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राहत की सांस सिर्फ पांच मिनट

गोरखपुर : पूर्वोत्तर रेलवे रूट पर ट्रेनों का दबाव बढ़ने के साथ ही आम जनता की मुश्किलें भी बढ़ती जा र

By Edited By: Updated: Fri, 05 Aug 2016 01:18 AM (IST)
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गोरखपुर : पूर्वोत्तर रेलवे रूट पर ट्रेनों का दबाव बढ़ने के साथ ही आम जनता की मुश्किलें भी बढ़ती जा रही हैं। कौवाबाग स्पेशल रेलवे क्रासिंग से होकर आने जाने वालों की परेशानी तो और बढ़ गई है। अब तो लगभग हर पांच मिनट पर ढाला बंद हो जा रहा है। चाहें आप जब ढाला पर पहुंचे, वह बंद ही मिलता है। दिन में 3 से शाम 7 बजे तक की स्थिति तो और खराब रहती है। इस दौरान लगातार बैरियर गिरा ही रहता है। कहीं कोई पुरसाहाल नहीं है।

कौवाबाग क्रासिंग से उत्तर दिशा में रेलवे की प्रमुख डेयरी, मेडिकल और बिछिया कालोनी हैं। रेलवे अस्पताल, निर्माण संगठन विभाग और रेलवे सुरक्षा बल का प्रशिक्षण संस्थान भी उत्तर की तरफ ही हैं। ऐसे में सैकड़ों रेलकर्मी क्रासिंग से होकर ही दफ्तर और घर पहुंचते हैं। इसके अलावा सिविल कालोनियों में रहने वाले हजारों लोग इसी रास्ते से कार्यालय, विद्यालय और बाजार आते-जाते हैं। लेकिन, उनकी राह में क्रासिंग रोड़ा बना हुआ है। समय से चलकर भी लोग क्रासिंग पर लेट हो जाते हैं। हर वक्त दोनों तरफ जाम की स्थिति बनी रहती है। चिलचिलाती धूप में तो बच्चे, महिला और बुजुर्गो की परेशानी और बढ़ जाती है। हर पल दुर्घटना की संभावना बनी रहती है। एक दिन पहले ही क्रासिंग पार करने के चक्कर में एक टाटा मैजिक ने दक्षिणी बैरियर को तोड़ दिया। इसके चलते तीन घंटा तक आवागमन प्रभावित रहा।

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महज आठ घंटा में 50

बार गिरता है बैरियर

ट्रेनों की बढ़ती संख्या और रेलवे स्टेशन यार्ड में रेकों की शंटिंग ने क्रासिंग का दबाव और बढ़ा दिया है। आलम यह है कि क्रासिंग का बैरियर महज आठ घंटा में ही औसत लगभग 50 बार गिरता और उठता है। बुधवार को ही सुबह 8 से 3 बजे तक 35 बार बैरियर गिरा था। 4 बजे तक यह संख्या 40 तक पहुंच गई। अक्सर, यह संख्या 50 तक पहुंच जाती है। पूर्वी वाशिंग पिट के चलते दबाव और बढ़ गया है। शंटिंग के दौरान इंजन और रेक, क्रासिंग पर ही प्वाइंट बदलते हैं। जिसके चलते आधा-आधा घंटा तक ढाला बंद रह जाता है। विभागीय जानकारों का कहना है कि वाशिंग पिट का और विस्तार हो रहा है। ऐसे में क्रासिंग पर इंजन और रेकों के शंटिंग का और दबाव बढ़ेगा। यही स्थिति रही तो आने वाले दिनों में हर एक से दो मिनट पर बैरियर गिरेगा और उठेगा। ---

फाइलों से बाहर नहीं निकल

पा रहा प्रस्तावित 'अंडर पास'

आम जनता और रेल कर्मचारियों की परेशानियों को देखते हुए पूर्वोत्तर रेलवे प्रशासन ने क्रासिंग के पश्चिम तरफ 'अंडर पास' बनाने का निर्णय लिया है। 11 करोड़ की लागत से बनने वाले अंडर पास के प्रस्ताव पर रेलवे बोर्ड की हरी झंडी भी मिल गई है। लेकिन, संबंधित विभाग और अधिकारियों की उदासीनता के चलते प्रस्तावित अंडर पास फाइलों से बाहर नहीं निकल पा रहा। प्रशासनिक दबाव के बाद भी आज तक निर्माण के टेंडर नहीं हो सका है। जबकि, लोग अंडर पास की आस में क्रासिंग पार कर रहे हैं। अंडर पास बनते ही क्रासिंग का सारा दबाव अपने आप समाप्त हो जाएगा।

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