कॉल ड्रॉप की समस्या से अभी भी जूझ रहे 60 फीसद यूजर्स: सर्वे
DoT के मुताबिक, कॉल ड्रॉप की समस्या बढ़ती ही जा रही है। वहीं, मोबाइल रेडिएशन की वजह से टॉवर लगाने की इजाजत नहीं दी जा रही है
नई दिल्ली (जेएनएन)। भारत में कॉल ड्रॉप की समस्या से करीब 60 फीसद लोग अभी भी जूझ रहे हैं। यह दावा डिपार्टमेंट ऑफ टेलिकॉम (DoT) ने किया है। DoT के मुताबिक, कॉल ड्रॉप की समस्या बढ़ती ही जा रही है। वहीं, मोबाइल रेडिएशन की वजह से टॉवर लगाने की इजाजत नहीं दी जा रही है। DoT ने एक सर्वे किया है, जिसमें करीब DoT 3.56 लाख लोगों ने भाग लिया है। इनमें से 2.15 लाख लोग कॉल ड्रॉप की समस्या से परेशान दिखे। यह आंकड़ा 60 फीसद यूजर्स का है। इन्होंने इस समस्या की शिकायत भी की है। DoT के मुताबिक, दिसंबर 2016 से मार्च 2017 के बीच कॉल ड्रॉप में 7 फीसद की कमी आई है। वहीं, बाकि के 87 फीसद सब्सक्राइबर इस सर्वे में शामिल नहीं हुए, इसके पीछे का कारण यह है कि या तो वो सर्वे में शामिल नहीं होना चाहते थे या फिर उन्हें कॉल ड्रॉप की समस्या ही नहीं थी।
इनडोर कॉल ड्रॉप्स की हैं ज्यादातर शिकायतें:
फीडबैक से पता चला है कि ज्यादातर शिकायतें इनडोर कॉल ड्रॉप्स की हैं। इस फीडबैक को दूरसंचार कंपनियों के साथ साझा किया गया है, जिससे इस मामले पर कड़ी कार्रवाई की जाए। वहीं, DoT ने उन सभी सब्सक्राइबर्स से संपर्क किया, जिन्हें कॉल ड्रॉप की समस्या थी। डिपार्टमेंट ने कहा, “आईवीआरएस प्लेटफॉर्म के जरिए मिले परिणामों और उस पर डिपार्टमेंट और टेलिकॉम सर्विस प्रोवाइडर्स की कोशिश उत्साह बढ़ाने वाली रही है। दिसंबर 2016 तक 64 फीसद सब्सक्राइबर्स ने कॉल ड्रॉप होने की शिकायत की थी, जो मार्च 2017 के अंत तक घटकर 57 फीसद पर आ गया। इस तरह तीन महीनों में कॉल ड्रॉप की शिकायतों में 7 फीसद प्वाइंट की गिरावट रही”।
यूजर्स को कॉल ड्रॉप की समस्या से निजात दिलाने के लिए दूरसंचार कंपनियों ने 987 नई साइट्स/बूस्टर्स लगाने का प्लान बनाया है। इनमें से अभी तक 109 साइट्स/बूस्टर्स लगाए जा चुके हैं। जिनमें से 11 एयरटेल के, 29 आइडिया के और 69 रिलायंस जियो के हैं।
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