बदहाल शौचालय : शौचालय की बदहाली का बच्चों के स्वास्थ्य पर पड़ रहा प्रभाव
By Edited By: Updated: Sun, 07 Sep 2014 11:18 PM (IST)
बलरामपुर : परिषदीय स्कूलों में शौचालयों का न बना होना अथवा निष्प्रयोज्य होना स्कूल में पढ़ रहे बच्चों के स्वास्थ्य के लिए घातक है। शौचालय के अभाव में बच्चों को खुले में शौच जाना उनके व आस-पास के बच्चों के स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव डाल रहा है। बच्चों के बीमार होने की संभावनाएं भी बढ़ जाती है।
बता दें कि बेसिक शिक्षा विभाग द्वारा जिले में कुल 1546 प्राथमिक व 645 उच्च प्राथमिक स्कूलों का संचालन किया जा रहा है। बजट की कमी व विभागीय अधिकारियों की सुस्त कार्य प्रणाली के चलते अबतक जिले के सभी परिषदीय स्कूलों में शौचालयों के निर्माण का कार्य पूरा नहीं कराया जा सका है। इतना ही नहीं देखरेख व साफ-सफाई के अभाव में अधिकांश स्कूलों में बने शौचालय सालों से निष्प्रयोज्य पड़े हैं। जिसके चलते विद्यालय में पढ़ रहे बच्चों को खुले में शौच जाने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है। बच्चों के खुले में शौच करने से संक्रामक रोगों के होने का खतरा तो बढ़ता ही है साथ ही स्कूल में पढ़ने वाले अन्य बच्चों में भी बीमारियों के फैलने की आशंका बढ़ जाती है। बालिकाओं की सुरक्षा को भी खतरा रहता है। बच्चों के खुले स्थानों में शौच करने के विषय में चिकित्सकों की राय - -------------
मेमोरियल चिकित्सालय के डॉ. जीके शर्मा बताते हैं कि शौचालय न होने की दशा में बच्चे प्राय: खुले व गंदे स्थानों पर ही शौच करने जाते हैं जिससे उनके बीमार होने की संभावना बढ़ जाती है। साथ ही उनके साथ रहने वाले अन्य बच्चों में भी उन बीमारियों के फैलने का खतरा होता है। बताया कि खुले में शौच करने से बच्चे मुख्यत: डायरिया, टाइफाइड, पीलिया आदि रोगों की चपेट में आसानी से आ जाते हैं। इसलिए सभी को शौचालय का प्रयोग करना चाहिए। ----------
मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. उपेंद्र कुमार वर्मा बताते हैं कि खुले स्थानों में बच्चों के शौच करने से आप-पास के क्षेत्रों में संक्रामक रोगों के बढ़ने का खतरा बढ़ जाता है। कहना है कि खुले में शौच से आवारा जानवर उस संक्रमण को बढ़ी तेजी के साथ फैलाते हैं जिससे लोगों को बीमारियां होने का खतरा बढ़ जाता है। स्कूलों में शौचालय की बदहाली छात्रों के स्वास्थ्य पर कुप्रभाव डालती हैं। बच्चे उल्टी दस्त, बुखार, पीलिया आदि जैसी बीमारियों से पीड़ित हो जाते हैं। इस लिए शौचालय साफ सुथरा होना चाहिए और स्कूलों में शौचालय प्रयोग के लिए बच्चों को प्रेरित किया जाए। बच्चों की जागरुकता से उनके अभिभावक भी शौचालय का प्रयोग करेंगे।
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