Move to Jagran APP

बरेली में दौड़ेगी मोनो रेल

By Edited By: Updated: Sat, 18 Jan 2014 01:03 AM (IST)

जागरण संवाददाता, बरेली : जाम के झाम में फंसी बरेली को बड़ी राहत देने की जमीन आखिरकार तैयार हो गई। सिकुड़ती सड़कों और वाहनों के रेले को देखते हुए हल भी दिल्ली, मुंबई और कोलकाता की तर्ज पर ढूंढा गया है। सरकार ने शहर में मोनो रेल चलाने की मंजूरी दे दी है। इतना ही नहीं, इस बारे में बरेली विकास प्राधिकरण की टेक्निकल रिपोर्ट की मंजूरी के साथ ही प्रोजेक्ट ने पहली बाधा भी पार कर ली है। अब जल्द ही डीपीआर बनाने की कवायद तेज होगी, जिसका जिम्मा बीडीए को ही सौंपा गया है। सरकार के दावे पर यकीन करें तो महज दो साल के भीतर यह सौगात सौंप दी जाएगी।

देश में तेजी से तरक्की करते टॉप टेन शहरों में शुमार हो चुके बरेली ने यह सपना करीब आठ साल पहले ही देखा था। तब शक्ल और प्रस्ताव अलग था। बरेली विकास प्राधिकरण (बीडीए) की महायोजना-2025 में मेट्रो रेल चलाने का प्रस्ताव शामिल किया गया। इस बाबत लखनऊ में मंथन भी हुआ लेकिन बाद में मामला ठंडे बस्ते में चला गया। अब वही बरसों पुराना सपना फिर जिंदा हुआ लेकिन नए रूप में। मेट्रो की जगह मोनो रेल ने ले ली है। पिछले दिनों प्रदेश सरकार ने लखनऊ में मेट्रो रेल परियोजना शुरू करने के साथ ही छह अन्य शहरों में भी इस बाबत प्रस्ताव के निर्देश दिए थे।

शुक्रवार को शहर पहुंचे प्रदेश के वाह्य सहायतित परियोजना सलाहकार मधुकर जेटली ने इस पर अपनी मुहर लगा दी। सर्किट हाउस में उन्होंने बताया-प्रदेश के महानगरों में बेहतर यातायात व्यवस्था मुहैया कराने को मेट्रो और मोनो रेल संचालन का फैसला हुआ है। आबादी के लिहाज से लखनऊ और कानपुर में मेट्रो रेल आई है। बरेली, इलाहाबाद, वाराणसी, गोरखपुर एवं अलीगढ़ में मोनो रेल संचालन का फैसला हुआ है। उन्होंने यह भी बताया कि बीडीए ने जो टेक्निकल रिपोर्ट भेजी थी, उसे मंजूरी मिल गई है। अब डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट (डीपीआर) बनाने का जिम्मा सौंपा गया है। अफसर अपने हिसाब से अनुभवी कंपनी के जरिये रिपोर्ट तैयार करा सकते हैं।

दो साल का वक्त लगेगा

आखिर मोनो रेल कब तक मिलेगी? इस बाबत सवाल हुए तो श्री जेटली ने दावा किया कि छह महीने में डीपीआर बनकर तैयार हो जाएगी। उसके बाद निर्धारित कंपनी को काम सौंप दिया जाएगा। उम्मीद है, दो साल में यह सौगात बरेली वालों को मिल जाए।

कहां-कहां चलेगी मोनो रेल

प्रथम चरण : जंक्शन से सिटी स्टेशन, सिटी स्टेशन से कुदेशिया फाटक, कुदेशिया फाटक से शाहदाना वाया शहामतगंज, शहामतगंज स्टेशन से त्रिशूल एयरपोर्ट वाया डेलापीर, त्रिशूल एयरपोर्ट से महानगर, महानगर से सैटेलाइट बस अड्डा और सैटेलाइट से बरेली जंक्शन। यह रूट करीब 32 किलोमीटर का होगा।

द्वितीय चरण : शहर के बाकी जरूरी इलाके चिह्नित होंगे। मसलन, पीलीभीत बाईपास और नया बस रहा शहर उसकी जद में आएगा।

कैसे होगा काम

परियोजना के लिए केंद्र और राज्य सरकार 20-20 फीसदी धन देंगी। बाकी धन की व्यवस्था जापानी कंपनी या फिर किसी अन्य संस्था से कराई जाएगी। इसको लेकर प्रयास किए जा रहे हैं। वर्ष 2015 में मोनो रेल चलाने की तैयारी है।

क्या है मोनो रेल

यह रेलवे पर आधारित ट्रांसपोर्ट सिस्टम होता है। मोनो का अर्थ होता है वन यानी एक। मेट्रो समेत बाकी सभी ट्रेनें दो पटरी पर दौड़ती हैं लेकिन मोनो रेल सिर्फ एक पटरी पर चलती है। इसके लिए तैयार ओवरब्रिज काफी कम जगह में तैयार हो जाते हैं। शहर के तंग मार्गो में आसानी से गुजर सकती है। मेट्रो की अपेक्षा खर्च भी काफी कम आता है। मोनो रेल सबसे पहले 1820 में रूस के इवान इलनोव ने तैयार की थी। 1821 में ब्रिटेन के हेनरी पालमर ने उसे अपडेट करके चलाया। 1897 में मोनो रेल जर्मनी पहुंची।

भारत में मोनो रेल

भारत में यूं तो पहली मोनो रेल की कल्पना आजादी से पहले कुंडला घाटी और पटियाला में हुई थी लेकिन वह आकार नहीं ले सकी। अब मुंबई सबसे पहला शहर बना है, जहां मोनो दौड़ने लगी है। गुड़गांव समेत बाकी अन्य शहरों में इसको लेकर प्रस्ताव हैं।

--------

''प्रदेश में विकराल होती जाम की समस्या से निपटने के लिए सरकार ने मेट्रो और मोनो रेल का जाल बिछाने का फैसला किया है। लखनऊ और कानपुर के अलावा अन्य बडे़ शहरों को मोनो रेल चलाने पर सहमति बन गई है।''

- मधुकर जेटली, वाह्य सहायतित परियोजना सलाहकार (यूपी)

मोबाइल पर ताजा खबरें, फोटो, वीडियो व लाइव स्कोर देखने के लिए जाएं m.jagran.com पर

आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।