रटौल में ऐतिहासिक उर्स का आगाज
By Edited By: Updated: Sat, 16 Mar 2013 02:00 AM (IST)
चांदीनगर (बागपत) : रटौल गाव में हिन्दू-मुस्लिम एकता का प्रतीक मखदूम सिराजुद्दीन चिश्ती की दरगाह पर लगने वाले उर्स शुक्रवार से शुरू हो गया। मेले का उद्घाटन पूर्व सिंचाई मंत्री डॉ. मेराजुद्दीन ने किया। शाम को दंगल और रात में स्वांग और कव्वाली का आयोजन हुआ।
रटौल गाव में हर वर्ष मखदूम सिराजुद्दीन चिश्ती की दरगाह पर उर्स आयोजित किया जाता है। मेले में जहां महिलाओं ने जमकर खरीदारी की, वहीं बच्चों ने झूलों का लुत्फ उठाया। मेले में आकर्षण का केन्द्र मौत का कुंआ, सर्कस, काला जादू, संस्कृति मंच रहे। शाम को दंगल में विभिन्न राज्यों से आये पहलवानों ने भाग लिया। कुश्ती का शुभारंभ डॉ. मेराजुद्दीन, ग्राम प्रधान जुनैद फरीदी, प्रधान किन्नू और मुकेश ने पहलवानों के हाथ मिलवाकर किया। इसमें भूरा पहलवान दिल्ली ने लोकेश हरियाणा को हराया। विरेन्द्र पहलवान पंजाब से सौरव पहलवान हरियाणा को हराया। आकाश पहलवान दिल्ली को उमर पहलवान रटौल, आशीष पहलवान ने सोनू पहलवान, सिन्टू पहलवान डगरपुर ने प्रमोद रोहतक को हराया। इसके अलावा कई अन्य मुकाबले हुए। कुश्ती मे रेफरी की भूमिका नूर मोहम्मद पहलवान और नेताजी तंजीम ने निभाई। अटूट आस्था का केन्द्र
रटौल गाव स्थित मखदूम सिराजुद्दीन चिश्ती की दरगाह पर सैकड़ों वर्षो से मेला आयोजित किया जाता है। यह प्रदेश का पहला उर्स मेला है, जिसमें लोगों के मनोरंजन के लिए कुश्ती दंगल के साथ-साथ रात में कव्वाली व स्वांग आयोजित होता है। ग्रामीणों के अनुसार, मखदूम सिराजुद्दीन चिश्ती का रटौल से बड़ा लगाव था। इंतकाल के समय मखदूम चिश्ती लोनी में थे। वहीं, पर उन्होंने लोगों से इंतकाल के बाद रटौल में दफनाने के लिए कहा था। इंतकाल के बाद लोनी के लोग वहीं दफनाने की तैयारी करने लगे। लोग जब उनके जनाजे को उठाने लगे तो वह नहीं उठ सका। इसके बाद रटौल के ग्रामीण वहां पहुंचे और उनके जनाजे को रटौल लाकर दफनाया। तभी से लोग मखदूम सिराजुद्दीन चिश्ती की दरगाह पर हर वर्ष चादर चढ़ाकार मन्नतें मांगते हैं।
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