सोने पर सुहागा है हल्दी की खेती
गोरखपुर : हल्दी की खेती। मतलब सोने पर सुहागा। छाये में भी पैदा होने की खूबी के नाते किसी भी बाग
By Edited By: Updated: Sat, 28 Mar 2015 01:23 AM (IST)
गोरखपुर :
हल्दी की खेती। मतलब सोने पर सुहागा। छाये में भी पैदा होने की खूबी के नाते किसी भी बाग में हल्दी की खेती कर दोहरा लाभ लेकर आप उक्त कहावत को सच साबित कर सकते हैं। खेती के दौरान फसल को मिलने वाली अतिरिक्त खाद, सिंचाई, निराई-गुड़ाई के नाते बाग के उत्पाद एवं उसकी गुणवत्ता में सुधार का लाभ बोनस जैसा है। बुआई का समय अप्रैल से जुलाई तक बुआई के लिए प्रति हेक्टे. 2500 किग्रा कंद की जरूरत है। कार्बनिक पदार्थो से भरपूर उचित जलनिकासी वाली बलुई दोमट मिट्टी उचित है। उपलब्ध हो तो प्रति हेक्टेयर 300 कुंतल की दर से कंपोस्ट खाद खेत की तैयारी के समय डालकर जुताई करें। अंतिम तैयारी के समय कृषि वैज्ञानिकों की संस्तुति के अनुसार नाइट्रोजन, फास्फोरस एवं पोटाश का प्रयोग करें। नाइट्रोजन की जिस मात्रा की संस्तुति की गई हो उसको तीन हिस्सा कर लें। पहला हिस्सा खेत की अंतिम तैयारी के समय बाकी 40-45 और 70 से 80 दिन बाद डालें। इसकी बुआई क्यारी और मेड़ दोनों पर संभव है। प्रजातियों का चयन कृषि जलवायु क्षेत्र के अनुसार करें। गर्मियों में जरूरत के अनुसार हफ्ते भर के अंतराल पर सिंचाई करते रहें।
खेत एवं बीज का उचित चयन विशेषज्ञों की संस्तुति के अनुसार खाद, सिंचाई का प्रबंधन और फसल संरक्षा के सामयिक उपायों के जरिए करीब 9 माह में फसल तैयार हो जाती है। खुदाई के बाद करीब 10 दिनों तक इसे छाया में सूखने दें। इस दौरान इसकी मिट्टी साफ कर दें। भंडारण के पूर्व इसकी गांठों को तब तक उबालें जब तक पानी में हल्दी जैसी महक न आने लगे। सूखने के बाद इसे बेचा जा सकता है। ------
उद्यान विभाग कराएगा 70 हेक्टेयर खेती जिला उद्यान अधीक्षक धीरेंद्र मिश्रा के अनुसार जिले में 70 हेक्टेयर रकबे में हल्दी की खेती का लक्ष्य है। चयनित किसानों को कृषि निवेश के रूप में 3 क्िवटल प्रति हेक्टेयर की दर से बीज मुहैया कराया जाएगा। पूर्वाचल में छिटपुट पैमाने पर हल्दी खेती की परंपरा है। किसान उन्नत विधि से खेती कर इसकी उपज और अपनी आय बढ़ा सकते हैं। ------ इंसर्ट सेहत एवं सौंदर्य बढ़ाने के साथ ही शुभ भी सोने के रंगत वाली हल्दी सेहत और सौंदर्य बढ़ाने में भी उपयोगी है। इसमे किटाणुनाशक, दर्द एवं सूजन कम करने जैसे औषधीय गुण हैं। इस रूप में प्राचीन काल से घर-घर में हल्दी का प्रयोग होता है। सौंदर्य बढ़ाने के गुण के नाते सौंदर्य बढ़ाने वाले कई प्रसाधनों में हल्दी का प्रयोग होता है। शायद ही कोई ऐसा मसाला हो जिसका इतना प्रयोग होता हो। हर भोजन खाने से लेकर अचार तक में रंग और स्वाद के लिए अनिवार्य रूप से इसका प्रयोग होता है। भारतीय परंपरा में शुभ होने के नाते जीवन से लेकर मौत तक में हल्दी का प्रयोग होता है। हर घर की रोजमर्रा की जरूरत के नाते बाजार कोई समस्या नहीं है। यही वजह है कि हल्दी को मसालों की मल्लिका भी कहा जाता है।
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