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रेलवे के अभियान को कुतर रहे चूहे

गोरखपुर : घर में घमासान मचाने वाले चूहों की धमाचौकड़ी अब ट्रेनों में भी बढ़ गई है। यात्रा के दौरान भ

By Edited By: Published: Fri, 03 Feb 2017 01:15 AM (IST)Updated: Fri, 03 Feb 2017 01:15 AM (IST)
रेलवे के अभियान को कुतर रहे चूहे

गोरखपुर : घर में घमासान मचाने वाले चूहों की धमाचौकड़ी अब ट्रेनों में भी बढ़ गई है। यात्रा के दौरान भी वे लोगों का पीछा नहीं छोड़ रहे। बैग और जूतों को तो नुकसान पहुंचाते ही हैं, चैन से सोने भी नहीं देते। रेलवे के सुहाना सफर के सारे दावे हवा-हवाई साबित हो रहे हैं।

25 जनवरी को 12554 वैशाली एक्सप्रेस के एसी थर्ड बी वन कोच के बर्थ नंबर 57 पर यात्रा कर रहे कमलेश जब गोरखपुर उतरे को उनके होश उड़ गए। उनका कीमती बैग चूहों ने कुतर दिया था। झल्लाए कमलेश रेलवे को कोसते हुए घर चले गए। यह समस्या सिर्फ एक यात्री की नहीं है, सैकड़ों यात्री रोजाना इन चूहों के शिकार बन रहे हैं। वैशाली हो या बिहार संपर्क क्रांति अथवा सप्तक्रांति सुपरफास्ट एक्सप्रेस, बिहार से चलने वाली लंबी दूरी की प्रमुख गाड़ियों में चूहों का भरमार है। आरक्षित बोगियों में वह घमासान मचाते हैं। बैग और जूतों को ही नुकसान नहीं पहुंचाते, कुछ खाने को नहीं मिलता है तो हाथ-पैर पर ही दांत गड़ा देते हैं। उनकी उछलकूद से नींद भी नहीं आती। बर्थ के नीचे उनकी गंदगी पसरी रहती है। महिलाएं व बच्चे तो डरे और सहमे रहते हैं।

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चूहा और काकरोच के

लिए चलता है अभियान

ऐसा नहीं है कि बोगियों में चूहा और काकरोचों की धमाचौकड़ी से रेलवे प्रशासन अंजान है। उनपर अंकुश लगाने के लिए बकायदा अभियान चलाया जाता है। पेस्ट कंट्रोल के तहत वाशिंग पिट में कोच की सफाई के दौरान हर 15 दिन पर दवा आदि का छिड़काव होता है। चूहों से मुक्ति पाने के लिए सभी आरक्षित बोगियों में रोडेंट कंट्रोल अभियान चलता है। इसके तहत एक प्रकार की चूहेदानी रखी जाती है। अभियान के लिए प्रत्येक वर्ष लाखों रुपये खर्च किए जाते हैं।

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पूर्वोत्तर रेलवे की गाड़ियों में रोडेंट और पेस्ट कंट्रोल की समुचित व्यवस्था की गई है। समुचित निगरानी भी की जाती है। वैशाली एक्सप्रेस पूर्व मध्य रेलवे की ट्रेन है। पूर्व मध्य रेलवे से संपर्क कर समस्याओं से अवगत कराया जाएगा। समाधान जल्द कराया जाएगा। यात्री सुविधाएं रेलवे की प्राथमिकताओं में प्रमुख हैं।

- संजय यादव, मुख्य जनसंपर्क अधिकारी


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