एप्पल सीईओ टीम कुक ने कहा iphone से बड़ा होगा Augmented Reality, जाने इसके बारे में विस्तार से
टिम कुक का ऐसा मानना है की आने वाले समय में ऑगमेंटेड रियलिटी स्मार्टफोन से भी ज्यादा क्रांति लाने में सक्षम है
नई दिल्ली। 2011 में एप्पल के चीफ एग्जीक्यूटिव बनने के बाद से टीम कुक ने नई टेक्नोलॉजी को लेकर काफी बात की है। इसमें ड्राइवरलेस कार, आर्टिफीसियल इंटेलिजेंस आदि शामिल हैं। लेकिन जिस तरह टीम कुक को ऑगमेंटेड रियलिटी ने आकर्षित किया है, ऐसे कोई अन्य टेक्नोलॉजी नहीं कर पायी। कुक का ऐसा मानना है की आने वाले समय में ऑगमेंटेड रियलिटी स्मार्टफोन से भी ज्यादा क्रांति लाने में सक्षम है। कुक के अनुसार, आने वाले समय में हम रोजाना ऑगमेंटेड रियलिटी का अनुभव करेंगे। ये हमारी जिंदगी में उतना ही जरुरी हो जाएगा, जितना दिन में तीन समय का खाना होता है। कुक के इस प्लान की ओर इन्वेस्टर्स की भी नजर है। जैसा की ब्लूमबर्ग द्वारा पहले भी रिपोर्ट बताया गया था कि एप्पल कई AR (Augmented Reality) प्रोडक्ट्स पर कार्य कर रहा है।
इससे पहले भी खबर थी की एप्पल लगातार ऑगमेंटेल और वर्चुअल रियलिटी क्षेत्र (एआर और वीआर) के विशेषज्ञों की भर्तियां कर रहा है। खबरों की माने तो इस मामले में कंपनी ने दो विशेषज्ञों की भर्तियां की थी, जिसमें जेयू ली, जिन्होंने एआर स्टार्टअप मैजिक लिप के साथ काम किया है और दूसरे यूरी पेट्रोव हैं, जिन्होंने ऑकूलस वीआर और फेसबुक के वीआर प्लेटफार्म पर काम किया है, शामिल हैं।
कुछ समय पहले एक तकनीकी वेबसाइट ने टिम कुक के हवाले से बताया, ‘‘वर्चुअल रियलिटी अथवा ऑगमेंटेंड रियल्टी का क्षेत्र बेहद बड़ा है।’’ एप्पल लगातार एआर और वीआर तकनीक में निवेश कर रहा है और कंपनी में सैकड़ों इंजीनियर इस पर काम कर रहे हैं। संभवत: एप्पल कोई हेडसेट बनाने पर काम कर रही है।
फेसबुक ने सोशल स्पेस में VR पर पहले से ही बड़ी योजनाएं बना रखी हैं। वहीं, गेमर्स के पास गेमिंग के लिए अलग-अलग VR हेडसेट्स के विकल्प मौजूद हैं। हालांकि, गूगल का ऑगमेंटेड रियलिटी को लेकर एक बिल्कुल अलग दृष्टिकोण है। वह अपना कार्डबोर्ड प्लेटफार्म लेकर आ चुका है।
ऑगमेंटेड रियलिटी का सबसे अच्छा अनुभव देने के लिए अब तक कोई उसके थोड़ा करीब पंहुचा भी है, तो वो है पोकेमोन गो के साथ Niantic, हालांकि यह भी AR का बहुत अच्छा उदाहरण नहीं है। AR में अभी बहुत कुछ ऐसा है, जिसे छुआ भी नहीं गया है। माइक्रोसॉफ्ट ने HoloLens के साथ इस क्षेत्र में अच्छा काम किया है। लेकिन यह डिवाइस बहुत महंगी है, जिससे इसका इस्तेमाल केवल सीमित डेवलपर्स ही कर पाते हैं।
ऑगमेंटेड रियलिटी के सच्चे ओर बढ़िया अनुभव के लिए, आपको 3D दुनिया को समझना आना चाहिए। इसी के साथ एक सॉफ्टवेयर की भी जरुरत होगी। इससे आप अपने आस पास की चीजों को एक अलग तरीके से देख पाएंगे। इसमें गैजेट की प्रोसेसिंग पावर भी अच्छी होनी चाहिए। इसके आलावा भी अभी इस क्षेत्र में बहुत सी चुनौतियां हैं। इस डिवाइस को कॉम्पैक्ट, बढ़िया बैटरी लाइफ और सबसे अधिक महत्वपूर्ण वांछनीय होना जरुरी है। यह सब इतना आसान भी नहीं है।
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