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सीबीआइ ने मुख्य गवाह से फिर की पूछताछ

By Edited By: Updated: Fri, 04 Jul 2014 12:31 AM (IST)

जागरण संवाददाता, बदायूं : कटरा सआदतगंज कांड की जांच कर रही सीबीआइ की नजर अब मुख्य गवाह बाबूराम उर्फ नजरू पर टिक गई है। पूरे घटनाक्रम में नजरू ही एकमात्र ऐसा चश्मदीद है, जिसने किशोरियों को आखिरी बार आरोपी के साथ देखा था। सीबीआइ की ओर से जुटाए गए तमाम सुबूतों और बयानों से कुछ ऐसे सवाल उठ खड़े हुए हैं, जिनका जवाब मुख्य गवाह से ही चाहिए। गुरुवार को सीबीआइ टीम ने पिता व भाई के साथ नजरू को कैंप कार्यालय लाकर पूरे दिन पूछताछ करती रही। इसके अलावा किसान ग्रामीण कटरा सआदतगंज शाखा के प्रबंधक को भी कैंप कार्यालय बुलाकर अलग से बातचीत की।

गुरुवार को सीबीआइ की टीम प्रात: आठ बजे ही कटरा सआदतगंज पहुंच गई। वहां से मुख्य गवाह बाबूराम उर्फ नजरू व उनके पिता मोंगाराम तथा भाई वीरपाल को लेकर सीधे मंडी समिति गेस्ट हाऊस स्थित अपने कैंप कार्यालय लेकर आई। वहां दोपहर बाद करीब डेढ़ बजे तक तीनों से अलग-अलग पूछताछ चलती रही। इसी बीच सीबीआइ ने किसान ग्रामीण बैंक की कटरा सआदतगंज शाखा के प्रबंधक को भी कैंप कार्यालय बुलाकर बातचीत की। बताते चलें कि दोनों किशोरियों के पिता जीवन लाल व सोहन लाल को बसपा व भाजपा की ओर से जो पांच-पांच लाख रुपए की आर्थिक सहायता मिली थी, वह रकम इसी बैंक शाखा में खाता खोलवाकर जमा कराई गई है। उसी खाते से रकम निकाल कर जीवनलाल व सोहनलाल ने दोनों गवाहों बाबू राम उर्फ नजरू तथा राम बाबू को एक-एक लाख रुपए दिए हैं। यहां यह भी बता दें कि राम बाबू तो जीवनलाल व सोहन लाल का सगा भाई है, लेकिन नजरू पड़ोसी है। नजरू की भूमिका को सीबीआइ इसलिए महत्वपूर्ण मान रही है क्योंकि दोनों किशोरियों को मुख्य आरोपी पप्पू को आखिरी बार नजरू ने ही देखा था। इतना ही नहीं मुख्य आरोपी पप्पू जहां दोनों किशोरियों के पास होने की बात शुरू से स्वीकार करता आ रहा है, वहीं यह भी कहता रहा है कि नजरू के आने के बाद उससे गुत्थमगुत्थी हुई और दोनों किशोरियां नजरू के ही साथ चली गईं। नजरू शुरू से ही जहां एसआइटी या फिर मीडिया के सामने कोई बयान देने से बचता रहा, वहीं जब एसआइटी ने मुख्य आरोपी पप्पू को रिमांड पर लेकर बाढ़ चौकी में उससे आमना-सामना कराया तो भी पप्पू यही कहता रहा कि किशोरियां नजरू के ही साथ गई थीं। बताते हैं कि सीबीआइ को भी नजरू से पूछताछ करने में खासी मशक्कत करनी पड़ी, क्योंकि बातचीत में कभी वह रोने चीखने या फिर खांसने लगता है या फिर चक्कर आने की बात कहकर चुप हो जाता है। इससे पहले जब डीजीपी मौका मुआयना करने आए थे, तब भी उन्होंने घटनास्थल पर ही पूरी कहानी नजरू की जुबानी सुनने की कोशिश की थी, लेकिन तब भी पप्पू से गुत्थमगुत्थी की बात कहने के बाद अचानक नजरू फफक पड़ा था और कहा था कि आगे की बात रामबाबू बताएंगे। इधर, थोड़े दिन पहले ही दोनों किशोरियों के पिता ने दोनों गवाहों को एक-एक लाख रुपए दिए तो सीबीआइ का संदेह और गहरा हो उठा। हालाकि दोनों किशोरियों के पिता इस मामले में सफाई दे चुके हैं कि इसी मामले के कारण दोनों गवाह (जिसमें एक सगा भाई ही है) भी कोई काम-धंधा नही कर पा रहे हैं। दोनों मेहनत- मजदूरी करके जीवनयापन करते हैं। इसलिए उन्हें यह धनराशि दी है ताकि उनके परिवारों का भरण-पोषण होता रहे।

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