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कैदी नंबर 9342 व 9343 से फिर हुए डा. नूपुर-राजेश

जागरण संवाददाता, गाजियाबाद : सीबीआइ कोर्ट द्वारा बेटी की हत्या मामले में उम्रकैद की सजा सुनाए जाने क

By JagranEdited By: Updated: Fri, 13 Oct 2017 03:00 AM (IST)
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कैदी नंबर 9342 व 9343 से फिर हुए डा. नूपुर-राजेश

जागरण संवाददाता, गाजियाबाद : सीबीआइ कोर्ट द्वारा बेटी की हत्या मामले में उम्रकैद की सजा सुनाए जाने के बाद डा. नूपुर तलवार व डा. राजेश तलवार में नया नाम व पता मिला था। उस समय राजेश का नया नाम कैदी नंबर 9342 नया पता डासना जेल बैरक नंबर एक और नूपुर का नया नाम कैदी नंबर 9343 नया पता डासना जेल महिला बैरक नंबर 14 हो गया था। बृहस्पतिवार को हाई कोर्ट से बरी होने के बाद दोनों का नाम बदलकर वापस डा. राजेश व डा. नूपुर हो गया। तलवार दंपती को जेल में जाने के बाद उन्हें विभिन्न काम दिए गए थे। डा. नूपुर तलवार महिला बंदियों व उनके बच्चों को पढ़ाती थीं और शनिवार को महिला बंदियों के दांतों का चेकअप करती थीं। डा. राजेश तलवार जेल में दंत चिकित्सक का क्लीनिक चलाते थे। इस काम के दोनों को 40-40 रुपये के हिसाब से प्रतिदिन का वेतन मिलता था। इसके साथ ही दोनों 12 महीने 30 दिन जेल में काम करते थे। इसके साथ ही जेल में आयोजित होने वाले विभिन्न कार्यक्रमों में दोनों जोर-शोर से हिस्सा लेते थे और उन्हें संपन्न कराते थे।

जेल में एक सप्ताह पहले मन गई दीवाली

जेल में राजेश व नूपुर के व्यवहार से बंदी खासा प्रभावित थे। दोनों के सेवा भाव के चलते बंदी भी चाहते थे कि वह लंबे समय तक जेल में न रहें। बृहस्पतिवार को कोर्ट के फैसले को लेकर जेल में सन्नाटा छाया रहा और बंदी टीवी से टकटकी लगाकर फैसले का इंतजार करते रहे। फैसला आते ही जेल में बंदियों के चेहरे पर खुशी ला दी और बंदी एक दूसरे को बधाई देकर तलवार दंपती को भी बधाई देने लगे। जेल में चर्चा थी कि एक सप्ताह पहले दिवाली मन गई।

राजेश को हो गई थी अस्थमा की परेशानी

जेल प्रशासन ने बताया कि जेल में आने से पहले ही डा. राजेश तलवार को अस्थमा की परेशानी हो गई थी। पिछले कुछ दिनों से उन्हें परेशानी ज्यादा बढ़ गई थी। इसके चलते उनकी बैरक बदलकर उन्हें जेल अस्पताल में जगह दी गई थी। वह अस्पताल में रहकर ही क्लीनिक पर बैठते थे।

सप्ताह में एक बार होती थी पति-पत्नी की मुलाकात

जेल मैन्युअल के मुताबिक जेल में बंद पति-पत्नी सप्ताह में एक बार शनिवार को आपस में मिल सकते हैं। तलवार दंपती की मुलाकात भी सप्ताह में एक बार शनिवार के दिन होती थी। जेल प्रशासन द्वारा दोनों को एक से डेढ़ घंटे के लिए जेल में बने पार्क में लाया जाता था और दोनों यहां आपस में बातचीत करते थे। पिछले शनिवार को दोनों ने एक दूसरे से लंबी बातचीत की थी।

तिनका-तिनका डासना में लिखी कविताएं

डा. नूपुर तलवार ने जेल में रहकर कविताएं भी लिखीं। सामाजिक कार्यकर्ता वर्तिका नंदा द्वारा डासना जेल पर लिखी गई किताब Þतिनका तिनका डासना' में भी नूपुर की कविताएं प्रकाशित हुई हैं। इसके अलावा भी नूपुर ने जेल में रहकर काफी कुछ लिखा है।

टाइम लाइन

12.00 बजे : डासना जेल के बाहर लगना शुरू हुआ मीडिया का जमावड़ा

2.40 बजे : फैसला आने से पहले डा. नूपुर बैरक में बैठी हुई गुरुवाणी पढ़ रही थीं और डा. राजेश मरीज को देखकर वापस बैरक में आए थे।

2.45 बजे : डा. नूपुर तलवार गुरुवाणी पढ़ती रहीं और डा. राजेश हनुमान चालीसा लेकर पीपल के पेड़ के नीचे हनुमान जी की तस्वीर के समक्ष बैठ गए

3.56 बजे : टीवी चैनलों पर फैसला आया और दोनों ने टकटकी लगाए हुए फैसला देखा। इसके बाद दोनों की आंखे भर आई।

4.03 बजे : जेल प्रशासन के अधिकारियों ने जाकर डा. नूपुर व डा. राजेश को फैसले के बारे में बताया

5.00 बजे : जेल के बाहर लगा रहा मीडिया का जमावड़ा

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