बहुरंगी हुई गांधी की टोपी
By Edited By: Updated: Mon, 03 Feb 2014 08:26 PM (IST)
गोरखपुर :
दिल्ली में 'मैं हूं आम आदमी' की टोपी हिट क्या हुई इसके दिन लौटने लगे हैं। अब तो आम आदमी पार्टी (आप) की टोपी की तरह हर राजनैतिक दल के कार्यकर्ताओं को अपने सर पर एक अदद टोपी की दरकार है। भाजपा कार्यकर्ता 'पीएम फार मोदी' की टोपी पर मुरीद हैं। मुलायम सिंह के निर्देश पर सपा कार्यकर्ताओं के सर पर लाल रंग की टोपी पहले से ही सजी थी, इन दिनों इसकी माग और बढ़ गई है। काग्रेसी गांधी टोपी के साथ कांग्रेस के झंडे वाली रंग की टोपी पर अपना प्यार उड़ेल रहे हैं। बसपा के लोग भी नीले रंग की टोपी लगाने लगे। इसमें हिंदी में लिखा है-बहुजन समाज पार्टी। हरे रंग की टोपी वर्षो से भारतीय किसान यूनियन की पहचान है। 'मैं हूं अनजान आदमी' की टोपी देखकर चौंकिए मत। नया ट्रेंड है अभी और भी कई टोपियां आ सकती हैं। लोकप्रियता के साथ विवाद में भी आई टोपी वजह चाहे जो हो टोपी सुर्खियों में है। सुर्खियां और विवाद एक दूसरे के पूरक हैं। सो जिसकी टोपी (आप) सर्वाधिक हिट है, उसका विवाद में आना तय था। सो वह विवाद मे आ ही गई। अभी पिछले दिनों कुछ मुस्लिम धर्मगुरुओं ने आप की टोपी पर बने उसके चुनाव चिन्ह झाड़ू को गैर इस्लामिक मानते हुए इसे सर पर लगाने के खिलाफ फतवा जारी किया। इसी समुदाय के एक धर्मगुरु ने इस फतवे के औचित्य पर ही सवाल उठा दिया।
बाजार की बल्ले-बल्ले इन विवादों से परे टोपी की लोकप्रियता से बाजार की बल्ले-बल्ले है। दिल्ली का सदर बाजार इनकी बिक्री का हब है। जितनी बड़ी पार्टी जैसा कार्यक्रम, उतनी मांग। वहां एक हजार की टोपी करीब 7500 रुपये की पड़ती है। जरूरत और कार्यक्रम के मुताबिक टोपियां और प्रचार सामग्री संबंधित पार्टी के मुख्यालय से मिलता है। बाकी स्थानीय जरूरत यहां के शाहमारुफ और पांडेयहाता के कुछ दुकानदार पूरी करते हैं। अगर टोपी पर किसी स्थानीय नेता को भी चस्पा होना है तो उसके लिए स्थानीय दुकानदार को अलग से आर्डर देना होता है। यहां पर टोपी के दाम अमूमन 12000 रुपये हजार पड़ते हैं। किसी पार्टी की रैली के दिनों में इनकी मांग बढ़ जा रही है। बाजार के जानकारों के मुताबिक जैसे-जैसे चुनाव आएगा इनकी मांग और बढ़ेगी। कुछ दलों और लोगों की और रंगीन टोपियां भी बाजार में आ सकती हैं। कभी लोगों के सर का ताज और कांग्रेसी होने की पहचान मानी जाने वाली टोपी इतनी रंगीन और हिट होगी शायद गांधीजी ने भी नहीं सोचा होगा।
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