आबादी से चूके वरना मिलती मेट्रो
By Edited By: Updated: Sun, 19 Jan 2014 01:02 AM (IST)
जागरण संवाददाता, बरेली : शहर को मोनो रेल की सौगात मिली है लेकिन इससे बढ़कर भी हासिल होने की गुंजाइश थी। बरसों पहले बरेली ने भी मेट्रो रेल का सपना देखा था। वह साकार होने के कगार भी पहुंच गया था लेकिन आबादी के मामले में शहर मात खा गया। हम 10 लाख से कम हैं और उससे ऊपर होने पर ही मेट्रो का संचालन संभव है।
बता दें, 'दैनिक जागरण' ने चलो आज कल बनाते हैं और कब बदलेगी बरेली की तकदीर अभियान से हुंकार भरी तो गूंज शासन तक सुनाई दी। ट्रैफिक में फंसे शहर का आइना दिखाया। तब सिर्फ समस्या दिखाकर जागरण पीछे नहीं हटा, उसका हल भी सुझाया। यह साझा कोशिशों का ही नतीजा था कि शहर की बेहतरी के लिए अहम प्रोजेक्ट की नीव पड़ी। अब गेंद बीडीए के पाले में है, जिसने दो माह में इसकी डीपीआर सरकार को सौंपने का दावा किया। कोशिश है कि प्रोजेक्ट के जरिये डेलापीर से मिनी बाइपास जैसे कई और भी इलाकों को शामिल किया जाए। वाह्यं सहायतित परियोजना सलाहकार मधुकर जेटली ने भले ही शुक्रवार को बरेली में मोनो रेल प्रोजेक्ट की मंजूरी की घोषणा की थी मगर इसकी नीव तो दो महीने पहले ही पड़ चुकी थी। बीडीए के मुख्य नगर योजनाकार महावीर सिंह बताते हैं, सरकार ने शहर में मेट्रो और मोनो रेल चलाने के संबंध में प्रस्ताव मांगा था। विभाग ने एक माह पहले 18 दिसंबर को अपना प्रस्ताव सरकार को भेजा था। शहर को मेट्रो मिल सकती थी लेकिन आबादी के मामले में चूक गया। लिहाजा यहां मोनो रेल प्रोजेक्ट मंजूर किया गया। सरकार के निर्देश पर विभाग की ओर से टेंडर के जरिए एजेंसी तय की जाएगी। उसकी रिपोर्ट राज्य सरकार को भेजी जाएगी जो केंद्र सरकार के जरिए रेल मंत्रालय को जाएगी। इस रिपोर्ट के बाद रेलवे की टेक्निकल टीम शहर में सर्वे करेगी और प्रोजेक्ट के लिए स्थानों तय करेगी। इसके बाद ही प्रस्तावित मार्गो पर काम सुनिश्चित होगा। सर्वे के जरिए प्रोजेक्ट में डेलापीर से मिनी बाईपास जैसे कई अन्य इलाके भी शामिल हो सकते हैं। महावीर सिंह ने भरोसा जताया कि अगर इसी गति से काम हो तो सर्वे में चार माह से ज्यादा समय नहीं लगेगा। डीपीआर बनाने वाली कंपनी का जल्द ही चुनाव कर लिया जाएगा।मोबाइल पर ताजा खबरें, फोटो, वीडियो व लाइव स्कोर देखने के लिए जाएं m.jagran.com पर
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