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घोषणाओं का पुलिंदा ढो रहा बाराबंकी जंक्शन

By Edited By: Updated: Wed, 22 Feb 2012 11:43 PM (IST)

बाराबंकी, राजस्थान प्रांत स्थित अजमेर शरीफ यदि किसी को इस जिले से जाना है तो लखनऊ जाना उसके लिए अनिवार्य है। भगवान कृष्ण की नगरी मथुरा के लिए भी बाराबंकी से कोई सीधी ट्रेन सेवा नहीं है। उत्तर और पूर्वोत्तर रेलवे तथा प्रदेश की राजधानी के पड़ोसी बाराबंकी जंक्शन पर यूं तो 24 घंटे में एक सैकड़ा ट्रेनों की आवाजाही होती है। राजनीतिक इच्छाशक्ति के अभाव में जिला मुख्यालय का यह स्टेशन मूलभूत यात्री सुविधाओं से वंचित है। रेल भवन और उच्चाधिकारियों की ओर से घोषणाएं कर स्टेशन को चार वर्ष पूर्व मॉडल स्टेशन घोषित किया गया और आपके मद्देनजर स्टेशन को ए श्रेणी भी मिली।

घोषणाएं जिन पर नहीं हुआ अमल

बाराबंकी : रेल बजट 2010 में बाराबंकी देवा फतेहपुर रेलखंड का प्रस्ताव हुआ। धन का प्रबंध न किए जाने से परियोजना पर विचार ही नहीं किया गया। रेलबजट 2008 में बहराइच बुढ़वल रेलखंड की स्थापना की घोषणा की गई। चार वर्षो बाद भी कोई कार्य नहीं हुआ। चौका व घाघरा घाट के बीच निर्माणाधीन रेलवे पुल भी आधा अधूरा है। चार वर्ष पूर्व जंक्शन पर फास्ट फूड प्लाजा की स्थापना की घोषणा। अब तक कैंटीन की स्थापना के लिए स्थान तक नहीं खोजा जा सका।

असुविधाएं ही असुविधाएं

बाराबंकी : मॉडल रेलवे स्टेशन होने के बाद भी स्टेशन पर न तो यात्रियों के बैठने के लिए पर्याप्त बेंचे हैं न पेयजल के लिए नल। यूटीएस प्रणाली से टिकट वितरण और रेल आरक्षण की व्यवस्था होने के बावजूद इन कार्यालयों की वातानुकूलित न होने और बिजली की भीषण कटौती के कारण कंप्यूटर बहुधा बंद हो जाते हैं। जंक्शन पर चल रही एक लौटी कैंटीन भी बीते तीन माह से बंद हो गई है। खानपान की व्यवस्था पूरी तरह अवैध वेंडरों के सहारे बासी समोसा और ठंडी चाय पर चल रही है। प्लेटफार्म की अदला बदली के लिए एक मात्र उपरिगामी सेतु है और अधिकांश यात्री प्लेटफार्म की अदला बदली ट्रैक फांदकर करते हैं।

नहीं होता किसी ट्रेन का उदगम

बाराबंकी : इस स्टेशन पर न तो वाशिंग लाइन है न ट्रेनों का यार्ड ऐसे में यहां से किसी ट्रेन का उदगम नहीं होता है। सिर्फ मेमो ट्रेन का विस्तार किया गया है जो कानपुर से बाराबंकी तक आती है और यहां से वापस जाती है।

करनी होगी पहल

चित्र-(22बीआरके-32) वीरेन्द्र कुमार यादव, (22बीआरके-33) रमाकान्त सोनी, (22बीआरके-34) तौफीक, (22बीआरके-35) वीरेन्द्र कुमार रावत, (22बीआरके-36) रानी यादव, (22बीआरके-37) नीमा,

बाराबंकी : रेल के आधुनिकीकरण और बुलेट ट्रेन चलाए जाने की बातें यहां बेमानी साबित हुई हैं। यात्री वीरेंद्र कुमार यादव ने कहा कि तकरीबन दस हजार लोग प्रतिदिन स्टेशन से रेल सुविधा का उपयोग करते हैं फिर भी व्यवस्थाएं जस की तस हैं। वीरेंद्र कुमार रावत ने कहा कि केंद्र में सशक्त प्रतिनिधित्व के बाद भी राजनीतिक उदासीनता के कारण रेल सुविधाओं का विस्तार नहीं हुआ। रानी यादव ने कहा कि महिलाओं के लिए अतिरिक्त सुविधाएं नहीं हैं। तौफीक एवं रमाकांत सोनी ने कहा कि रंग रोगन से स्टेशन की तस्वीर नहीं बदलेगी आधारभूत ढांचे में बदलाव करना होगा। नीमा ने कहा कि ट्रेनों का ठहराव सुनिश्चित किया जाना और टिकट तथा आरक्षण व्यवस्था को दुरुस्त किया जाना सबसे आवश्यक है।

किए गए हैं प्रयास

बाराबंकी : सांसद पीएल पुनिया ने कहा कि हर स्तर पर रेल सुविधाओं में वृद्धि के प्रयास हुए है। रेलमंत्री से मिलकर स्टेशन को मॉडल रेलवे स्टेशन का दर्जा दिलाया। प्लेटफार्म काच् उच्चीकृत हुए। पृथक आरक्षण और टिकट वितरण केंद्र की स्थापना और देवा फतेहपुर रेलखंड के निर्माण की कोशिशें जारी हैं। तहसील स्तरीय रेलवे स्टेशनों पर भी यात्री सुविधाओं में वृद्धि के प्रयास किए जा रहे हैं। सफेदाबाद रेलवे क्रासिंग पर उपरिगामी सेतु उनके प्रयासों से सफल हुआ है। देवा रोड पर भी राज्य सरकार की एनओसी के बाद उपरिगामी सेतु निर्माण का मार्ग प्रशस्त हो जाएगा।

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