व्यवस्था की 'पटरी' पर अव्यवस्था की 'छुक-छुक'
पंकज तोमर, बागपत
दिल्ली-शामली वाया सहारनपुर रेलमार्ग पर व्यवस्थाएं ध्वस्त हैं। व्यवस्थाओं की 'पटरी' पर दौड़ रही अव्यवस्थाओं की 'छुक-छुक' से हर कोई हलकान है। ऐसा नहीं है कि सरकारी तंत्र को ही दोषी करार दिया जाए, जनता भी इसमें सहभागी है। तमाम सीमाओं को लांघ रही जनता भी हर रोज मौत से दो-दो हाथ करती है। अफसरशाही नियमों का पालन कराने की बजाय स्वयं अपनी कर्तव्यनिष्ठा को भूले बैठी है। हाल ऐसा ही रहा तो रेलमार्ग की सूरत और सीरत दोनों बदल जाएगी। 'दैनिक जागरण' टीम ने शनिवार को खेकड़ा से बड़ौत तक का सफर ट्रेन में किया और जाना हाल-
'जागरण टीम' दोपहर करीब 12:10 बजे दिल्ली से हरिद्वार जा रही 54475 पैसेंजर ट्रेन में खेकड़ा रेलवे स्टेशन से सवार हुई। 50 मिनट देरी से चल रही यह ट्रेन सुन्हैड़ा रेलवे हाल्ट पर पहुंची तो यात्रियों की भीड़ खिड़कियों में कम छत पर अधिक चढ़ी। इसके बाद अहैड़ा रेलवे हाल्ट पर भी ऐसा ही दृश्य था। वहां कुछ दूधिया डिब्बों को यात्रियों के पैरों में मारते हुए नीचे उतर गए। बागपत रोड रेलवे स्टेशन पर ट्रेन करीब 12:30 बजे पहुंची तो छत की भीड़ कम हुई। इक्का-दुक्का यात्री ट्रेन की छत पर सोते हुए नजर आए। धक्का-मुक्की के बीच यात्री किसी तरह खिड़कियों में लटक गए। स्टेशन पर साइकिल और बाइक सवार यात्रियों को चीरते हुए रफ्तार से दौड़ते हुए दिखाई दिए। इस दौरान पीछे की एक बोगी में कुछ लड़कियों ने टीम को छेड़खानी के बारे में बताया।
उन्होंने कहा, आए दिन छेड़खानी से वे आजिज आ चुकी हैं। आरपीएफ और जीआरपी उनकी सुरक्षा के लिए व्यापक इंतजाम नहीं करती। यहां से ट्रेन चली तो सूजरा रेलवे हाल्ट के नजदीक कुछ छात्र चलती ट्रेन से ही कूद गए। गनीमत रही कि वे बाल-बाल बच गए। इसके बाद ट्रेन अलावलपुर ईदरीशपुर से होते हुए बड़का पहुंची, जहां बेशुमार भीड़ ट्रैक के दोनों ओर खड़ी थी। ट्रेन रुकी नहीं कि इससे पूर्व ही यात्री बोगी के अंदर पहुंच गए। धक्का-मुक्की के शिकार एक बारगी तो हम भी हो गए, किसी तरह एक कोने में खड़े होकर बड़ौत तक पहुंचे तो भीड़ ने उतरना मुहाल कर दिया। इस दौरान मनचलों ने महिलाओं व लड़कियों के साथ छेड़खानी तक कर डाली। बड़ौत में शिमला नाम की एक महिला की चोर ने चेन तक झटक ली। हालांकि बाद में चोर को पकड़कर जमकर पीटा गया। इसके बाद टीम वापस बागपत रोड रेलवे स्टेशन पहुंची। आते समय भी कमोबेश ऐसा ही हाल था। वहां देखा कि ट्रैक के बीच कुछ यात्री सो रहे थे तो कुछ पुल के नीचे आराम फरमा रहे थे।
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