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पूर्वोत्तर रेलवे में विद्युतीकरण को लगे पंख

जागरण संवाददाता, गोरखपुर : पूर्वोत्तर रेलवे में बाराबंकी से छपरा तक लगभग 425 किमी रेल खंड का दोहरीकर

By Edited By: Updated: Sat, 07 Feb 2015 11:57 PM (IST)
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जागरण संवाददाता, गोरखपुर : पूर्वोत्तर रेलवे में बाराबंकी से छपरा तक लगभग 425 किमी रेल खंड का दोहरीकरण (पैच डबलिंग) पूरा होने के बाद अब विद्युतीकरण को पंख लग गए हैं। रेलवे स्टेशन पर तो लगभग सभी खंभे गड़ चुके हैं। अब तार बिछने लगे हैं। कार्य ने तेजी पकड़ ली है। यही स्थिति रही तो मार्च तक विद्युतीकरण पूरा हो जाएगा। जून 2015 से पूर्वोत्तर रेलवे की पटरियों पर भी इलेक्ट्रिक ट्रेनें दौड़ने लगेंगी।

वर्ष 2012 तक लगभग 600 करोड़ में पूरा होने वाली यह परियोजना के लिए रेलवे को करीब 800 करोड़ रुपये खर्च करने पड़ रहे हैं। फिलहाल, सेंट्रल आर्गनाइजेशन फार रेलवे इलेक्ट्रिफिकेशन ने टाटा प्रोजेक्ट को विद्युतीकरण का कार्य सौंपा है। गोंडा- बस्ती से गोरखपुर होते हुए भटनी तक कार्य तेज गति से चल रहा है। सात ट्रैक्शन विद्युत सब स्टेशन का निर्माण भी लगभग पूरा हो चुका है। गोरखपुर स्टेशन यार्ड में ब्लाक नहीं मिलने से मुश्किलें आ रही थीं लेकिन यहां भी रेल विद्युत यान से खंभों पर तार बिछने लगे हैं।

वर्ष 2008 में तत्कालीन रेलमंत्री लालू प्रसाद यादव ने विद्युतीकरण की घोषणा की तो लोगों में खुशी की लहर दौड़ गई। पर, यहां भी इंतजार ही करना पड़ा। कार्य की शुरुआत तो ठीक रही, लेकिन आगे हांफने लगी। लखनऊ मंडल में यह अहम परियोजना चलती रही। वाराणसी का कार्य ढीला पड़ गया। घटिया काम और धीमी प्रगति को देखते हुए सेंट्रल आर्गनाइजेशन फार रेलवे इलेक्ट्रिफिकेशन ने कार्य करने वाली कंपनी से अपने हाथ खींच लिए। जून 2012 तक इस खंड पर कार्य बंद रहा है।

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भटनी से छपरा व बाराबंकी

से गोंडा रूट पर विद्युत ट्रेन

पूर्वोत्तर रेलवे के वाराणसी मंडल स्थित भटनी से छपरा 115 किमी रूट पर विद्युतीकरण पिछले साल ही पूरा हो गया। फिलहाल, इस रूट पर माल ढोने वाली इलेक्ट्रिक ट्रेनें चल रही हैं। बाराबंकी से गोंडा रूट पर भी इलेक्ट्रिक मालगाड़ियों का संचलन शुरू हो चुका है। रेल प्रशासन का कहना है कि गोंडा से भटनी तक कार्य पूरा होने के बाद जून से लखनऊ से गोरखपुर होते हुए छपरा-बरौनी तक पैसेंजर इलेक्ट्रिक गाड़िया चलने लगेंगी।

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मिलेगी राहत,

- रेलवे के खर्चे में आएगी कमी।

- पर्यावरण में प्रदूषण नहीं फैलेगा।

- समय की बचत होगी, ट्रेनें बढ़ेंगी।

- स्टेशनों पर बिजली की व्यवस्था।

- तेल से संभावित दुर्घटनाएं खत्म।

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