दरगाह आला हजरत : फतवा रज़विया फतवों की इनसाइक्लोपीडिया
आला हजरत फाजिले बरेलवी ने आठ साल की उम्र से किताबें लिखने का जो सिलसिला शुरू किया वह आपके दुनिया से रुखसत होने (२८ अक्टूबर १९२१ ई.) तक जारी रहा। कुरान का तर्जुमा कन्जुल ईमान के अलावा फतावा रजविया दुनिया के मुसलमानों में खास मुकाम रखती है। इस किताब
By Nawal MishraEdited By: Updated: Thu, 18 Dec 2014 07:05 PM (IST)
बरेली। आला हजरत फाजिले बरेलवी ने आठ साल की उम्र से किताबें लिखने का जो सिलसिला शुरू किया वह आपके दुनिया से रुखसत होने (२८ अक्टूबर १९२१ ई.) तक जारी रहा। कुरान का तर्जुमा कन्जुल ईमान के अलावा फतावा रजविया दुनिया के मुसलमानों में खास मुकाम रखती है। इस किताब में आला हजरत ने उन सवालों का जवाब दिया जिसका ताअल्लुक कुराने पाक व नबी ए-करीम की जिंदगी से है। इसमें कुल पांच हजार दो सौ चौरासी फतवे बारह जिल्दों में हैं। इस किताब में आला हजरत ने जितने भी फतवे लिखे हैं उनको इकट्ठा किया गया है। इसको फिकहे हनफी के इनसाइक्लोपीडिया के नाम से जाना जाता है। दुनिया भर की इस्लामी लाइब्रेरी में इसको सनद के तौर पर पेश किया जाता है। इस्लामिक कोर्ट में जज इसको हवाले के तौर पर इस्तेमाल करते हैं। यहां तक कि दारुल उलूम देवबंद तक में फतावा रजविया मौजूद है। आला हजरत फतवा देने से पहले उसके बारे में शोध करते थे उसके बाद ही कोई फतवा देते थे।
पहली जिल्दइसमें वुजू टूटने के मसाइल पर शोध, वुजू या गुस्ल (स्नान) में ज्यादा पानी खर्च के अलावा तय्यमुम के बारे में शरीअत क्या कहती है, लिखा है। इसमें अस्सी फतवे अरबी में व ११४ अन्य जुबानों में है।
दूसरी जिल्दइसमें ३८८ फतवे और शोध पत्र शामिल हैं। इसमें नमाज का वक्त, अजान, गंदगी वगैरह का बयान है। इसी जिल्द में मरने के बाद कब्र पर दी जाने वाली अजान, सफर (यात्रा) के दौरान नमाज का हुक्म आदि के बारे में बयान है।
तीसरी जिल्दइसमें ८४२ फतवे और १६ शोध पत्र हैं। इसमें नमाजे ईद, अजाने सानी (यानी जुमे के खुतबे की अजान) मस्जिद के बाहर होने का बयान, खत्म तरावीह आदि के बारे में लिखा है।चौथी जिल्दइसमें ३५५ फतवे व २७ शोध पत्र शामिल हैं। इसमें जकात, रोजा, हज और नमाजे जनाजा का बयान है। मौत वाले घर पर खाने का बयान (दावते-सख्त मना है)। औरतों का कब्र पर जाना नाजायज। एहराम, तवाफ, हज करने का तरीका बयान किया है।पांचवीं जिल्दइसमें ९५४ फतवों के जवाब के अलावा हजारों शोधपत्र पेश किए है। इसमें निकाह, तलाक, इमान आदि का जिक्र है।छठी जिल्दइसमें ५०० फतबे और ८ शोध पत्र है। इस जिल्द में खत्मे नवुबत पर बेहतरीन दलीलें है। इसके अलावा राजनीतिक मसलों पर भी बेशुमार शरई फैसले हैं जिसे पढ़कर आला हजरत के इल्म का पता चलता है। सातवीं जिल्दइसमें ३७५ फतवे व ४ शोध पत्र हैं। इसमें बीमा, बैंक व कम्पनी के बहुत से रोजाना के मसले जो आज की जरूरत भी हैं। कागज के नोट का फतवा इसी जिल्द में शामिल हैं।आठवीं जिल्दइसमें ५२१ फतवे और २१ शोध पत्र हैं। इस जिल्द में ठेके पर खेती की जमीन देने और भेड़ की कुरबानी आदि के बारे में कलम चलाई गई है।नवीं जिल्दइस जिल्द में दाढ़ी मुड़ाने और कतरवाने, फोनोग्राम में आवाज सुनने की शरई हैसियत, बाप पर बेटे का हक आदि के मसाईल का बयान हैं। ५१९ फतवे और १३ शोध पत्र इस जिल्द में शामिल हैं।दसवीं जिल्दइसमें बहुत सख्त जरूरत पर फोटो खिंचाने का हुक्म, मनीआर्डर के अलावा हुक्का पीने जैसे आम जिंदगी के बारे में शरई जानकारी दी गई है। जिसमें ३७७ फतवे व ७ शोध पत्र शामिल है।ग्यारहवीं जिल्दइसमें १४० फतवे और ९ शोध पत्र हैं। इसमें नबी ए-करीम की शफाअत के अलावा खुदा को मानव आकार मानने वालों की बात को गलत करार दिया गया है।बारहवीं जिल्दइस जिल्द में २१९ फतवे व ८ शोध पत्र शामिल है। इस जिल्द में पैंगबर हजरत मोहम्मद साहब की पैदाईश और विसाल के बारे में लिखा है। इसके अलावा मिलाद शरीफ पर एतराज का जवाब दिया गया है।
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