ये हैं 55 बेटियों के माता-पिता
जागरण संवाददाता, इलाहाबाद : सपने तो हर आंख में होते हैं, लेकिन चंद लोग ही उसे पूरा कर पाते हैं। कुछ
जागरण संवाददाता, इलाहाबाद : सपने तो हर आंख में होते हैं, लेकिन चंद लोग ही उसे पूरा कर पाते हैं। कुछ करने का इरादा और उसे अमल में लाने का साहस करने वाला व्यक्ति ही इतिहास के पन्नों पर दर्ज होता है। डॉ. अरुण प्रकाश और उनकी पत्नी मृदुला प्रकाश ने कुछ ऐसा ही जज्बा दिखाया और आधा दर्जन गांवों की झोली खुशियों से भर दी। कुछ साल पहले तक जिन गांवों में लड़कियों की किलकारी को अनसुना किया जाता था, आज वहां उनके लिए सम्मान का भाव है। डॉक्टर दंपती ने बेटियों को बचाने की न सिर्फ मुहिम छेड़कर लोगों को जागरूक किया, बल्कि स्वयं दांदूपुर, घूरपुर, चंपतपुर, पालपुर सहित आधा दर्जन गांव की 55 लड़कियों को गोद लेकर उनकी परवरिश भी कर रहे हैं। डॉ. दंपती इन छात्राओं की शिक्षा-दीक्षा की पूरी जिम्मेदारी अपने ऊपर ले रखी है।
डॉ. अरुण ने पत्नी के साथ मिलकर दांदूपुर में छोटे बच्चों के लिए अंग्रेजी माध्यम स्कूल की स्थापना की। इसके जरिए उन्होंने गांव की लड़कियों को शिक्षित करने के साथ मुफ्त कौशल विकास कार्यक्रम भी शुरू किया। जब नारियों के सम्मान से खिलवाड़ होता वह जान की परवाह किए बिना लड़ाई में कूद पड़ते। इसी कारण उन्हें 2003 में तत्कालीन राष्ट्रपति डॉक्टर एपीजे अब्दुल कलाम ने सर्वश्रेष्ठ प्रधानाचार्य के सम्मान से नवाजा।