कुआं में ऑक्सीजन कम होने से बनी मीथेन
जागरण संवाददाता, आगरा: कुआं खुला हुआ था, सीवेज से बनने वाली मीथेन गैस निकलती रहती है। ऐसे में अधिक म
By Edited By: Updated: Tue, 01 Dec 2015 12:55 AM (IST)
जागरण संवाददाता, आगरा: कुआं खुला हुआ था, सीवेज से बनने वाली मीथेन गैस निकलती रहती है। ऐसे में अधिक मात्रा में मीथेन कैसे बन गई, यह रहस्य बना हुआ है। विशेषज्ञों का कहना है कि कुआं में ऑक्सीजन की मात्रा कम होने और सीवेज के साथ एनीमल वेस्ट मिलने पर अधिक मात्रा में मीथेन बनने की आशंका है। इसमें कई तरह के बैक्टीरिया भी हो सकते हैं, इससे भी मीथेन की मात्रा बढ़ जाती है। कुआं में मीथेन सहित अन्य कार्बन गैसों की मात्रा इतनी अधिक थी कि आधे घंटे में गैसें बाहर निकल सकीं।
मोमबत्ती जला कर होती है जांच सीवेज टैंक में उतरने से पहले मोमबत्ती जलाकर देखी जाती है, यह बुझ जाए तो ऑक्सीजन नहीं है और जहरीली गैसें हैं। इसके बाद टैंक में नहीं उतरा जाता है। ----
कुआं खुला हुआ है अधिक मात्रा में मीथेन सहित अन्य गैस नहीं बन सकती हैं। यह कैसे हुआ, यह जांच से स्पष्ट हो सकेगा। पीके चौहान, चीफ इंजीनियर, जल निगम
सीवरेज के डिकम्पोज से कार्बन सहित अन्य गैसें निकलती हैं। ऐसे में ऑक्सीजन की कमी होने और कार्बन की मात्रा बढ़ जाने पर अधिक मात्रा में मीथेन बन सकती है। प्रोफेसर राजेश धाकरे, डीन रिसर्च अंबेडकर विवि मीथेन जहरीली गैस होती है, इसके संपर्क में आते ही आंखों से दिखाई नहीं देता है और मरीज मल्टी ऑर्गन फ्लेयर में आ जाता है। डॉ. अति हर्ष मोहन, आइसीयू स्पेशलिस्ट एसएन मेडिकल कॉलेज मीथेन और कार्बन मॉनोऑक्साइड की टॉक्सिन का कोई एंटी डॉट नहीं है। इन मरीजों में तेज प्रेशर से ऑक्सीजन दी जाती है। जिससे शरीर के विभिन्न अंगों को ऑक्सीजन मिल सके। डॉ. अजय अग्रवाल विभागाध्यक्ष फोरेंसिक विभाग एसएन मेडिकल कॉलेज
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