एक ही स्मार्टफोन लंबे समय इस्तेमाल करने पर हो सकती है गंभीर बीमारी
अगर 10 साल तक एक ही स्मार्टफोन का इस्तेमाल करेंगे तो उससे निकलने वाले रेडिएशन से ब्रेन ट्यूमर हो सकता है
नई दिल्ली (जेएनएन)। तकनीक की बढ़ती दुनिया में स्मार्टफोन के बिना रह पाना कितना मुश्किल है यह तो आप भलि भांति समझते ही होंगे। रात में सोते ही और सुबह उठते ही आपका फोन अगर आपके पास ना हो तो एक अजब सी बेचेनी होने लगती है। स्मार्टफोन एक इंसान की लाइफ में जितना जरूरी होता जा रहा है उतना ही वह खतरनाक भी साबित हो सकता है। जी हां, AIIMS की ओर से किए गए विश्लेषण और अनुसंधान से पता चला है कि फोन के लंबे समय तक इस्तेमाल करने से इसमें से निकलने वाली रेडिएशन हमारे दिमाग में ट्यूमर पैदा कर सकती है।
कैसे बढ़ता है ब्रेन ट्यूमर का खतरा:
कई तरह की रिसर्च से सामने आया है कि मोबाइल फोन की रेडिएशन इंसान के लिए काफी हानिकारक है। हालांकि इन रिसर्च द्वारा किसी तरह का कोई निर्णायक रूप से जवाब नहीं मिला है। AIIMS की ओर से किए गए रेडिएशन पर विश्लेषण में पता चला है कि मोबाइल के लंबे इस्तेमाल से ब्रेन ट्यूमर का खतरा बढ़ जाता है। आपको बता दें इंडस्ट्री इस जोखिम को किसी तरह से कम भी नहीं कर सकती है।
क्या कहते हैं AIIMS के डॉक्टर:
इश शोध के लेखक और एम्स में न्यूरोलॉजी प्रमुख, डॉ कामेश्वर प्रसाद ने कहा, "हमें पता चला है कि इंडस्ट्री की ओर से फंड की गईं स्टडीज अच्छी क्वालिटी की नहीं हैं और यह जोखिम को भी कम आंकती है। सरकार की ओर से फंडेड स्टडीज में साफ दर्शाता है कि फोन के लंबे समय के इस्तेमाल से ब्रेन ट्यूमर का खतरा ज्यादा बढ़ता है।"
ब्रेन ट्यूमर का खतरा 1.33 गुना बढ़ा:
अध्ययन के आधार पर लंबे समय तक मोबाइल का इस्तेमाल 10 सालों के लिए है। डॉ. प्रसाद के मुताबिक इतने ज्यादा इस्तेमाल से ब्रेन ट्यूमर का खतरा 1.33 गुना बढ़ा है। अगर 100 लोग ब्रेन ट्यूमर से गुजर रहे हैं तो इस रेडिएशन के बढ़ने से यह संख्या 133 हो रही है।
ऐसी स्थिति में क्या करना चाहिए?
एम्स के न्यूरोलॉजिस्ट के मुताबिक रेडिएशन का खतरा कम करने के लिए हमेशा हैंड्स-फ्री सिस्टम (हेडफोन, हेडसेट) और कम पावर वाले ब्लूटूथ हेडफोन्स का इस्तेमाल करना चाहिए। बच्चों, किशोरों और गर्भवती महिलाओं को बिना हेडफोन्स के फोन पर काफी कम बात करनी चाहिए।