विशिष्ट बीटीसी प्रशिक्षितों पर बेरोजगारी की गाज
By Edited By: Updated: Sat, 11 Aug 2012 07:41 PM (IST)
निज प्रतिनिधि, एटा: विशिष्ट बीटीसी प्रशिक्षितों पर फिर बेरोजगारी की गाज गिरी है। वर्ष 2007-08 में सर्वोच्च न्यायालय के निर्देश पर बीटीसी प्रशिक्षण प्राप्त करने के बाद अब वे न शिक्षामित्र ही रहे हैं, न सहायक शिक्षक बन सके हैं। बढ़ती उम्र और उस पर बीटीसी प्रशिक्षण पाने के बाद भी शिक्षक बनने से वंचित रहे विशिष्ट बीटीसी धारकों को अब भविष्य की चिंताए सताने लगी हैं।
दरअसल इन प्रशिक्षित बेरोजगारों द्वारा सहायक शिक्षक बनने के एवज में 7 जून वर्ष 2008 को सर्वोच्च न्यायालय में याचिका योजित की गई थी। राज्य और अन्य बनाम भूपेन्द्र नाथ त्रिपाठी द्वारा 29 अक्टूबर 2010 को सुप्रीम कोर्ट ने आदेश जारी किया। जिसमें राज्य सरकार को स्पष्ट निर्देशित किया गया था, वह वर्ष 2007 का 1 जुलाई 2011 से 31 दिसम्बर 2011 तक विशिष्ट बीटीसी प्रशिक्षण पा सके अभ्यर्थियों को अविलम्ब नियुक्ति दी जाए। उन पर टैट जैसी कोई बाध्यता न लागू हो। इसके बाद भी राज्य सरकार ने टैट की बाध्यता अनिवार्य करके विशिष्ट बीटीसी धारकों की चिंता बढ़ा दी है। शनिवार को उन्होंने छह सूत्रीय मांगों को लेकर पूर्व एमएलसी स्नातक हरनाथ सिंह यादव को मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन प्रेषित किया, मांग की गई कि सभी प्रशिक्षितों की उम्र 43 वर्ष से अधिक हो चुकी है। यदि उनके स्नातक में 40 प्रतिशत से कम अंक हैं और शिक्षामित्रों की संख्या 70 फीसदी है, ऐसे में उन्हें बिना टैट के ही नियुक्ति प्रदान की जाए। ज्ञापन सौंपने वालों में राजेश कुमार गुप्ता, योगेश कुमार, रामप्रकाश, विनेश कुमार, हरेन्द्र कुमार चौहान, सुरेश चन्द्र, अनिल कुमार सोनी, राजेश यादव, विजेन्द्र प्रताप सिंह, मोहरपाल, राजीव कुमार शर्मा आदि अनेक प्रशिक्षित उपस्थित थे। गंजडुंडवारा: गांधी पार्क में टैट बेरोजगार संघ की बैठक की गई। जिसमें संजय बोस ने आड़े आ रही अनेक तकनीकी बाधाओं को नियुक्ति प्रक्रिया से बाहर किए जाने की मांग की। मांग करने वालों में मो. सलीम, मनोज, मोहित गुप्ता, गौरव गुप्ता, मो. कमर, मनोज सिंह, नीरज दुबे, मो. काशिफ, मो. आइश, अजहर, राकेश तिवारी, जमाल अख्तर, जावेद, अनूप चौहान आदि उपस्थित थे।
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