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ट्राई और इंटरनेट कॉल्स के बीच छिड़ी बहस, ट्राई ने जारी किया कंस्लटेशन पेपर

इंटरनेट का इस्तेमाल करके अलग-एलग एप्स के जरिए कॉल के बिजनेस को लेकर बहस छिड़ गई है। एक समय पर व्हाट्सएप, स्काइप और वाइबर कॉलिंग फीचर के चलते काफी लोकप्रिय हो चुके हैं

By Shilpa SrivastavaEdited By: Updated: Thu, 23 Jun 2016 06:00 PM (IST)

इंटरनेट का इस्तेमाल करके अलग-एलग एप्स के जरिए कॉल के बिजनेस को लेकर बहस छिड़ गई है। एक समय पर व्हाट्सएप, स्काइप और वाइबर कॉलिंग फीचर के चलते काफी लोकप्रिय हो चुके हैं। इसी के चलते ट्राई ने एक कंस्लटेशन पेपर जारी किया है जिसमें ये पूछा गया है कि इंटरनेट कॉल्स की सर्विस देने के लिए इनकी एंट्री फीस क्या है, कॉल टरमीनेशन चार्जेज क्या हैं, परर्फोमेंस बैंक गारंटी और फाइनेंशियल बैंक गारंटी कया है।। इस पेपर में ट्राई ने 21 अगस्त तक स्टेकहोल्डर्स का जवाब मांगा है और 4 अगस्त तक काउंटर जवाब मांगे हैं।

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टेलीकॉम सर्विस प्रोवाइडर्स खुद और OTT एप्स के बीच में बहस चाहते हैं जो कि उनके ही नेटवर्क्स पर काम करते हैं। जाहिर है कि OTT एप्स सर्विस प्रोवाइडर्स से सस्ते कॉल रेट्स प्रदान करती हैं। आपको बता दें कि वॉयस कॉल दो तरह से की जा सकती है एक इंटनेट की माध्यम से और दूसरा आपकी सिम से जो की आपके सर्विस प्रोवाइडर द्वारा दी जाती हैं जिन्हें VoIP कहा जाता है। ।

इस पेपर में सिक्योरिटी को लेकर भी सवाल पूछे गए हैं। इसमें पूछा गया है कि अगर इंटरनेट के माध्यम से किसी इमरजेंसी नंबर पर कॉल की जाती है तो क्या कॉल कर रहे व्यक्ति के लोकेशन की जानकारी पुलिस तक पहुंच सकती है या नहीं। अगर हां, तो ये कैसे संभव होगा।

क्या हैं OTT एप्स?

व्हाट्सएप, स्काइप, वाइबर, फेसटाइम जैसी सर्विस जिनसे इंटरनेट कॉलिंग की जा सकती है उन सभी को OTT एप्स कहते हैं।