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एसबीआइ में 24.80 लाख का फर्जीवाड़ा

जागरण संवाददाता, गोरखपुर : कारपोरेशन बैंक की शाखा में 28.60 लाख के फर्जीवाड़ा का मामला अभी शांत भी

By Edited By: Updated: Sun, 10 May 2015 01:58 AM (IST)
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जागरण संवाददाता, गोरखपुर : कारपोरेशन बैंक की शाखा में 28.60 लाख के फर्जीवाड़ा का मामला अभी शांत भी नहीं हुआ था कि भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआइ) की प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय शाखा स्थित मदन मोहन मालवीय प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (एमएमएमटीयू) के खाते में 24.80 लाख का फर्जीवाड़ा सामने आया है। विश्वविद्यालय को इश्यू जिन चेक नंबरों से यह धन निकाला गया है, वे सभी चेक नंबर विश्वविद्यालय के पास मौजूद हैं। इसकी सूचना पुलिस को दे दी गई है और बैंक ने अपने स्तर से भी जांच शुरू कर दी। इन घटनाओं को लेकर बैंक अधिकारियों के होश उड़ गए हैं।

गत 28 अप्रैल को एमएमएमटीयू ने किसी को चेक काटा था। वह व्यक्ति जब बैंक शाखा में उसे भुनाने गया तो बैंक मैनेजर के होश उड़ गए। उस नंबर के चेक का भुगतान हो चुका था। बैंक मैनेजर ने इसकी सूचना विश्वविद्यालय को दी और रजिस्ट्रार के पास स्वयं चेक लेकर गए। इसके बाद छानबीन में पता चला कि कुल 11 चेकों के माध्यम से 24 लाख 80 हजार 100 रुपये का भुगतान हो चुका है। दो चेक और लगे थे जिन्हें समय रहते बैंक ने पकड़ लिया और उस पर रोक लगा दी। जिन चेक नंबरों से भुगतान हुआ था, वे सभी चेक नंबर विश्वविद्यालय की चेक बुक में सादे पड़े हैं। इतना ही नहीं एक सिरीज के जिस संख्या तक चेक विश्वविद्यालय द्वारा काटे जा चुके थे, जालसाजों ने उसके आगे की संख्या का चेक बैंकों में लगाया था। गोरखपुर व आसपास के बैंकों में किसी चेक का भुगतान नहीं कराया गया बल्कि राजस्थान, गुजरात, मध्यप्रदेश, बिहार के भभुआ व उत्तर प्रदेश के झांसी से चेकों का भुगतान कराया गया है। विश्वविद्यालय ने रजिस्टर्ड डाक से इसकी सूचना एसएसपी को भेजी है।

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लेखा विभाग भी संदेह के दायरे में

विश्वविद्यालय द्वारा उपयोग में लाए गए चेकों की संख्या के आगे के नंबर का चेक जालसाजों द्वारा लगाना विश्वविद्यालय के लेखा विभाग को संदेह के दायरे में लाता है। सवाल उठता है कि जालसाजों को यह कैसे पता चला कि विश्वविद्यालय इस सिरीज के इस क्रमांक संख्या तक चेक काट चुका है? इतना तय है कि जालसाजों का कोई सूत्र लेखा विभाग में मौजूद है।

पहले भी हुआ है ऐसा फर्जीवाड़ा

भारतीय स्टेट बैंक की रेलवे कालोनी शाखा में इसी तरह का फर्जीवाड़ा 14 सितंबर 2012 को सामने आया था। कुल 23 करोड़ का फर्जी भुगतान होने से बचा था। इसमें भी वही चेक लगाए गए थे जो चेक नंबर रेलवे के पास सादा पड़े थे। लेखा विभाग की सक्रियता के चलते मामला भुगतान से पूर्व ही पकड़ लिया गया और खाते पर रोक लगा दी गई। सीबीआइ की जांच में आरोपी पकड़े गए जो आज भी जेल में हैं। जांच अभी चल रही है।

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उपभोक्ता का पैसा वापस करेंगे

भारतीय स्टेट बैंक के डीजीएम वीएन प्रसाद ने कहा कि यह जांच का विषय है लेकिन यह तो तय है कि किसी जालसाज ने बैंक को धोखा दिया। बैंक की जिम्मेदारी बनती है कि वह अपने उपभोक्ता को संतुष्ट करे। इसलिए उपभोक्ता का पूरा पैसा वापस किया जाएगा। जहां से भी भुगतान हुआ है उन सभी शाखाओं को मेल किया गया है। यह पैसा कलेक्टिव बैंक से लिया जाएगा।

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हम तो हतप्रभ रह गए

एमएमएमटीयू के रजिस्ट्रार केपी सिंह ने कहा कि हम तो यह देखकर हतप्रभ रह गए कि जो चेक हमारे पास चेकबुक में पड़े हैं, आखिर उन्हीं चेक नंबरों पर भुगतान कैसे हो गया। ये चेक कहां से आए, इसके पीछे कौन है, यह तो जांच के बाद सामने आएगा। यह सवाल मेरे दिमाग में भी है कि जालसाजों को कैसे पता चला कि हम किन नंबरों तक चेक का उपयोग कर सके हैं। लेखा विभाग में जो भी दोषी पाया जाएगा, उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।

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