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प्रशासनिक तानाशाही: सेल्फी लेने पर जेल भेजा, खबर छापने पर मुकदमा

बुलंदशहर : डीएम के साथ सेल्फी लेने पर युवक को जेल भेजने के प्रकरण में बुलंदशहर प्रशासन गुरुवार को कि

By Edited By: Updated: Thu, 04 Feb 2016 10:55 PM (IST)

बुलंदशहर : डीएम के साथ सेल्फी लेने पर युवक को जेल भेजने के प्रकरण में बुलंदशहर प्रशासन गुरुवार को किस्म-किस्म के तरीके अख्तियार कर अपने पक्ष में राय बनाने की कोशिश करता रहा। सेल्फी खींचने वाले फराज को जेल भेजने के बाद, इसकी खबर छापने वाले दैनिक जागरण के पत्रकारों पर धोखाधड़ी और छवि बिगाड़ने का मुकदमा दर्ज करा दिया गया। फराज के परिवार के लोगों पर दबाव इस कदर है कि कुछ बोलने को तैयार नहीं हैं।

दैनिक जागरण ने प्रकरण की शुरुआत से ही स्पष्ट कर दिया है कि किसी के साथ भी उसकी अनुमति के बगैर सेल्फी लेना या फोटो खींचना गलत है। डीएम के साथ सेल्फी खींचने की कोशिश करने पर फराज को जेल भेजने की खबर छापी गई थी और सवाल उठाया गया था कि क्या इस पूरे प्रकरण में अति सक्रियता नहीं दिखाई गई? लेकिन प्रशासन का गुस्सा पूरे प्रकरण पर इस बात को लेकर है कि डीएम के साथ सेल्फी खींचने की खबर क्यों छपी?

क्या सेंसरशिप के लिए है यह कैंडल मार्च

सवाल यह है कि डीएम की राय और उनके विशेषाधिकार अपनी जगह हैं और एक लोकतांत्रिक देश में मीडिया का अपना काम है। खबर छापने पर मीडिया के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया गया। अपने ही कृत्यों से घिरते प्रशासन ने गुरुवार को सरकारी मशीनरी की मदद से अपने कृत्य को तर्कसंगत ठहराने की कोशिश की। गुरुवार को प्रशासन ने अलग-अलग लोगों और संगठनों को बुलाकर पूरे प्रकरण पर जनमत संग्रह नुमा प्रेस कान्फ्रेंस की और प्रेस पर मुकदमे और सेंसरशिप की कोशिश को नारी सम्मान और सुरक्षा के नाम पर जायज ठहराने की कोशिश की। प्रशासन ने इस पूरे प्रकरण में लोगों से शाम को कैंडल मार्च में आने के लिए भी कहा। हालांकि शाम को अधिकांश सरकारी कर्मचारी ही कैंडल मार्च में जुटे,लेकिन सवाल उठता है कि इस पूरे कैंडल मार्च की अवधारणा क्या मीडिया के खिलाफ नहीं थी?

नारी सशक्तीकरण जागरण का सरोकार है

दैनिक जागरण हमेशा नारी सम्मान और सुरक्षा के मुद्दे को पूरी संजीदगी के साथ उठाता रहा है। प्रशासन उन मसलों का संज्ञान लेकर कार्रवाई करने में भले ही देर लगाता रहा हो, लेकिन डीएम के साथ सेल्फी लेने की कोशिश पर एक नौजवान को जेल भेजने की खबर छापने पर पत्रकारों के खिलाफ मुकदमा दर्ज करना क्या मीडिया को दबाव में लेना नहीं है। स्त्री स्वाभिमान और अस्मिता से जुड़े गंभीर प्रकरण जिन्हें जागरण पुरजोर तरीके से उठता रहा है,उस पर तो प्रशासन ने कभी भी इस तरह की जहमत नहीं उठाई।

प्रशासन ने बदली फराज के चाचा की बोली?

प्रशासन गुरुवार को फराज के उसी चाचा इरफान को लोगों के सामने लाया, जिसने जागरण में अपना बयान दिया था। फराज के चाचा जो बुधवार को दिए बयान में उसके कृत्य को गलत बता कर भी दरियादिली की बात कह रहे थे। कह रहे थे कि उसे समझा कर छोड़ सकते थे। गुरुवार को सबके सामने फराज के कृत्य का भूल बताया। बाद में अचानक हृदय परिवर्तन हुआ, उसकी भूल पर सफाई देते नजर आए।

पत्रकारों पर मुकदमा

बुलंदशहर : एक युवक फराज द्वारा डीएम के साथ सेल्फी लेने पर जेल जाने की जागरण में खबर प्रकाशित होने पर प्रशासन ने संवाददाताओं पर ही मुकदमा दर्ज करा दिया है। आरोप लगाया गया है कि खबर से डीएम की छवि को हानि पहुंची है। जिला सूचना विभाग के एक प्रतिनिधि ओम कुमार भाटी ने 3 जनवरी की शाम को दैनिक जागरण के संवाददाता के खिलाफ नगर कोतवाली में मुकदमा दर्ज कराया है। इसके अलावा एक बैठक बुला प्रशासन ने अपने काम को तर्कसंगत ठहराया। डीएम बी. चंद्रकला और एडीएम प्रशासन विशाल ¨सह खास तौर से संबोधित कर रहे थे।

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विधानसभा में उठाऊंगा मसला: कांग्रेस विधायक

स्याना के कांग्रेस विधायक दिलनवाज खान ने मुख्यमंत्री से पूरे मामले की शिकायत की है। विधायक ने स्पष्ट लिखा है कि पत्रकारों पर मुकदमा दर्ज कराया जाना लोकतंत्र के चौथे स्तंभ पर प्रहार है। विधायक ने सीएम से हस्तक्षेप कर आवश्यक कार्रवाई की मांग की है। विधायक ने पत्र लिखकर कहा है कि गांव कमालपुर निवासी फराज को सेल्फी प्रकरण में जेल भेजे जाने की खबर प्रकाशित होने पर दैनिक जागरण के पत्रकारों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराना प्रेस की आजादी पर कुठाराघात है। विधायक ने प्रकरण को विधानसभा में उठाने की घोषणा की है। उन्होंने माना कि फराज ने गलती है, उसे माफीनामा से दरियादिली दिखाई जा सकती थी।

वर्जन

-स्त्री का भरपूर सम्मान है, किंतु साथ में सेल्फी लेने पर इतना आक्रोशित होने की कतई आवश्यकता नहीं थी। मीडिया का सम्मान सुरक्षित रहना चाहिए। मुकदमा दर्ज कराना तो अलोकतांत्रिक है।

-डा. लक्ष्मीकांत वाजपेयी, प्रदेश अध्यक्ष, भाजपा

मीडिया, समाज का प्रहरी है और लोकतंत्र का चौथा संबंध है। इस पर मुकदमा गलत है। मुख्यमंत्री मीडिया के लिए कई कल्याणकारी योजनाओं पर काम कर रहे हैं। मैं व्यक्तिगत स्तर पर मालूमात करके आलाकमान से बात करूंगा।

शाहिद मंजूर, कैबिनेट मंत्री।

नौकरशाह और पत्रकार समाज के अभिन्न अंग हैं और इनके सामंजस्य से समाज की तमाम समस्याओं का समाधान हो सकता है। किसी खबर के प्रकाशन को लेकर अफसर द्वारा समाचार पत्र या उसके पत्रकार पर मुकदमा दर्ज कराना दुर्भाग्यपूर्ण है।

-आलोक सिन्हा, मंडलायुक्त

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