रिलायंस जियो के आने से दूसरी कंपनियों में नहीं पैदा होगा नौकरियों का संकट
सरकार के तीन वर्ष पूरे होने पर संचार मंत्रलय की उपलब्धियों की चर्चा के लिए आयोजित संवाददाता सम्मेलन में सिन्हा ने कहा कि दूरसंचार क्षेत्र एक खुला बाजार है
नई दिल्ली (जेएनएन)। रिलायंस जियो के प्रवेश से दूरसंचार क्षेत्र में मची उथल-पुथल कुछ दिनों में शांत हो जाएगी। इससे संचार उद्योग में नौकरियों के लिए कोई खतरा नहीं है। संचार मंत्री मनोज सिन्हा ने यह बात कही। सरकार के तीन वर्ष पूरे होने पर संचार मंत्रलय की उपलब्धियों की चर्चा के लिए आयोजित संवाददाता सम्मेलन में सिन्हा ने कहा कि दूरसंचार क्षेत्र एक खुला बाजार है। वर्ष 2003 में जब नई कंपनियों ने बाजार में प्रवेश किया था तो उस वक्त भी इसी तरह की खलबली मची थी। परंतु एक-दो साल में सब कुछ ठीक हो गया था। इसलिए मुङो नहीं लगता कि इस क्षेत्र में नौकरियों के लिए कोई खतरा है।
गौरतलब है कि पिछले साल सितंबर में रिलायंस जियो के बाजार में प्रवेश के बाद पहले से स्थापित एयरटेल, वोडाफोन और आईडिया सेल्युलर जैसी टेलिकॉम कंपनियों के कारोबार में गिरावट देखने में आ रही है क्योंकि रिलायंस जियो ने अपने ग्राहकों को अगले मार्च तक मुफ्त 4जी सेवाएं प्रदान करने के अलावा आजीवन मुफ्त वॉइस कॉल की सुविधा प्रदान की है। इस घमासान का फायदा ग्राहकों को मिला है क्योंकि मोबाइल डाटा की दरें जो एक साल पहले 200 रुपये प्रति जीबी थीं, अब घटकर मात्र 10 रुपये जीबी पर आ गई हैं।
पिछले वित्तीय वर्ष की अक्टूबर-दिसंबर की तिमाही में रिलायंस कम्यूनिकेशंस (आरकॉम) तथा आइडिया दोनों को घाटा हुआ। अब वोडाफोन और आइडिया दोनों ही आपस में विलय की प्रक्रिया से गुजर रहे हैं। जबकि सिस्टेमा श्याम तथा एयरसेल के मोबाइल व्यवसाय का विलय आरकॉम के साथ हो रहा है। समझा जाता है कि नुकसान के कारण आरकॉम और टाटा टेलीसर्विसेज ने अपने यहां 500-600 लोगों की छंटनी कर दी है।
भविष्य में टेलिकॉम उद्योग में और नौकरियां जाने के सवाल पर मनोज सिन्हा ने कहा, ‘दुनिया के ज्यादातर देशों में दो-तीन से ज्यादा मोबाइल कंपनियां नहीं हैं। इसलिए हमारे यहां भी 4-5 से ज्यादा कंपनियों के लिए बेहतर संभावनाएं नहीं है।’
सरकार का कामकाज पारदर्शी:
मनोज सिन्हा के अनुसार, ‘चाहे विदेशी निवेशक हों या देशी, सभी का मानना है कि यह सरकार पारदर्शी है। यदि आप इक्विटी प्रवाह को देखें तो 2013-14 के मुकाबले 2016-17 में यह चार गुना बढ़कर 556.40 करोड़ डॉलर पर पहुंच गया है।’
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