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अगवानी में अफसर, घुट रहीं गंगा

By Edited By: Updated: Mon, 13 Jan 2014 10:10 AM (IST)

कानपुर, स्टाफ रिपोर्टर: मैं पतित पावनी गंगा हूं। श्रद्धालु मुझे मां कहते हैं, मेरी गोद में डुबकी लगाकर पुण्य कमाते हैं। पापों से मुक्ति और मोक्ष की कामना के साथ आने वाले श्रद्धालुओं को मैं कभी निराश नहीं करती, लेकिन मैं खुद निराश हूं, क्योंकि आज मेरे आगोश में करोड़ों लीटर सीवर और टेनरियों का पानी समा रहा है। घाट गंदे पड़े हैं, लेकिन न तो सरकार को इसकी चिंता है और न ही प्रशासन को। पूरा प्रशासनिक अमला मुख्यमंत्री की अगवानी में उनके रूट को सजा रहा, लेकिन मकर संक्रांति पर्व पर 14 जनवरी को यहां स्नान करने के लिए आने वालों की उसे चिंता नहीं है।

स्थान: आनंदेश्वर मंदिर घाट

इस घाट पर एक कुंतल से अधिक फूल बिखरे पड़े हैं।गायें लोट रही हैं तो कुत्ते भी पूरे दिन धमा चौकड़ी करते हैं। दोना, पत्तल भी सड़ रहा है। जिस शिव की जटा से मैं निकलीं उन्हीं का यहां भव्य मंदिर है। लेकिन जब सफाई की बाद आती है तो कोई कदम मेरे घाट की ओर नहीं बढ़ता।

स्थान: सरसैया घाट

यहां भी मैं दुर्दशा की शिकार हूं। घाट के किनारे भी प्लास्टिक की थैलियां बिखरी पड़ी हैं तो घास फूस भी यहां सड़ रही है। घाट पर पान-मसाला के पाउच भी बिखरे हैं तो पान और पान मसाला थूकने से भी लोग नहीं कतराते हैं। घाट को गंदा करने वालों से जुर्माना वसूले जाने की चेतावनी तो लिखी है, लेकिन किसी से वसूला नहीं जाता।

स्थान: गंगा बैराज

यहां भी मकर संक्रांति और अन्य पर्वो पर स्नान के लिए भक्तों की भीड़ जुटती है, लेकिन यह घाट भी गंदा पड़ा है। शिकारी मछलियों को मारने के बाद यहां घाट किनारे ही रखते हैं। इससे यहां हर दम बदबू रहती है। शराब और बीयर की बोतले भी यहां लोग फेंक देते हैं।

स्थान: सिद्धनाथ और मैस्कर घाट

इन घाटों पर भी गंदगी है। वैसे तो मैं घाट से दूर हो गई हूं, लेकिन इसी घाट से होकर लोग मेरे पास तक आते हैं इसलिए मैं चिंतित हूं, पर प्रशासन को यहां सफाई की चिंता नहीं है।

इंसेट)) इन नालों से गिरता सीवर

सरसैया घाट नाला, गोल्फ क्लब नाला, चिड़ियाघर नाला, ज्यौरा नाला, रानी घाट नाला, सीसामऊ, टेफ्को नाला, परमट नाला, जेल नाला, गुप्तार घाट नाला, भगवतदास घाट नाला, अवधपुरी नाला, टपका नाला, सिद्धनाथ घाट नाला, बुढि़या घाट नाला।

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