है की, आंकड़ों के अनुसार 5 प्रतिशत बच्चों ने कहा कि उनके अकाउंट को हैक किया गया, जबकि 15.74 प्रतिशत ने कहा कि उन्हें कई बार अनुचित प्रकार के मैसेज मिले हैं।
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