सैमसंग इंटल को पछाड़ बनी नंबर वन कंप्यूटर चिप्स बनाने वाली कंपनी
कंप्यूटर चिप्स बनाने के मामले में सैमसंग ने इंटल को पछाड़ दिया है और दुनिया की सबसे बड़ी कंपनी बन गई है
नई दिल्ली (जेएनएन)। दो दशकों से ज्यादा समय से सिलिकन आधारित सेमिकंडक्टर बनाने में सबसे आगे रहने वाले इंटल का आज अंतिम दिन है। ऐसा इसलिए क्योंकि साउथ कोरिएन दिग्गज इलेक्ट्रॉनिक कंपनी सैमसंग यूएस मैन्युफैक्चरर की दुनिया में कंप्यूटर चिप्स बनाने के मामले में पहले स्थान पर आ गई है। सैमसंग ने रिकॉर्ड-हाई तिमाही लाभ और बिक्री गुरुवार को बताई। विशलेषकों के मुकाबिक अप्रैल-जून की पहली तिमाही में सेमिकंडक्टर बानाने के मामले में सैमसंग ने इंटल को पीछे छोड़ दिया है। 21 वीं सदी की दुनिया में कंप्यूटर चिप्स जितनी ज्यादा तेजी से बढ़ रही हैं, उतनी ही ज्यादा 20 वीं सदी में कच्चा तेल दुनिया में उभर कर आया था।
इंटल और सैमसंग की तिमाही बिक्री:
सैमसंग के मुताबिक उसका सेमीकंडक्टर बिजनेस अप्रैल से जून अवधि में 8 ट्रिलियन (7.2 बिलियन डॉलर) ऑपरेटिंग इनकम और कुल राजस्व 17.6 ट्रिलियन (15.8 बिलियन डॉडल) राजस्व दर्ज किया गया है। वहीं इंटल अपने तिमाही नतीजो को बाद में बताता, लेकिन इससे पहले उसे तिमाही राजस्व में 14.4 बिलियन डॉलर की उम्मीद थी।
गैलेक्सी नोट 7 के चलते खानी पड़ी मार:
ब्रोकरेज और मार्केट रिसर्च फर्मों के विश्लेषकों के मुताबिक वार्षिक आधार पर सैमसंग के सेमीकंडक्टर डिवीजन को इस साल इंटेल की बिक्री से आगे निकलने की उम्मीद है। मोबाइल डिवाइस और डाटा के नाम से ही इंडस्ट्री में सैमसंग को जाना जाता है, लेकिन यह भ्रष्टाचार के आरोपो से इस वक्त भी जूझ रहा है क्योंकि इसके गैलेक्सी नोट 7 स्मार्टफोन में आग पकड़ने और फटने जैसी शिकायत आईं थी जिसके चलते इसे भारी मात्रा में कंपनी को रिकॉल करना पड़ा और भारी मात्रा में नुकसान झेलना पड़ा था।
कनेक्टेड डिवाइसेज में सैमसंग रहा सबसे आगे:
मैन्युफैक्चर्स छोटे मोबाइल गैजेट में ज्यादा से ज्यादा मैमोरी स्टोरेज कैपेसिटी दे रहे हैं। ताकि इनमें ज्यादा मोबाइल एप्लिकेशन का इस्तेमाल किया जा सके। इसके साथ ही क्लाउड कंप्यूटिंग सर्विसेज और कनेक्टेड डिवाइस की मांग हमेशा बाजार में रहती है और सैमसंग इन्हें लेकर बाजार में पहले से ही सबसे आगे रहा है। आपको बता दें एक दशक से ज्यादा सैमसंग और इंटेल दोनों ने अपनी सेमीकंडक्टर की कैटेगरी में बाजार पर बराबर शासन किया था।
यह भी पढ़ें:
भारत का पहला मोबाइल टिकटिंग सिस्टम अब मेट्रो में, जानें इसके बारे में