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ऑफलाइन VS ऑनलाइन रिटेल की बहस खत्म, अपनी रणनीति बदल रहे हैं स्मार्टफोन ब्रैंड

ऑनलाइन रिटेल में कारोबार करने वाली कंपनियां अब अपनी रणनीति में बदलाव की तैयारी कर रही हैं

By MMI TeamEdited By: Updated: Wed, 30 Aug 2017 07:00 AM (IST)
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ऑफलाइन VS ऑनलाइन रिटेल की बहस खत्म, अपनी रणनीति बदल रहे हैं स्मार्टफोन ब्रैंड

नई दिल्ली (जेएनएन)। चीनी स्मार्टफोन निर्माता कंपनियां कुछ साल पहले तक तेजी से बढ़ते भारतीय बाजार में प्रवेश करने के लिए खुदरा और वितरण क्षेत्रों में अवसरों की तलाश कर रही थीं। भारत भौगोलिक दृष्टि से बहुत ही विविध और घनी आबादी वाला एक बड़ा बाजार है।

साल 2014 में जब ई-कॉमर्स का बाजार देश में तेजी से बढ़ रहा था उस वक्त दो ब्रैंड ने भारत में स्मार्टफोन रिटेल मार्केट की तस्वीर बदलकर रख दी। तब से ऑनलाइन रिटेल तेजी से बढ़ता ही जा रहा है। साल 2014 की शुरुआत में जब मोटोरोला ने भारत में अपने मोटो जी के साथ वापसी की तब उसे फ्लिपकार्ट का साथ मिला जिसने न सिर्फ इस प्रोडक्ट की मार्केटिंग और रिटेलिंग की बल्कि इसने भारत में प्रोडक्ट्स को आयात भी किया। मोटोरोला को जो करना था वो कर चुका, लोग उसे भुला भी चुके और ऐसे में जब उसके पास खोने के लिए कुछ भी नहीं रहा, फ्लिपकार्ट ने उस पर एक बड़ा दांव खेला। उसने ब्रैंड की पुनरुत्थान (रीसर्जेंस) के लिए अपनी पूरी ताकत झोंक दी।

इसके कुछ महीनों बाद शाओमी ने इंडिया में दस्तक दी। यह ब्रैंड चाइना का ऑनलाइन चैंपियन रहा और उसने यही सफलता भारत में भी दोहराने की कोशिश की। खुदरा और वितरण चैनलों में निवेश करने के बजाय शाओमी डिवाइस विशेष रुप से फ्लिपकार्ट पर उपलब्ध थे। हालांकि, कंपनी जब खुद ही उपकरणों का आयात कर रही थी, उस वक्त फ्लिपकार्ट ने खुदरा का भी ख्याल रखा।

दो ब्रैंडों और उनके प्रारंभिक उत्पादों की प्रतिक्रिया, बताती है कि कैसे आने वाले वर्षों में स्मार्टफोन लॉन्च किए जाएंगे। मोटोरोला को यह महसूस हुआ कि वो अपने पैर जमा चुका है और वह लेनोवो के साथ तेजी से बढ़ रहा है। वहीं शाओमी ने मार्केट शेयर पर अपना कब्जा जमा लिया है। विशेषरुप से उनसे घरेलू मोबाइल फोन निर्माताओं को चोट पहुंचाई है। इसके साथ ही वो सैमसंग के बाद देश का दूसरा सबसे बड़ा स्मार्टफोन ब्रैंड बन चुका है।

ऑनलाइन चैनल की सफलता और एक ऑनलाइन रिटेलर के साथ विशिष्टता ने चीनी ब्रैंडों के लिए भारतीय स्मार्टफोन बाजार में उत्पादों की भरमार लाने का मौका दिया जिसमें कुछ में सफलता हाथ लगी तो कुछ में असफलता। चैनल डिस्ट्रीब्यूशन कॉस्ट में कमी के चलते स्मार्टफोन प्लेयर अपने प्रतिद्वंदियों के मुकाबले कम कीमत पर बेहतर फीचर वाले स्मार्टफोन लॉन्च करने में सक्षम हुए।

इस बीच हुआवे का सब ब्रैंड हॉनर भी ऑनलाइन ब्रैंड के रुप में उभरा। हुआवे कंज्यूमर बिजनेस ग्रुप में सेल्स डिपार्टमेंट के वाइस प्रेसिडेंट पी संजीव ने बताया की एक ही मंच के कारण दोनों ही पार्टी के लिए हमेश विन-विन की ही स्थिति रही है, जहां पर हॉनर और प्लेटफॉर्म ने मिलकर एक रणनीतिक साझेदार के रुप में काम किया।  इंडियन स्मार्टफोन मेकर ने भी इसका अनुसरण किया, माइक्रोमैक्स ने, उदाहरण के तौर पर अपना सब ब्रैंड वाईयू मोबाइल लॉन्च किया जिसने रिटेल मार्केट में एक्सक्लूसिवली परफॉर्म किया। जाहिर तौर पर खुदरा रणनीति पूरी तरह से ऑनलाइन है और इसे बेहतर और वैल्यू फॉर मनी प्रोडक्ट का समर्थन होना चाहिए।

वहीं दूसरी तरफ ऑफलाइन रिटेल मुश्किल है लेकिन फिर भी इसका महत्व है। ऐसे में जब ऑनलाइन अहम चैनल बना हुआ है स्मार्टफोन निर्माता यह बात अच्छे से समझ रहे हैं कि टिकाऊ बाजार हिस्सेदारी केवल ऑफलाइन माध्यम से ही संभव है। ओप्पो और वीवो जैसे ब्रैंड बाजार के बारे में एक अलग नजरिए से गहरी सोच रखते हैं। उन्होंने विपणन में भारी खर्च किया और पूरे देश में अपनी खुदरा उपस्थिति स्थापित की। एक पॉपुलर जोक है कि अगर आप स्पेस से भी देखेंगे तो आपको पूरे भारत में ओप्पो और वीवो के होर्डिंग पटे हुए दिख जाएंगे। एचएमडी ग्लोबल, जिसने कुछ महीने पहले भारत में नोकिया स्मार्टफोन की नई सीरीज लॉन्च की थी, वो एक बड़े ऑफलाइन अवसर की अनदेखी नहीं करना चाहता है और वह सभी चैनलों में अपनी उपस्थिति को सुनिश्चित करना चाहता है।

नोकिया देश में ऑफलाइन चैनल का दिग्गज खिलाड़ी है। उसका कहना है कि उनके पास साझेदारों का एक मजबूत आधार है, जिन्होंने वर्षों से हमारे साथ काम करना जारी रखा है। आज ऑफलाइन चैनल आपको वो स्केल और पहुंच उपलब्ध करवाता है जिसका कोई मुकाबला नहीं है। शायद यही कारण है कि अधिकांश ऑनलाइन ब्रैंड अब ग्रोथ के लिए ऑफलाइन चैनल में अपनी संभावनाएं तलाश रहे हैं।