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रेलवे ने ओवरब्रिज पर किए हाथ खड़े

By Edited By: Updated: Thu, 13 Mar 2014 12:05 AM (IST)
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बदायूं : रेलवे क्रासिंग पर शहर के ड्रीम प्रोजेक्ट ओवरब्रिज के निर्माण में बाधाएं दूर होने का नाम नहीं ले रही हैं। पहले बिजली और जल महकमे ने अड़चन पैदा की तो अब रेल विभाग के रवैये के कारण कार्य बाधित हो गया है। ताजा वजह यह कि पुल के लिए जब फाउंडेशन निर्माण का नंबर आया तो रेल महकमे ने हाथ खड़े कर अपने हिस्से का यह काम सेतु निगम के पाले में खिसका दिया। इससे संबंधित नक्शे भी निगम को सौंप दिए हैं। इसके चलते प्रोजेक्ट पर काम गति नहीं पकड़ पा रहा है।

जाम से निजात का प्रोजेक्ट

लंबे समय से शहर में जाम की समस्या से जूझ रहे लोगों को कुछ राहत नसीब कराने के इरादे से पिछले साल राज्य सरकार ने ओवरब्रिज निर्माण का प्रस्ताव पास कर इसका जिम्मा कार्यदायी संस्था राज्य सेतु निगम को सौंपा गया। सेतु निगम ने सर्वे कर ब्रिज का नक्शा तैयार किया। इसकी लंबाई 558 मीटर और चौड़ाई साढ़े आठ मीटर तय की गई। निर्माण पर आने वाली लागत 22 करोड़ 31 लाख की राशि भी शासन ने जारी कर दी। पूरा निर्माण कराने के लिए सेतु निगम ने डेढ़ साल का समय निर्धारित किया।

निर्माण के साथ शुरू हुई अड़चन

निर्माण की प्रक्रिया भी शुरू हो गई, लेकिन शुरुआत में ही बिजली महकमे ने अड़चनें पैदा कर दीं। ओवरब्रिज एरिया के बीच में लगे पोल बिजली विभाग ने हटाने में दिक्कते पेश कीं। इसके चलते काम प्रभावित होता रहा। दोनों महकमों के बीच तकरार लंबी खिची। तब डीएम के हस्तक्षेप के बाद ही बिजली विभाग ने अपने पोल हटाए। इसके बाद पिलर बनने का काम शुरू हुआ तो जल निगम ने बाधा खड़ी कर दी। उसने अपनी पाइप लाइनें बंद करने से इंकार कर दिया। हालांकि सप्ताह भर बाद पाइप लाइनों को बंद किया गया। तब जाकर काम आगे बढ़ा।

रेलवे की हीलाहवाली

रेल महकमा अपनी सीमा क्षेत्र में होने वाले दूसरे विभाग अथवा राज्य सरकार के काम भी निजी संस्था से ही कराता है। इसके लिए निर्धारित बजट राज्य सरकार को ही देना पड़ता है। ओवरब्रिज निर्माण का काम शुरू होने पर सेतु निगम ने रेलवे विभाग से रेल लाइन की सीमा में बनने वाली करीब 25 मीटर की फाउंडेशन का नक्शा मांगा। पहले तो वह नक्शे के नाम पर सेतु निगम को काफी समय तक लटकाए रहा। जब इस पर जोर दिया गया तो रेल महकमे ने फाउंडेशन बनावने से इंकार कर दिया। इसकी जिम्मेदारी सेतु निगम पर ही डाल दी। इससे संबंधित गार्डर और फाउंडेशन का नक्शा भी सेतु निगम को सौंप दिया।

सेतु निगम की मजबूरी

हालांकि अब सेतु निगम ही इसे तैयार कराएगा, लेकिन रेलवे की हीलाहवाली से इसमें समय काफी बर्बाद हुआ। सेतु निगम अधिकारियों का कहना है कि रेलवे अधिकारी पहले ही उनसे यह बात कह देते तो देरी नहीं होती। ब्रिज लगभग तैयार हो चुका होता। अब ऐन वक्त पर यह कहा गया है तो जल्द ही नक्शे को प्रमाणित कराकर वह काम शुरू कराएंगे। सेतु निगम अधिकारियों के मुताबिक अब जून तक ही ओवरब्रिज का निर्माण पूरा हो पाएगा।