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बुलंदशहर गैंगरेपः पीड़िता बोली, कानून से पहले मैं दूंगी दरिंदों को सजा

बुलंदशहर गैंगरेप पीडि़ता ने कहा कि कानून से पहले आरोपियों को वह सजा देगी। अगर दुष्कर्मियों को जल्द नहीं पकड़ा गया तो परिवार जान देने से भी नहीं चूकेगा।

By Ashish MishraEdited By: Updated: Wed, 03 Aug 2016 03:57 PM (IST)
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बुलंदशहर, जेएनएन। बुलंदशहर सामूहिक दुष्कर्म के मामले में अब पीडि़त परिवार ने पुलिस-प्रशासन एवं सरकार की कार्रवाई पर सवाल उठाने शुरू कर दिए हैं। साथ ही दुष्कर्म पीडि़ता ने यह भी कहा कि कानून से पहले आरोपियों को वह सजा देगी। अगर दुष्कर्मियों को जल्द नहीं पकड़ा गया तो परिवार जान देने से भी नहीं चूकेगा। मंगलवार को पीडि़ता ने एक न्यूज चैनल से बातचीत में कहा कि पुलिस चाहती तो सभी आरोपी तुरंत पकड़े जाते, लेकिन उसकी लापरवाही से आरोपी अभी तक पकड़ से बाहर हैं। पुलिस अफसरों ने दावा किया था कि सभी आरोपी 24 घंटे में पकड़ लिए जाएंगे, लेकिन अभी तक कोई उचित कार्रवाई नहीं की गई है।

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मेडिकल रिपोर्ट बयां कर रही पीडि़तों के जख्म

30 जुलाई को जिला अस्पताल में वारदात के करीब सवा तीन घंटे बाद सुबह साढ़े सात बजे पीडि़त परिवार के पुरुष सदस्य जिला अस्पताल पहुंचे थे। उनके शरीर पर चोट के निशान मौजूद मिले हैं। मेडिकल रिपोर्ट के मुताबिक, नाबालिग पीडि़ता के पिता के शरीर पर गहरे लाल रंग के निशान थे। भाई के शरीर पर भी कुछ ऐसे ही निशान थे। जबकि ताऊ को ज्यादा चोट लगी है। परिवार के सदस्यों के शरीर पर लाठी-डंडों से अनेक प्रहार किए थे। डीआइजी लक्ष्मी सिंह ने बताया कि मेडिकल रिपोर्ट में मां-बेटी के साथ दुष्कर्म की पुष्टि हुई है।

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अस्पताल में मां-बेटी के दर्द से अफसर अनजान

सामूहिक दुष्कर्म पीडि़ता से महिला अस्पताल में अभद्रता की गई। राष्ट्रीय महिला आयोग ने समन भी किया है, लेकिन अभी तक महिला अस्पताल प्रशासन अनजान बना हुआ है। न ही अभी तक यह जानने की कोशिश की गई है कि मेडिकल करने वाली चिकित्सकों ने पीडि़ताओं के साथ क्यों अभद्र व्यवहार किया? महिला अस्पताल में अपमानित किए जाने की घटना राष्ट्रीय स्तर पर छाई हुई है। जिला अस्पताल की मुखिया पूरे मामले से ही अनजान बनी हुई हैं। महिला अस्पताल की सीएमएस डा. बीना रानी ने कहा पीडि़ताओं से अभद्र व्यवहार का मामला उनके संज्ञान नहीं है। राष्ट्रीय महिला आयोग की कार्रवाई से भी वह अंजान थीं। उन्होंने कहा कि मामले को पता करते हैं, तब ही कार्रवाई होगी। मेडिकल करने वाली डॉक्टर को भी फोन किया और मैसेज किया गया, लेकिन उनका कोई जवाब नहीं मिला। सीएमओ डा दीपक ओहरी ने बताया कि पूरे मामले की जांच कर कार्रवाई की जा रही है।

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खौफ में दुष्कर्म पीडि़ता का परिवार, घर में कैद

बुलंदशहर में मां-बेटी के साथ हुई घटना से उनका परिवार भयभीत है। उन्हें अपनी जान का खतरा सता रहा है। परिजन घरों में कैद हो गए हैं। सूचना पर मंगलवार को डीएम पुष्पा ङ्क्षसह पीडि़त परिवार को ढांढ़स बंधाने पहुंची। गांव में एक बार फिर दोषियों को फांसी देने की मांग उठी। जिले की बहू और बेटी के साथ हुई घटना के बाद से ही लोगों में गुस्सा है। मंगलवार को सूचना आई कि पीडि़त परिवार को धमकियां दी जा रही हैं। इसकी खबर लगते ही डीएम समेत पूरा अमला गांव दौड़ पड़ा। हालांकि, छानबीन में पता चला कि धमकी किसी ने नहीं दी बल्कि परिवार बेहद डरा हुआ है। महिलाएं घर से बाहर जाने से कतरा रही हैं। उन्हें डर है, आरोपी निशाना न बना दें। गांव पहुंची डीएम ने पाया कि परिवार की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं है। उन्होंने पीडि़त परिवार के पिता को वृद्धावस्था पेंशन देने, लोहिया आवास देने, की स्वीकृति दी।

रईस को निर्दोष बता घेरी कोतवाली देहात

नेशनल हाइवे-91 पर मां-बेटी के साथ सामूहिक दुष्कर्म मामले में गांव सुतारी निवासी आरोपी रईस पुत्र सोहराब के परिजनों व ग्रामीणों ने मंगलवार देर शाम देहात कोतवाली का घेराव किया। ग्रामीणों ने आरोप लगाया है कि रईस को हाइवे प्रकरण में पुलिस द्वारा फंसाया जा रहा है। करीब 200 ग्रामीण रईस की रिहाई की मांग करते हुए कोतवाली देहात में ही धरने पर बैठ गए हैं। उनका कहना है कि जब तक रईस को रिहा नहीं किया जाएगा, वह धरने पर ही बैठे रहेंगे। बाद में पुलिस ने उन्हें वहां से हटाया।

आरोपियों ने रोते हुए काटी जेल में पहली रात

मां-बेटी के साथ सामूहिक दुष्कर्म के आरोपियों ने पहली रात जेल में रो कर गुजरी। जेल कर्मचारियों के दबाव बनाने के आरोपी रईस ने काशीफल से दो रोटियां खाईं। रईस की मां ने बताया कि उसका जेल में रो-रोकर बुरा हाल है। हाईवे पर बीती शुक्रवार रात मां-बेटी के साथ सामूहिक दुष्कर्म को अंजाम देने वाले तीन आरोपियों को पुलिस ने जेल भेज दिया था। मंगलवार को रईस की मां जमीला और उसका बड़ा भाई मोहम्मद अनीश जेल में मिलने गए। जमीला ने बताया कि उसने कोर्ट में बोलने का प्रयास किया, लेकिन पुलिस ने उसे नहीं बोलने दिया। मीडिया के सामने चुप रहने को कहा गया और तीन दिन के अंदर जेल से बाहर भेजने की बात की गई।

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