ट्रेन की चपेट में आने से कटीं सिपाही की टांगें
By Edited By: Updated: Fri, 11 Jul 2014 11:40 PM (IST)
जागरण संवाददाता, बरेली। चनेहटी स्टेशन पर उतरते वक्त एक सिपाही ट्रेन की चपेट में आ गया, जिससे उनके दोनों पैर बुरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गए। उन्हें उपचार के लिए पहले जिला अस्पताल लाया गया, जहां से परिजन उन्हें लेकर निजी अस्पताल आ गए। वहां चिकित्सकों ने उनके दोनों पैरों का जख्मी हिस्सा काट दिया। हादसे की जानकारी मिलते ही डीआइजी ने तुरंत सिपाही को उच्चस्तरीय मेडिकल सुविधाएं देने के लिए कहा। इसके बाद देर शाम सीओ सिटी समेत कई अधिकारी सिपाही का हालचाल लेने भी पहुंचे।
मूल रूप से गांव डेगरपुर थाना भगतपुर मुरादाबाद निवासी रामवीर सिंह यादव (48) वर्तमान समय में शाहजहांपुर एसपी ऑफिस में रिट सेल में कार्यरत हैं। शुक्रवार दोपहर उन्हें डीआइजी ऑफिस से कैरेक्टर रोल लेने आना था। शहर आने के लिए वह दोपहर करीब 12.30 बजे जननायक एक्सप्रेस में सवार हुए थे। शाम करीब तीन बजे वह जैस ही चनेहटी स्टेशन पर उतरे, अचानक उनके दोनों पैर ट्रेन के नीचे चले गए। देखते ही देखते ही उनके दोनों पैरों का बड़ा हिस्सा बुरी तरह से जख्मी हो गया। रेलवे स्टेशन में मौजूद लोगों ने तुरंत जीआरपी व कैंट पुलिस को जानकारी दी। मौके पर आई पुलिस रामवीर को जिला अस्पताल लेकर गई। बाद में डीआइजी आरकेएस राठौर के निर्देश पर उन्हें निजी अस्पताल ले जाया गया। जहां रामवीर के पैरों की हालत देखने के बाद चिकित्सकों ने उन्हें काटने का फैसला लिया। इस हादसे से परिवार में कोहराम मच गया। बच्चों से मिलने की थी हसरत रामवीर खुद शाहजहांपुर में रहते हैं, जबकि उनकी पत्नी प्रेमवती व तीन बच्चे शहर के मढ़ीनाथ इलाके में रहते हैं। रामवीर ने सोचा था कि डीआइजी ऑफिस से काम निपटाने के बाद वह अपने परिवार से भी मिल लेंगे, लेकिन किस्मत को कुछ और ही मंजूर था।
आंखें नम हो गई साथियों की निजी अस्पताल में भर्ती रामवीर को देखने आए साथी विनोद तिवारी की आंखें नम हो गईं। विनोद भी शाहजहांपुर एसपी ऑफिस में तैनात हैं। विनोद ने बताया कि रामवीर खुशी-खुशी ऑफिस से निकले थे लेकिन किसी को क्या पता था कि उनके साथ ऐसा दर्दनाक हादसा हो जाएगा।
तीन दिन पहले हुई थी फौजी की मौत चनेहटी रेलवे स्टेशन पर ही मंगलवार को ट्रेन की चपेट में आने से बाराबंकी निवासी फौजी घिसावन की मौत हो गई थी। वह अपने परिवार के साथ सदर बाजार कैंट में किराये के मकान में रहते थे।
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