Ransomware अटैक ने ग्लोबल वर्ल्ड का दिखाया डार्क साइड, क्या हैं कारगर उपाय
इस अटैक के कारण दुनिया के 150 से ज्यादा देशों में हॉस्पिटल, यूनिवर्सिटी, बैंक्स आदि के हजारों कंप्यूटर्स को अटैक किया गया
नई दिल्ली। हाल ही में हुआ रैनसमवेयर अटैक हमें दुनिया में एक-दूसरे से बढ़ते हुए कनेक्शन का नकारात्मक पहलू भी दिखाता है। हम एक ऐसे विश्व में रहते हैं जहां घर की लाइट जलाने के लिए हम स्मार्टफोन का प्रयोग कर सकते हैं। दुनिया में ऐसे फ्रिज भी मौजूद हैं जो अपने ग्रौसरीज का ऑर्डर भी खुद देते हैं। यह सभी काम कंप्यूटर नेटवर्क के जरिए हो पाते हैं। जहां ये कंप्यूटर नेटवर्क हमारी जिंदगी को आसान बनाने में सहायक रहे हैं वहीं, असुरक्षित नेटवर्क बिल्कुल इस तरह हो जाता है जैसे घूमने जाते वक्त अपने घर के दरवाजे को खुला छोड़ जाना। नेटवर्क तभी तक सुरक्षित रह सकते हैं जब तक आप पूरे ध्यान से उसे इस्तेमाल करें। इसलिए कहा जाता है कि पब्लिक वाई-फाई नेटवर्क साइबर क्राइम को बढ़ावा देते हैं। पिछले हफ्ते दुनिया में हुआ बड़ा रैनसमवेयर अटैक असुरक्षित नेटवर्क का उदाहरण है। इस अटैक के कारण दुनिया के 150 से ज्यादा देशों में हॉस्पिटल, यूनिवर्सिटी, बैंक्स आदि के हजारों कंप्यूटर्स को अटैक किया गया।
नेटवर्क के इस्तेमाल का ज्ञान जरुरी:
यह एक ऐसा वायरस है जिसमें हैकर्स बिट कॉइन्स की डिमांड कर हैक किए डाटा को वापस करते हैं। पिछले कई सालों से एक्सपर्ट्स ने नेटवर्क vulnerability को लेकर कई चेतावनियां दी हैं और इस घटना के बाद शायद अब समय है कि हम नेटवर्क और उसके इस्तेमाल को लेकर सजग हो जाएं। कई सरकारी और बिजनेस संगठन साइबर अटैक के खिलाफ कार्यवाही करने में असक्षम हैं या यूं कहा जा सकता है कि साइबर अटैक के खिलाफ उनका कोई ठोस प्लान नहीं है। कई संगठन तो आधारभूत अपडेट करने में भी असक्षम रहे हैं। हाल ही में हुई घटना में भी विंडोज के उन्हीं कंप्यूटर्स पर अटैक किया गया है जो अपडेट नहीं थे।
भविष्य के लिए बड़ा खतरा:
अभी तक Wannacry/रैनसमवेयर वायरस का फोकस यूरोप में ही रहा है। लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि अन्य देश इस अटैक से सुरक्षित हैं। आंकड़ों की मानें तो वर्ष 2016 में केवल Dallas में ही 10 मिलियन से ज्यादा मालवेयर अटैक किए गए थे। इस कड़ी में दूसरा नंबर Los Angeles का है। भविष्य के परिप्रेक्ष्य में देखा जाए तो इस तरह का वायरस अन्य देशों के लिए भी खतरनाक साबित हो सकता है। कुछ वर्षों पहले जहां रैनसमवेयर वायरस बहुत छोटी-सी बात थी वहीं, अब इसने बहुत विकराल रुप ले लिया है। यह इंटरनेट सुरक्षा के लिए एक बड़ा खतरा बन चुका है जो खुद में एक बिलियन डॉलर इंडस्ट्री है। 2015 में 4 मिलियन से अधिक ग्लोबल रैनसमवेयर अटैक किए गए हैं।
सावधान होने की जरुरत:
साइबर सुरक्षा की इस जंग में बचने के लिए कोई सीधा बचाव नहीं है। या इस तरह के वायरस से बचने के लिए किसी एक प्रोसेस को फॉलो नहीं किया जा सकता। लेकिन इस तरीके की घटना दोबारा न हो इसके लिए कुछ एहतियात जरूर बरते जा सकते हैं। इतनी तेजी से बढ़ते हुए एक-दूसरे से जुड़ते हुए विश्व ने जहां कुछ सकारात्मक बदलाव अपनाएं हैं। वहीं, उसके नए नकारात्मक पहलू भी हैं। लेकिन इस स्तर के अटैक से बचने के लिए सर्तकता को नकारा नहीं जा सकता।
कैसे करें खुद को प्रोटेक्ट?
1- लेटेस्ट सॉफ्टवेयर अपडेट्स रखें और सिक्योरिटी का ध्यान रहें।
2- अपने कंप्यूटर और ई-मेल्स को समय से स्कैन करते रहें।
3- एंटीवायरस का इस्तेमाल करें।
4- महत्वपूर्ण डाटा का बैकअप रखें।
5- किसी भी संदिग्ध लिंक और ई-मेल पर क्लिक न करें।
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