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गोरखपुर मेडिकल कालेज में आॅक्सीजन सप्लाई ठप होने से 48 बच्चों की मौत

लगातार हो रही मौतों से वार्डों में कोहराम मचा हुआ है, चारों तरफ चीख पुकार व अफरातफरी का माहौल है।

By amal chowdhuryEdited By: Updated: Sat, 12 Aug 2017 03:12 PM (IST)
गोरखपुर मेडिकल कालेज में आॅक्सीजन सप्लाई ठप होने से 48 बच्चों की मौत
गोरखपुर (जेएनएन)। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के संसदीय क्षेत्र गोरखपुर के सबसे बड़े अस्पताल बाबा राघव दास मेडिकल कालेज में आक्सीजन की कमी से पिछले 48 घंटे में 48 लोगों की मौत हो गई। इनमें 30 मासूम बच्चे हैं जो बाल रोग विभाग के वार्ड में भर्ती थे। अन्य 18 मौतें मेडिसिन विभाग वार्ड में हुई हैं। घटना के बाद से अस्पताल में अफरातफरी का माहौल है और जिलाधिकारी वहां कैंप कर रहे हैं। घटना के बाद से पूरे जिले में आक्रोश है और लोगों ने मेडिकल कालेज के बाहर डेरा लगा रखा है।

उनका कहना है कि ठेकेदार को भुगतान न किए जाने से आक्सीजन की आपूर्ति नहीं की गई। आक्रोशित लोगों ने कई जगह जाम भी लगाया। दूसरी ओर अस्पताल और जिला प्रशासन ने आक्सीजन की कमी से इन्कार किया है। उनका दावा है कि सभी मौतें गंभीर रूप से पीडि़त मरीजों की हुई हैं। उधर लखनऊ में राज्य सरकार ने भी आक्सीजन की कमी से मौत होने को नकारते हुए ऐसी खबरों को भ्रामक बताया है। देर रात स्वास्थ्य महानिदेशक चिकित्सा शिक्षा केके गुप्ता अस्पताल पहुंचे। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 24 घंटे में घटना की पूरी रिपोर्ट तलब की है। शनिवार को कांग्रेस का जांच दल भी गोरखपुर पहुंच रहा है। 

#UPCM श्री #YogiAdityanath ने मौके की गहन जांच कर सख्त कार्रवाई सुनिश्चित करने के निर्देश दिए।

— CM Office, GoUP (@CMOfficeUP) August 12, 2017

तीमारदारों के अनुसार अस्पताल में गुरुवार रात से ही आक्सीजन की किल्लत हो गई थी जिससे मरीजों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा था। उन्होंने डाक्टरों से भी कहा लेकिन कोई इंतजाम नहीं किया गया। हड़कंप तब मचा जब शुक्रवार की सुबह आइसीयू से लाशें निकलने का सिलसिला शुरू हुआ। इसके साथ ही डाक्टरों के हाथ-पांव फूलने लगे।

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वे आक्सीजन की वैकल्पिक व्यवस्था के साथ ही मामले पर पर्दा डालने की कोशिशों में जुट गए। उनका कहना था कि आक्सीजन की कमी नहीं है लेकिन बच्चों को एंबुबैग से आक्सीजन दिया जाने लगा तो हकीकत खुद सबके सामने आ गई। शाम तक स्थिति नियंत्रित नहीं की जा सकी और मरने वालों का आंकड़ा बढ़ता गया। बाल रोग और मेडिसिन वार्ड के सामने दिन भर परिवारीजन की हृदयविदारक चीत्कारें सुनाई पड़ती रहीं।

लोग गोद में बच्चों का शव लेकर बाहर निकलते देखे गए। जिसने भी इस दृश्य को देखा उसका कलेजा दहल गया। यह खबर शहर में फैली तो लोग अस्पताल की ओर भागे जिससे स्थिति और बेकाबू होने लगी। इंसेफ्लाइटिस सहित दूसरे आइसीयू में लोग अपने परिवारीजन के शव पर रोते बिलखते देखे गए। सभी का यही आरोप था कि यदि अस्पताल प्रशासन के अधिकारी गंभीर रहे होते और समय से आक्सीजन की सप्लाई मिल गई होती तो शायद यह दिन नहीं देखना पड़ता। 

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तीमारदारों के अनुसार आक्सीजन ठप होने से कई मरीजों की मौतें थोड़े-थोड़े अंतराल पर हुईं लेकिन, इसकी जानकारी लोगों को काफी देर बाद हुई। सौ बेड के इंसेफ्लाइटिस वार्ड के बाहर अपने मरीजों के लिए परेशान परिवारीजन का कहना था कि उन्हें रात से वार्ड में जाने से अचानक रोक दिया गया है।

पांच सदस्यीय कमेटी  करेगी जांच : डीएम

गोरखपुर के जिलाधिकारी राजीव रौतेला ने बताया कि अपर आयुक्त प्रशासन के नेतृत्व में एडीएम सिटी, एडी हेल्थ, सीएमओ और सिटी मजिस्ट्रेट की पांच सदस्यीय समिति का गठन किया गया है। समिति के सदस्यों से लिक्विड आक्सीजन की कमी होने के कारणों और सिलेंडर आक्सीजन की उपलब्धता की जांच को कहा गया है। समिति से शनिवार दोपहर 12 बजे तक रिपोर्ट मांगी गई है। इसके बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी। यह सच है कि मेडिकल कालेज में लिक्विड आक्सीजन खत्म हो गया था लेकिन 175 सिलेंडर आक्सीजन की उपलब्धता थी। किसी की मौत आक्सीजन की कमी के कारण नहीं हुई है। कंपनी का 70 लाख रुपये बकाया था, आज 22 लाख रुपये उनके खाते में भेज दिया गया है। बाल रोग विभाग में रोजाना आठ-दस मौतें होती हैं। परसों तक लिक्विड आक्सीजन की आपूर्ति हो जाएगी। 

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दोषियों पर होगी कठोर कार्रवाई : टंडन

चिकित्सा शिक्षा मंत्री आशुतोष टंडन का कहना है कि गोरखपुर के जिला प्रशासन ने तो ऑक्सीजन की कमी से मौतें न होने की जानकारी दी है, लेकिन जांच रिपोर्ट में ऐसी कोई बात मिली तो दोषी व्यक्तियों पर कठोर कार्रवाई की जाएगी। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा 24 घंटे में रिपोर्ट तलब किए जाने के बाद पूरे मामले की मजिस्ट्रियल जांच के आदेश दिए गए हैं। टंडन ने चिकित्सा शिक्षा विभाग के अधिकारियों और गोरखपुर जिला प्रशासन के हवाले से बताया कि शुक्रवार को मेडिकल कॉलेज में सात की मौत हुई, जबकि 23 मौतें गुरुवार को हुई थीं। टंडन के मुताबिक इन 23 में भी 14 प्रीमेच्योर डिलीवरी के बच्चे थे। 

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