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रेलवे बोर्ड में अटके दो बड़े पुल

By Edited By: Published: Sat, 03 May 2014 01:01 AM (IST)Updated: Sat, 03 May 2014 01:01 AM (IST)

जागरण संवाददाता, बरेली: नेता चुनाव में लगे तो विकास अटक गया। पैरवी नहीं हो पाने के चलते लाल फाटक और आइवीआरआइ क्रासिंग पर प्रस्तावित ओवरब्रिज रेलवे बोर्ड की बैठक में हरी झंडी नहीं पा सके। दोनों को फिलहाल जरुरी नहीं मानते हुए प्रतीक्षा सूची में डाल दिया गया। अब उन पर अगले साल ही विचार हो सकेगा।

यह वही दोनों पुल हैं, जिनकी घोषणा मुख्यमंत्री बरेली में छात्र-छात्राओं को लैपटॉप बांटने आने पर कर गए थे। उनके घोषणा करने के बाद दोनों पुल को बनाने की जिम्मेदारी सेतु निगम को सौंप दी गई। स्टीमेट भी तैयार हो गया। शासन से हरी झंडी भी मिल गई। इसके बाद पुलों का प्रस्ताव रेलवे बोर्ड मुख्यालयों को भेज दिया गया। जिला स्तर से दोनों पुलों को रेलवे बोर्ड से मंजूर दिलाने के प्रयास होते मार्च में चुनाव की घोषणा हो गई। राजनीतिज्ञों के साथ सरकारी अमला भी चुनाव में लग गया। इस बीच रेलवे बोर्ड की बैठक हो गई। वहां दोनों पुलों पर विचार तो हुआ लेकिन प्रस्तावों को जरुरी नहीं आंका गया। इन पुलों के अलावा दूसरी योजनाओं को जरुरी मानते हुए बोर्ड ने मंजूरी दे दी। इस तरह न सिर्फ विकास अटक गया बल्कि मुख्यमंत्री अखिलेश सिंह यादव की घोषणा भी पूरी नहीं हो सकेंगी। रेलवे बोर्ड की बैठक अब अगले साल होगी, तभी फिर से प्रस्ताव भेजे जा सकेंगे। तब तक दोनों क्रासिंग से होकर गुजरने वालों को जाम का सामना करना पड़ेगा।

110 करोड़ का स्टीमेट

दोनों पुल फोरलेन बनने हैं। उसी को देखते हुए सेतु निगम ने प्रस्ताव तैयार किया था। आइवीआरआइ क्रासिंग 44 करोड़ और लालफाटक का स्टीमेट 58 करोड़ है। दोनों के स्टीमेट शासन से ओके हो चुके हैं। रेलवे बोर्ड से मंजूर हो जाते तो यूपी सरकार को आधा धन खर्च करना पड़ता। इतना ही रेलवे से मिल जाता।

घंटों लगता जाम

आइवीआरआइ क्रासिंग शहर से नैनीताल मार्ग को जोड़ता है। भारी वाहन फिलहाल इसी मार्ग से होकर रामपुर और शाहजहांपुर की तरफ निकलते हैं। ऐसे ही कैंट क्षेत्र से होकर आंवला और बदायूं जाने पर लाल फाटक क्रासिंग को पार करना चुनौतीपूर्ण होता है। दोनों क्रासिंग बंद रहने से घंटों जाम की स्थिति रहती है।

वर्जन----

सोलह अप्रैल तक चुनाव में लगे रहे। फ्री होने के बाद रेलवे बोर्ड की मीटिंग के बारे में जानकारी की तो साफ हुआ दोनों पुल मंजूर नहीं हो पाए हैं। इसलिए क्योंकि बोर्ड ने दोनों के निर्माण को फिलहाल ज्यादा जरूरी नहीं आंका।

-आरके अग्रवाल, परियोजना प्रबंधक, सेतु निगम


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