नई तकनीक बताएगी कितनी बची है बीमार की जिंदगी
जर्नल साइंटिफिक रिपोर्ट के अनुसार, शोधकर्ताओं की टीम ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की मदद से 48 रोगियों के सीने की चिकित्सकीय छवियों का विश्लेषण किया
नई दिल्ली (जेएनएन)। शोधकर्ताओं ने ऐसी तकनीक ईजाद की है जो यह अनुमान लगा सकती है कि रोगी की कितनी जिंदगी बची है।आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस प्रोग्राम महज अंगों की छवि के विश्लेषण के आधार पर 69 फीसदी सटीक अनुमान लगा सकता है कि रोगी की कब मौत होगी।
ऑस्ट्रेलिया की एडिलेड यूनिवर्सिटी के रेडियोलाजिस्ट ल्यूक ओकडेन-रेनर ने कहा कि रोगी के भविष्य के बारे में पूर्वानुमान डॉक्टरों के लिए उपयोगी हो सकता है। इससे वे रोगी के उपचार को प्रभावी बनाने में सक्षम हो सकते हैं। जर्नल साइंटिफिक रिपोर्ट के अनुसार, शोधकर्ताओं की टीम ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की मदद से 48 रोगियों के सीने की चिकित्सकीय छवियों का विश्लेषण किया।
कंप्यूटर आधारित इस विश्लेषण में 69 फीसदी सटीकता के साथ यह अनुमान लगाया गया कि किस रोगी की पांच साल के अंदर मौत हो जाएगी। हालांकि शोधकर्ता यह सटीक पहचान नहीं कर सके कि कंप्यूटर सिस्टम ने अनुमान के लिए छवियों में किन चीजों पर गौर किया।
इसने एम्फिसीम और हार्ट फेल होने जैसे गंभीर मामलों में काफी हद तक सही अनुमान लगाया। शोधकर्ता अब इस तकनीक को दूसरी स्थितियों जैसे हार्ट अटैक में आजमाने की तैयारी कर रहे हैं। ओकडेन-रेनर ने कहा, "हमारे शोध से गंभीर रोगों की प्रारंभिक अवस्था में पहचान और उसके उपचार की राह आसान हो सकती है।"
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