Move to Jagran APP

फेफड़ों की कम हुई क्षमता, लंग्स अटैक का खतरा

जागरण संवाददाता, कानपुर : महानगर में धूल, वाहनों व फैक्ट्रियों का धुआं फेफड़ों की क्षमता प्रभावित कर

By Edited By: Updated: Fri, 06 Jan 2017 01:54 AM (IST)
Hero Image

जागरण संवाददाता, कानपुर : महानगर में धूल, वाहनों व फैक्ट्रियों का धुआं फेफड़ों की क्षमता प्रभावित कर रहा है। बढ़ते प्रदूषण की वजह से पुराने अस्थमा रोगी, सीओपीडी एवं लंग्स फाइब्रोसिस के मरीजों को लंग्स अटैक का खतरा बढ़ गया है। इसलिए अगर घर से बाहर निकलें तो मास्क का जरूर इस्तेमाल करें, लेकिन घर आकर मास्क हटा दें।

जीएसवीएम मेडिकल कालेज के टीबी एवं चेस्ट विभाग के प्रोफेसर डॉ. सुधीर चौधरी का कहना है कि अधिक कोहरा प्रदूषण का मानक है। इसकी वजह से लोग गले व सांस की नली में समस्या लेकर आ रहे हैं। यह वायरल संक्रमण से खतरनाक हो रहा है। प्रदूषण की वजह से नियमित अस्थमा, सीओपीडी व लंग्स फाइब्रोसिस के केस बिगड़ रहे हैं। इससे लंग्स अटैक होता है। इससे श्वांस नली में सूजन से सांस लेने में दिक्कत, जकड़न, पीला बलगम एवं तेज बुखार होता है। एक बार अटैक से फेफड़े को पांच फीसद तक क्षति पहुंचती है। चार-पांच लंग्स अटैक से मौत भी संभव है।

आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।