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आईफोन से उबर एप को हटाएगा एप्पल, डाटा चोरी होने के डर से लिया बड़ा फैसला

NYT की रिपोर्ट के मुताबिक एप्पल के सीईओ टिम कुक ने उबर के सीईओ ट्रैविस क्लानिक को एक मीटिंग के दौरान उबर एप को एप स्टोर से हटाने की धमकी दी थी

By Joyeeta BhattacharyaEdited By: Updated: Mon, 24 Apr 2017 04:39 PM (IST)
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आईफोन से उबर एप को हटाएगा एप्पल, डाटा चोरी होने के डर से लिया बड़ा फैसला

नई दिल्ली (जेएनएन)। दिग्गज आईफोन निर्माता कंपनी एप्पल ने अपने आइफोन से उबर एप को हटाने का फैसला किया हैं। न्यूयॉर्क टाइम्स की एक रिपोर्ट के अनुसार यह जानकारी सामने आई है। माना जा रहा है कि कंपनी ने यह फैसला प्राइवेसी के मद्देनजर उठाया है। जानकारी के मुताबिक उबर एप में एक ऐसी खामी है, जिसके जरिए आईफोन को ट्रैक किया जा सकता है। इसके जरिए आईफोन का सारा डाटा चुराया जा सकता है। इतना ही नहीं उबर एप को आईफोन से डिलीट करने के बावजूद उबर की तरफ से फोन को ट्रैक किया जा रहा था।

दरअसल यह मामला 2015 की शुरुआत का है। जिसमें में ये कहा जा रहा था कि आईफोन में से डाटा डिलीट करने के बावजूद उबर एप आईफोन को ट्रैक कर करने में सक्षम है। जिससे उबर ड्राइवर्स खोये हुए आईफोन को खरीद कर फिंगरप्रिंट के जरिये उसमें अपना अकाउंट बना लेते थे। जो कि एप्पल के सुरक्षा नियमों के खिलाफ है। इस धोखाधड़ी को रोकने के लिए एप्पल द्वारा यह कदम उठाया जा रहा है। जिसके बाद NYT की रिपोर्ट के मुताबिक, एप्पल के सीईओ टिम कुक ने उबर के सीईओ ट्रैविस क्लानिक को एक मीटिंग के दौरान उबर एप को एप स्टोर से हटाने की धमकी दी थी।

आईफोन को कैसे ट्रैक करती है एप?

जानकारी के मुताबिक, उबर फिंगरप्रिंटिंग के जरिए आईफोन को ट्रैक करती थी। इसके लिए डेवलपर्स को पहले एप्पल से Unique Device Identifier या UDID की मदद से यूजर्स को ट्रैक करने की अनुमति लेनी होती थी। जिसके जरिए उबर आईफोन को आसानी से ट्रैक कर पाता था। लेकिन कंपनी ने यूजर के सिक्योरिटी को ध्यान में रखते हुए 2013 को अपना UDID को दूसरे वेरिएंट से बदल दिया।

फिलहाल एप्पल की ओर से इस रिपोर्ट के ऊपर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी गई है। लेकिन उबर के प्रवक्ता ने एक स्टेटमेंट में कहा है, “हम एप डिलीट करने के बाद किसी यूजर की लोकेशन ट्रैक बिल्कुल नहीं करते। न्यू यॉर्क टाइम्स की स्टोरी में जो बात कही गई है वो फ्रॉड से बचने और चोरी हुए फोन में Uber एप इंस्टॉल करने से बचने के लिए ऐसा किया जाता है। ऐसी ही तकनीक संदेहास्पद यूजर्स के अकाउंट को डिटेक्ट करने और ब्लॉक करके यूजर्स के अकाउंट बचाने के लिए भी किया जाता है।”

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