इस्लाम जिंदा होता है हर कर्बला के बाद
जागरण संवाददाता, बरेली: यौम-ए-आशूरा से एक दिन पहले नवासा-ए-रसूल हजरत इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम और उनके
By Edited By: Updated: Mon, 03 Nov 2014 10:01 PM (IST)
जागरण संवाददाता, बरेली: यौम-ए-आशूरा से एक दिन पहले नवासा-ए-रसूल हजरत इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम और उनके जांनिसार साथियों को याद करके खिराजे अकीदत पेश किया गया। दरगाह आला हजरत पर जिक्र की महफिल सजी। शाह शराफत मियां पर जलसे का आयोजन हुआ। उधर, इमामबाड़ा हकीम आगा साहब में महिलाओं की मजलिस हुई। खानकाहों और मुहल्लों में लोगों ने लंगर तकसीम किया। तख्त के जुलूस भी निकाले गए।
कुरान फरमा रहा मरते नहीं शहीद दरगाह आला हजरत स्थित सज्जादानशीन मौलाना सुब्हान रजा खां सुब्हानी मियां के आवास पर महफिल का आगाज मुफ्ती रिजवान नूरी ने तिलावते कलाम पाक से किया। नायब सज्जादानशीन मौलाना अहसन रजा कादरी ने अपने खिताब में कहा कि कुरान एलान कर रहा है कि शहीद मरते नहीं। लिहाजा मातम का तरीका गैर इस्लामी है। इमाम हुसैन की पूरी जिंदगी बेहतरीन किरदार, अखलाक और वफादारी का नमूना है। इस्लाम को बचाने और अपने नाना की उम्मत की खातिर यजीदियों के लश्कर के आगे सिर झुकाने के बजाय सिर कटाना मंजूर किया। कर्बला की जंग में इंसानियत की जीत हुई। हसन रजा खां, मुफ्ती कफील अहमद, मुफ्ती जमील, मुफ्ती अफरोज आलम, कारी अब्दुल हकीम, मुफ्ती अनवर अली, कारी अनीसुर्रहमान, मौलाना एजाज अंजुम इत्यादि ने हिस्सा लिया। इस्लाम को दी नई जिंदगी
खानकाह शाह शराफत मियां के मेहमानखाने में जलसा शहीदाने कर्बला का आयोजन किया गया। हाफिज गुलाम रसूल ने महफिल का आगाज तिलावते कलाम पाक से किया। मुख्य वक्ता डा. महमूदुल हसन ने नवासा-ए-रसूल की अजीम कुर्बानी पर रोशनी डाली। कर्बला की जंग को तफ्सील से लोगों के सामने रखा। मौलाना सूफी रिफाकत सकलैनी नईमी ने अहले बैत की अजमत बयान की। मौलाना राशिद सकलैनी ने इमाम हुसैन की शहादत को इस्लाम के लिए नई जिंदगी बताया। मौलाना मुफ्ती फहीम अहमद अजहरी, मौलाना राशिद सकलैनी ने भी तकरीर की। हसीब रौनक सकलैनी, मजहर सकलैनी, मजहर सकलैनी ने मनकबत का नजराना पेश किया। फातिहा के बाद सभी को लंगर तकसीम किया गया। इस दौरान मुहम्मद गाजी मियां, हाजी मुमताज मियां, मुंतखब मियां, मुनीफ सकलैनी, हमजा सकलैनी, कारी अनवार सकलैनी, मन्ना, सलमान, लाल, इमरान, सरताज सकलैनी मौजूद रहे। निजामत मुख्तार तिलहरी ने की। यहां भी हुए जलसे
मुहल्ला जसोली की मस्जिद पीरा शाह, मुहल्ला जखीरा के चिड़िमार कुंआ और युवा बरेली सेवा क्लब की तरफ से जिक्र शहीदाने कर्बला का आयोजन मुहल्ला शाहबाद में दरगाह शाह शराफत मियां के पास किया गया। इन जलसों के जरिये शहीदाने कर्बला को खिराजे अकीदत पेश किया गया। महिलाओं की मजलिस मुहर्रम की नौ तारीख को हजरत इमाम हुसैन के जवान बेटे हजरत अली अब्बास की शहादत पर गढ़ैया के इमामबाड़ा हकीम आगा साहब में महिलाओं की मजलिस हुई। सरताज जफर के ने कर्बला की जंग का मंजर कुछ इस तरह से पेश किया कि महिलाएं दहाड़े मारकर रोने लगीं। इमामबाड़ा हाय अकबर की सदाओं से गूंजने लगा। इसके अलावा दूसरे सभी इमामबाड़ों में भी सीनाजनी और नोहाख्वानी की गई। मातम का यह सिलसिला देर रात तक जारी रहा। इमामबाड़ों में रोशनी रही।
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