आने वाले समय में नहीं रहेंगे स्मार्टफोन, जानें क्या होगा उसकी जगह
इस पोस्ट में हम आपको तकनीकी क्षेत्र में हो रहे विकास के बारे में बताने जा रहे हैं
नई दिल्ली (जेएनएन)। अप्रैल से जून तक तकनीकी क्षेत्र की दिग्गज कंपनियां अपने मेगा-इवेंट्स का आयोजन करती हैं। इनमें वो अपने अगले 12 महीने यानि 1 साल के विजन के बारे में बात करती हैं। अप्रैल में फेसबुक ने अपने F8 कॉन्फ्रेंस का आयोजन किया था, जिसके बाद माइक्रोसॉफ्ट बिल्ड और गूगल ने I/O कॉन्फ्रेंस का आयोजन किया था। वहीं, इसका अंत एप्पल वर्ल्डवाइड डेवलपर कॉन्फ्रेंस से हुआ। वैसे तो अमेजन इस तरह के इवेंट की मेजबानी नहीं करता है लेकिन कंपनी ने इस बार अपने दो नए अमेजन ईको स्मार्ट स्पीकर्स पेश किए थे।
कई प्रोडक्टस किए जा सकते हैं लॉन्च:
इन सब के अलावा भी काफी कुछ है जो इस साल पेश किया जाएगा। खबरों की मानें तो एप्पल अपनी 10वीं सालगिरह पर एक नया आईफोन लॉन्च कर सकता है। वहीं, गूगल एक नया पिक्सल स्मार्टफोन और माइक्रोसॉफ्ट नया सर्फेस कंप्यूटर पेश कर सकता है। माइक्रोसॉफ्ट अक्टूबर के आखिरी में एक और इवेंट आयोजित करने की तैयारी में है। इस साल इन सभी कॉन्फ्रेंस के जरिए हमने तकनीक की दुनिया का भविष्य देखा है। और जल्द ही कंप्यूटिंग का अगला स्तर भी देखा जा सकता है।
नई तकनीक के रुप में उभर रही ऑगमेंटेड रिएलिटी:
एक तरफ जहां एप्पल और गूगल स्मार्टफोन बाजार पर हावी हैं। वहीं, टेक्नोलॉजी के लिए कई नए प्लेटफॉर्म्स लाए जा रहे हैं जिनमें ऑगमेंटेड रिएलिटी (AR) भी शामिल है। लेकिन इनमें फिलहाल कोई भी विजेता के तौर पर नहीं देखा जा सकता है। क्योंकि आजकल हर कंपनी ऑगमेंटेड रिएलिटी में हाथ आजमाने की कोशिश कर रही है। ऐसे में इनमें से किसी को भी फिलहाल बेहतर नहीं कहा जा सकता है। देखा जाए तो अमेजन और फेसबुक के पास अपना कोई भी मोबाइल प्लेटफॉर्म नहीं है। ऐसे में यह कंपनियां अलग-अलग तरह से ऑगमेंटेड रिएलिटी को पेश करने की कोशिश कर रही हैं जिससे ये भी रेस में बरकरार रहें। इसी तरह, माइक्रोसॉफ्ट भी तब तक पूरी तरह से स्मार्टफोन की क्षमता को नहीं पहचान पाई थी, जब तक गूगल और एप्पल ने उन्हें गलत साबित नहीं किया। इसी के चलते अब एंड्रायड दुनिया का सबसे लोकप्रिय ऑपरेटिंग सिस्टम बन गया है।
फिलहाल हम ऑगमेंटेड रिएलिटी और वर्चुअल रिएलिटी को बढ़ता हुआ देख रहे हैं जो डिजिटल दुनिया पर काम करते हैं। इन्हें स्मार्टफोन के लिए खतरा भी कहा जा सकता है। जैसे- अमेजन एलेक्सा डिजिटल वॉयस अस्सिटेंट है जो एक वर्चुअल व्यक्ति के तौर पर यूजर को टाइम या मौसम का हाल बताती है। यह ऑगमेंटेड रिएलिटी पर काम करती है। वहीं, माइक्रोसॉफ्ट का अपना hologram है जिसे ऑगमेंटेड रिएलिटी के तहत बनाया गया है। वहीं, फेसबुक और स्नैपचैट भी ऑगमेंटेड रिएलिटी की दुनिया में कदम रख चुके हैं।
देखा जाए तो जो पहले पीसी कर सकता था वो अब स्मार्टफोन कर सकता है। ऐसे में स्मार्टफोन निर्माता कंपनियों को रेस में रहने के लिए नई तकनीकों को ध्यान में रखकर ही डिवाइस का निर्माण करना होगा।
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