हरदोई में आधार कार्ड से मिल गया बिछड़ा परिवार
आधार पर मोबाइल नंबर नहीं लिखा था, जिससे घर वालों से बात नहीं हो सकी। द्रोण शुक्ला ने पोस्ट आफिस से निकले पते पर चिट्ठी भेजी।
By amal chowdhuryEdited By: Updated: Tue, 04 Jul 2017 09:45 AM (IST)
हरदोई (जेएनएन)। 'आधार' तो अब जिंदगी का आधार बन गया है और इसका कितना महत्व है यह लापता एक मूकबधिर बालक के परिवार तक पहुंच जाने से स्पष्ट हो रहा है। बेनीगंज क्षेत्र में चार माह पूर्व एक मूकबधिर बालक रोता हुआ मिला था। वह न परिवार के बारे में बता पा रहा था न अन्य कोई जानकारी।
एक परिवार ने सहारा दिया और जब अपने परिवार के साथ उसका भी आधार कार्ड बनवाने के लिए सेंटर पर ले गया। आंख और अंगुलियों का निशान लिया गया तो पता चला कि उसका पहले से ही आधार बना है और फिर उसके माता पिता को सूचना दी गई और बालक परिवार तक पहुंच गया।बेनीगंज कोतवाली क्षेत्र के महुआ कोला गांव के द्रोण शुक्ला को चार माह पूर्व एक मूकबधिर बालक मिला था। उसे कुत्तों ने दौड़ा कर काट लिया था और किसी तरह विद्यालय पहुंचा और रात में वहां रो रहा था। द्रोण शुक्ला उसे अपने घर ले आए।
आधार बनवाने पहुंचे तो मिली पूरी जानकारी: द्रोण शुक्ला चार माह से अधिक घर में रह रहे बच्चे का आधार कार्ड बनवाने बेनीगंज नगर के नेहा मंसूरी कम्प्यूटर सेंटर पर लेकर गए। संचालिका नेहा मंसूरी ने जैसे ही प्रक्रिया शुरू की तो पता चला कि इस बच्चे का आधार पहले ही बनवाया जा चुका है। पिन नंबर का कोड डालते ही बालक का नाम नितेश और उसका पता सामने आ गया।मोबाइल नंबर न होने से भेजना पड़ा पत्र: आधार पर मोबाइल नंबर नहीं लिखा था, जिससे घर वालों से बात नहीं हो सकी। द्रोण शुक्ला ने पोस्ट आफिस से निकले पते पर चिट्ठी भेजी।
यह भी पढ़ें: अच्छा काम करने पर मिला ज्यादा फंड, इसमें गलत क्या है: अपर्णा यादवशाहजहांपुर से हुआ था लापता: चिट्ठी मिलते ही सोमवार को नितेश के परिवार के लोग द्रोण शुक्ला के यहां पहुंच गए। गांव पहुंचे बिहार के जनपद पश्चिमी थाना भैरोगंज तोनुवा टोला निवासी झगरू यादव ने बताया कि वह शाहजहांपुर के ब्लाक बंडा में आलू खोदने का कार्य करने अपने साथियों के साथ आया था। यहीं से उसका पुत्र मूक बधिर नितेश यादव (15) गायब हो गया था।यह भी पढ़ें: अच्छी खबर: यूपी बोर्ड के टॉपर करें आवेदन, मिलेगी स्कॉलरशिप
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