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जानिए, भारत में कितने लोग करते हैं कार्ड से पेमेंट, डिजिटल पेमेंट बढ़ाने के लिए क्या करना होगा

नोटेबंदी के बाद से भारत कितना डिजिटल हुआ है और आगे के लक्ष्य को सरकार किस तरह कर सकती है पूरा, पढ़ें व्यापारियों के प्रमुख संगठन कंफेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) का कहना

By Sakshi PandyaEdited By: Updated: Sat, 09 Sep 2017 01:53 PM (IST)
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जानिए, भारत में कितने लोग करते हैं कार्ड से पेमेंट, डिजिटल पेमेंट बढ़ाने के लिए क्या करना होगा

नई दिल्ली| भारत सरकार ने डिजिटल पेमेंट को प्रोत्साहन देने के लिए कई प्रोजेक्ट लॉन्च किए हैं। पर क्या सिर्फ सरकारी एप्स और क्षेत्रों में इसे बढ़ावा देने से लक्ष्य पूरा हो जाएगा? देश में फिलहाल डिजिटल ट्रांजैक्शंस की क्या स्थिति है और इसे किस तरह बेहतर किया जा सकता है? इस पर व्यापारियों के प्रमुख संगठन कंफेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने सम्मलेन किया| इस सम्मलेन में बताया गया की डिजिटल भुगतान को पूरे देश में किस तरह बढ़ावा दिया जा सकता है और सरकार के 2,500 करोड़ डिजिटल लेन-देन के लक्ष्य को कैसे पूरा किया जा सकता है|

क्या है देश में डिजिटल लेन-देन की वर्तमान स्तिथि

नोटबंदी के बाद से डेबिट कार्ड से होने वाले लेन-देन की संख्या जनवरी में 1 बिलियन के आंकड़े को पार कर गई। यह आंकड़ां बीते साल 817 मिलियन का रहा था। हालांकि एटीएम से होने वाले लेनदेन की संख्या लगभग 700 मिलियन पर स्थिर रही। डिजिटल पेमेंट के लिहाज से सबसे ज्यादा इजाफा पीओएस टर्मिनलों पर देखा गया है।

बीते साल के मुकाबले तीन गुना हुआ आंकड़ा:

अगर वाल्यूम की बात करें तो इस साल यानी जनवरी 2017 महीने में यह आंकड़ा 328 मिलियन तक पहुंच गया। जो कि बीते साल के जनवरी महीने में 109 मिलियन का रहा था। यह तीन गुना का इजाफा है। खुदरा टर्मिनलों के सबसे बड़े नियोक्ता में से एक पाइन लैब्स के चीफ एग्जीक्यूटिव ऑफिसर लोकवीर कपूर ने बताया, “देश के स्वीकृति बुनियादी ढांचे में काफी वृद्धि हुई है, जो कि कार्ड से लेन-देन की अनुमति देता है और जिसकी वजह से ही नोटबंदी के बाद इसमें अच्छा खासा इजाफा देखने को मिला है।”

कैट का क्या है कहना
व्यापारियों के प्रमुख संगठन कंफेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) का मानना है की सरकार को डिजिटल ट्रांजैक्शंस को बढ़ावा देने के लिए टैक्स छूट और अन्य लाभ प्रदान करने चाहिए| इससे ना केवल डेबिट/क्रेडिट कार्ड से ट्रांजैक्शन करने वालों को बल्कि जो दुकानदार डिजिटली पेमेंट ले रहे हैं , उन्हें भी प्रोत्साहन मिलेगा|

कैट के महासचिव प्रवीण खंडेलवाल ने सरकार के डिजिटल भुगतान को बढ़ाने की योजना का समर्थन किया| लेकिन साथ ही यह भी कहा की यह योजनाएं और प्रयास तभी सही मायने में सफल होंगे, जब उपभोक्ताओं से लेकर दुकानदारों तक को इससे लाभ होगा| खंडेलवाल ने कहा उपभोक्ताओं को कर छूट के साथ-साथ दुकानदारों को प्रोत्साहित करने के लिए अवार्ड योजना शुरू की जानी चाहिए|


क्रेडिट/ डेबिट कार्ड से पेमेंट पर कितना अतिरिक्त चार्ज
आज के समय में डेबिट या क्रेडिट कार्ड से पेमेंट करने पर टैक्स लगता है| क्रेडिट/डेबिट कार्ड से ट्रांजैक्शन करने पर 2 प्रतिशत का अतिरिक्त चार्ज लगता है| यह चार्ज दुकानदारों पर लगता है| लेकिन कई जगह इसे ग्राहकों से ही वसूल लिया जाता है| ऐसे में ना तो ग्राहक डिजिटल पेमेंट करना पसंद करते हैं और ना ही मर्चेंट अपने मार्जिन में से इस लागत का बोझ उठाना चाहते हैं|

सरकारी के साथ निजी क्षेत्र में भी सहयोग जरुरी
खंडेलवाल के अनुसार - नोटबंदी के बाद सरकार ने डिजिटल ट्रांजैक्शन को बढ़ावा देने के लिए ग्राहकों के लिए पुरुस्कार योजना शुरू की और करोड़ों के प्राइज भी बांटें| लेकिन यह केवल उन लोगों के लिए था जिन्होंने सरकारी एप भीम, यूपीआई आदि का प्रयोग किया| लेकिन अगर वास्तव में सरकार पूरे देश को डिजिटल बनाना चाहती है तो इस तरह की योजना पूरी डिजिटल प्रणाली में लागू करनी होगी|

POS मशीन की है जरुरत
संवाददाता सम्मलेन के दौरान दिल्ली व्यापार महासंघ के देवराज बावेजा ने कहा की पीओएस मशीन को और तेजी से लगाने की जरुरत है| फिलहाल देश में मौजूद पीओएस मशीन की संख्या करीब 25 लाख है| नोटेबंदी से पहले पीओएस मशीन का आंकड़ां 15 लाख का था|

डेबिट/क्रेडिट कार्ड के इस्तेमाल पर क्या कहते हैं आंकड़ें
कैट के अनुसार इस समय देश में 82 करोड़ डेबिट कार्ड और ढाई करोड़ क्रेडिट कार्ड का इस्तेमाल होता है। मगर इनमें से 95% डेबिट कार्ड का इस्तेमाल सिर्फ एटीएम से पैसा निकालने के लिए किया जाता है। ऐसे में डेबिट या क्रेडिट कार्ड से बिलों के भुगतान को प्रोत्साहन देने के लिए इन पर किसी तरह का बैंक शुल्क नहीं लगना चाहिए, तभी सरकार अपने डिजिटल भुगतान के लक्ष्य को हासिल कर पाएगी। 

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