टीइटी की बाध्यता के खिलाफ बीटीसी अभ्यर्थियों की अपील पर निर्णय सुरक्षित
By Edited By: Updated: Tue, 16 Oct 2012 08:28 PM (IST)
विधि संवाददाता, इलाहाबाद
बीटीसी व विशिष्ट बीटीसी अभ्यर्थियों को टीईटी से अलग रख सहायक अध्यापक के रूप में नियुक्ति की मांग में दाखिल याचिकाओं पर इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने अपना निर्णय सुरक्षित कर लिया है। यह आदेश न्यायमूर्ति अशोक भूषण तथा न्यायमूर्ति अभिनव उपाध्याय की खण्डपीठ ने प्रभाकर सिंह व अन्य की विशेष अपील पर दिया है। याचियों का कहना है कि वे 1981 की नियमावली के अंतर्गत सहायक अध्यापक के पद पर नियुक्ति की अर्हता रखते हैं। वर्ष 2007-2008 में विशिष्ट बीटीसी में चयनित उन अभ्यर्थियों को नियुक्ति दे दी गई जिन्होंने डायट से प्रशिक्षण कोर्स पूरा कर लिया था किंतु उसी चयन प्रक्रिया के अंतर्गत प्रशिक्षण के लिए चयनित अन्य अभ्यर्थियों को नियुक्ति नहीं दी गई क्योंकि इन्होंने बाद में प्रशिक्षण पूरा किया। याची का कहना है कि 2011 में नियमावली में संशोधन कर विज्ञापन के जरिए नियुक्ति की व्यवस्था दी गई है। वह अपीलार्थियों पर लागू नहीं होगी क्योंकि 1999 से 2011 तक सहायक अध्यापक पद पर बिना विज्ञापन के नियुक्ति की गई है। याचीगण 2011 से पहले सहायक अध्यापक पद पर नियुक्ति के लिए अर्ह थे जिसका लाभ उन्हें मिलना चाहिए। याचिका पर अधिवक्ता अशोक खरे, शैलेंद्र, क्षेत्रेश चंद्र शुक्ल, शशिनंदन आदि ने पक्ष रखा। राज्य सरकार के अपर महाधिवक्ता सीबी यादव का कहना था कि 2011 की नियमावली के अंतर्गत याचीगण अध्यापक नियुक्ति की अर्हता नहीं रखते। अब टीईटी करना अनिवार्य है। चयनित होने मात्र से किसी को नियुक्ति पाने का अधिकार नहीं मिल जाता। याचियों का चयन प्रशिक्षण के लिए हुआ था जो नियुक्ति प्रक्रिया का हिस्सा नहीं है। बिना टीईटी उत्तीर्ण किए याचियों की नियुक्ति की मांग सही नहीं है। याचिका का प्रतिवाद रिजवान अली अख्तर व राजीव जोशी ने किया।
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