मोबाइल नंबर पोर्टेबिलिटी में अब नहीं होगी देरी, ट्राई ने नियम बदलने का रखा प्रस्ताव
यूजर्स को एमएनपी की प्रक्रिया में ज्यादा देरी का सामना नहीं करना पड़ेगा। ट्राई जल्द ही क्लियरिंग हाउस पेश करने वाला है
नई दिल्ली (जेएनएन)। मोबाइल नंबर पोर्टेबिलिटी के आवेदन खारिज होने से रोकने के लिए टेलिकॉम रेग्यूलेटर (Trai) ने इसके नियम बदलने का प्रस्ताव रखा है। नए प्रस्ताव में क्लियरिंग हाउस के योगदान को बढ़ाया जाएगा। क्लियरिंग हाउस में एमएनपी के लिए यूजर्स की पूरी जानकारी मौजूद होगी। मौजूदा समय में, अगर कोई यूजर किसी एक नेटवर्क से दूसरे नेटवर्क में स्विच करना चाहता है तो इसके लिए एक यूनिक पोर्टिंग कोड जनरेट होता है। लेकिन दूसरे नेटवर्क ऑपरेटर के पास यूजर की डिटेल्स (बकाया बिल, पोर्टिंग कोड की वैधता आदि) नहीं होती हैं। ट्राई के मुताबिक, सभी कैटेगरी में एमएनपी अस्वीकार होने की औसत दर 11.16 फीसद है जिसमें से 40 फीसद एमएनपी अनुरोध, कोड की समयसीमा खत्म होने या कोड मैच होने के चलते रद्द हुए हैं।
ऑपरेटर्स के पास सत्यता जांचने की व्यवस्था नहीं:
ट्राई ने ड्राफ्ट पेपर में कहा है, “मौजूदा समय में यूजर्स के कोड की समयसीमा और सत्यता जांचने की किसी भी ऑपरेटर के पास कोई व्यवस्था नहीं है। ऐसे में क्लियरिंग हाउस एक अहम कदम होगा। इसमें यूजर का ऑपरेटर (जिसके नेटवर्क से वो स्विच करना चाहता है) यूनिक पोर्टिंग कोड, कोड की समयसीमा समेत मोबाइल नंबर की जानकारी शामिल होगी। क्लियरिंग हाउस के जरिये एमएनपी आवेदन तुरंत स्वीकार या रद्द कर लिया जाएगा।”
क्लियरिंग हाउस देगा जानकारी:
ट्राई का मानना है, नई व्यवस्था में पुराना ऑपरेटर ग्राहक के नये ऑपरेटर को बकाया बिल से संबंधित जानकारी देगा। क्लियरिंग हाउस इस जानकारी को भविष्य के लिए संभालकर अपने पास रिकॉर्ड करेगा। ट्राई की नई व्यवस्था से एमएनपी प्रोसेसिंग समय पर पूरी हो सकेगी और आवेदन रद होने का अनुपात भी कम होगा। उसने एमएनपी के नये ड्राफ्ट पर 31 अगस्त तक सभी पक्षों और जनता से सुझाव मांगे हैं।
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