भारत में एप्पल के विस्तार की राह में रोड़ा बनेगी ट्राई की यह मोबाइल एप्लीकेशन!
भारत सरकार ने एंटी-स्पैम आईफोन एप फोन में सम्मिलित करने की बात कही थी। इस Do Not Disturb सॉफ्टवेयर प्रोग्राम के तहत यूजर्स स्पैम कॉल्स हुए टेक्स्ट मैसेज को एजेंसी से शेयर कर सकते हैं
नई दिल्ली(साक्षी पंड्या)। भारत सरकार ने हाल ही में एप्पल से अपने फोन में Do Not Disturb सॉफ्टवयेर इनस्टॉल करने की बात कही थी। इसकी प्रतिक्रिया में एप्पल ने इस तरह के किसी भी सॉफ्टवयेर को एप स्टोर में एड करने से इंकार कर दिया है। आपको बता दें, भारत सरकार ने एंटी-स्पैम आईफोन एप फोन में सम्मिलित करने की बात कही थी। इस Do Not Disturb सॉफ्टवेयर प्रोग्राम के तहत यूजर्स स्पैम कॉल्स, टेक्स्ट मैसेज को एजेंसी से शेयर कर सकते हैं। यह प्रोग्राम यूजर का डाटा इस्तेमाल कर के मोबाईल ऑपरेटर्स को स्पैमर्स को ब्लॉक करने के लिए अलर्ट करेगा। लेकिन एप्पल के अनुसार यह एप कंपनी की प्राइवेसी पॉलिसी का उलंघ्घन करती है।
साइबर लॉ एक्सपर्ट पवन दुग्गल से जब हमने इस बारे में बात की तो उन्होंने बताया की भारत सरकार यूजर्स की निजता और डाटा की सुरक्षा को लेकर सजग हो रही है| जैसा की कुछ समय पहले खबर आई थी की बाहर से आने वाले मोबाइल्स में बैकडोर से भारत के यूजर्स की जानकारी लीक हो रही है| ऐसे में भारतीय यूजर्स की जानकारी को सुरक्षित रखने के लिए कुछ कदम उठाना जरुरी हो गया है। इसके विपरीत एप्पल जैसी कंपनियां अपने यूजर्स की निजता का बहुत ख्याल रखती हैं। कंपनी की पॉलिसी के तहत वो किसी से भी यूजर की जानकारी शेयर नहीं करती और यही कारण है की एप्पल ने इस तरह की एप अपने फोन में प्री-इनस्टॉल करने से मना कर दिया|
लेकिन भारत सरकार द्वारा प्रस्तावित एप भी यूजर का डाटा एक्सेस कर पाएगी तो यूजर की निजता तो तब भी भंग होगी, इस प्रश्न का उत्तर देते हुए पवन दुग्गल ने बताया की पिछले महीने सरकार ने भले ही निजता को मौलिक अधिकार के रुप में स्वीकार कर लिया है। पर अभी भी इसके लिए किसी तरह के कानून नहीं बने हैं| तो यह जरुरी है की सरकार इसको लेकर नियम-कानून बनाए।
भारत में प्रभावित हो सकता है एप्पल का विस्तार:एप्पल का यह कदम उसे भारत में अपने प्रोडक्ट्स और कंपनी को बढ़ावा देने के बीच रोड़ा बन सकता है। एप्पल एक लम्बे समय से भारत में अपने बिजनेस को बढ़ाने में लगी है। कंपनी का लक्ष्य भारत में वर्ष 2020 तक 50 करोड़ स्मार्टफोन्स बेचने का है। इसके साथ ही कंपनी की भारत सरकार से देश में रिटेल स्टोर खोलने की बातचीत भी चल रही है। कंपनी ने सरकार से यूज्ड स्मार्टफोन बेचने के लिए देश में इम्पोर्ट करने की अनुमति भी मांगी है। एप्पल ने मैन्युफैक्चरिंग सुविधाएं सेट-अप करने के लिए भी टैक्स छूट समेत अन्य रिआयतों की भी मांग की है। लेकिन एप्पल की इस प्रतिक्रिया के बाद देश में कंपनी के विस्तार की योजना धीमी पड़ सकती है।
ट्राई ने कहा नहीं है प्राइवेसी पॉलिसी का उल्लंघन:
ट्राई के चेयरमैन राम सेवक शर्मा ने कहा, “कोई भी एप्पल को उसकी प्राइवेसी पॉलिसी का उल्लंघन करने के लिए नहीं कह रहा है। किसी भी कंपनी को यूजर डाटा का गार्जियन नहीं बनने दिया जा सकता।” कंपनी एक तरफ वर्ष 2020 तक भारत में 50 करोड़ हैंडसेट बेचने के बारे में और भारत में रिटेल स्टोर खोलने के बारे में सोच रही है। ऐसे में इस फैसले से भारत में एप्पल का विस्तार प्रभावित हो सकता है।
ट्राई ने यूजर्स के निजी डाटा और टेलिकम्युनिकेशन्स नेटवर्क के जरिए डाटा को शेयर किए जाने को लेकर पब्लिक और स्टेकहोल्डर्स को परामर्श पत्र भेजा था। ट्राई इनके जवाब का इंतजार कर रही है। यह प्रक्रिया सिंतबर तक खत्म हो सकती है जिसके बाद यूजर डाटा को लेकर नए नियम जारी किए जाने की उम्मीद है।
फेसबुक, गूगल समेत अन्य टेक कंपनियों पर पड़ सकता है असर:
किसी भी तरह के नए उपाय ना केवल एप्पल बल्कि फेसबुक, गूगल और अन्य टेक्नोलॉजी कंपनियों को भी प्रभावित कर सकते हैं। भारत का आधार आइडेंटिटी प्रोग्राम चलाने वाले नन्दन निलेकानी ने कहा की- “डाटा देश की रणनीतिक संपत्ति है और ऐसा पूरे विश्व में महसूस किया गया है की इससे जुडी पब्लिक पॉलिसी होना आवश्यक है।”
यह है एप्पल बनाम उसके अपने यूजर्स की लड़ाई:
याद दिला दें, पिछले वर्ष एप्पल ने भारत में 2.5 मिलियन फोन शिप किए थे। इस साल की शुरुआत में सप्लायर Wistron Corp. ने बैंगलुरु में सीमित मात्रा में आईफोन की असेम्बलिंग शुरू कर दी है। अभी तक भारत सरकार ने एप्पल के यूज्ड फोन इम्पोर्ट करने के प्रस्ताव को खारिज कर दिया है। कंपनी द्वारा की गई अन्य मांगों पर अभी सरकार का फैसला आना बाकी है।
शर्मा, जिसने पिछले वर्ष फेसबुक के फ्री बेसिक इंटरनेट के प्लान को बैन किया था, ने कहा की एप्पल के साथ कई मीटिंग करने के बाद भी अभी कोई परिणाम निकल कर नहीं आया है। जहां एप्पल की पॉलिसी यूजर डाटा को रणनीतिक साझेदारों से बांटने की अनुमति नहीं देती है। वहीं, भारत सरकार की Do Not Disturb एप को सिर्फ सीमित डाटा शेयरिंग की अनुमति चाहिए। एप्पल की पॉलिसी में किसी दूसरी इकाई से डाटा शेयर करने की अनुमति नहीं है। शर्मा के अनुसार- “यह बात रेगुलेटर बनाम एप्पल नहीं, बल्कि एप्पल बनाम उसके अपने यूजर की है।”
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