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राहत और बचाव कार्यों में सशक्त संचार तंत्र पर ट्राई ने मांगे सुझाव

आपदाओं के मौके पर राहत एवं बचाव कार्यों के लिए सशक्त एवं निर्बाध संचार तंत्र की जरूरत पड़ती है। इसी के लिए ट्राई ने सुझाव मांगे हैं

By Shilpa SrivastavaEdited By: Updated: Wed, 11 Oct 2017 01:41 PM (IST)
राहत और बचाव कार्यों में सशक्त संचार तंत्र पर ट्राई ने मांगे सुझाव

नई दिल्ली (जेएनएन)। दूरसंचार नियामक ट्राई ने देश में भूकंप, सुनामी, बाढ़, भगदड़ व ट्रेन दुर्घटना जैसी बड़ी आपदाओं की स्थिति में राहत एवं बचाव कार्य के लिए प्रभावी एवं शक्तिशाली संचार तंत्र स्थापित करने पर संबंधित पक्षों से सुझाव मांगे हैं।

इसके लिए ट्राई की ओर से एक चर्चा प्रपत्र जारी किया गया है। इसमें कहा गया है कि देश को अक्सर आपदाओं का सामना करना पड़ता है। इनमें भूकंप, सुनामी, बाढ़, तूफान जैसी प्राकृतिक आपदाओं के अलावा ट्रेन दुघटनाओं जैसी मानवजनित आपदाएं शामिल हैं। आपदाओं के मौके पर राहत एवं बचाव कार्यों के लिए सशक्त एवं निर्बाध संचार तंत्र की जरूरत पड़ती है। लेकिन देखने में आता है कि ऐसे वक्त संचार तंत्र भी ध्वस्त या क्षतिग्रस्त हो जाता है। ऐसे संचार तंत्र की आवश्यकता है, जो इन हालात में भी काम करता रहे ताकि राहत एवं बचाव कार्यो को त्वरित ढंग से अंजाम दिया जा सके। अमेरिका की तरह भारत में भी ऐसा तंत्र स्थापित करने की जरूरत है।

ट्राई ने इस प्रकार के तंत्र को ‘अगली पीढ़ी का जन सुरक्षा एवं आपदा राहत संचार तंत्र’ अर्थात ‘नेक्स्ट जेनरेशन पब्लिक प्रोटेक्शन एंड डिसास्टर रिलीफ कम्यूनिकेशन नेटवर्क्स्’ (पीपीडीआर) की संज्ञा दी है।

ट्राई के मुताबिक पीपीडीआर में उपलब्धता, क्षमता, कवरेज, आसानी से लगाए जाने की सुविधा, एजेंसियों के बीच परस्पर संचार की सहूलियत, वायरलेस, 99.99 प्रतिशत कारगर, विश्वसनीय तथा हर परिस्थिति में कार्य करने की विशेषताएं होनी चाहिए। पीपीडीआर संचार नेटवर्क सामान्य मोबाइल संचार की भांति सीमित होने के बजाय सतत और सर्वव्यापी होता है। राहत व बचाव कार्यो के लिए इमारतों के मलबों और सुरंगों के भीतर तक तरंगें पहुंचनी चाहिए। यहां तक कि सीमा पार अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों से संपर्क की सुविधा भी इसमें शामिल है। पीपीडीआर संचार तंत्र ऐसा होना चाहिए कि आवश्यक सूचनाएं व डाटा प्रेषित कर सकें।

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