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प्रदेश के खजाने में आइएसआइ ने भर दिए जाली नोट

- कहां गयी यूपी में उतरी करोड़ो की खेप - डीजीपी और डीएम की कमेटियों ने भी

By Edited By: Updated: Wed, 31 Jul 2013 12:00 AM (IST)
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लखनऊ (आनन्द राय)। बैंकों के एटीएम भी कई सालों से लगातार जाली नोट उगल रहे हैं और इन पर अंकुश नहीं लग पा रहा है। इस काले धंधे में तस्करों के साथ बैंक कर्मी भी मिले हैं। एटीएस अपर पुलिस महानिदेशक अरुण कुमार ने बताया किइस काले कारोबार को खत्म करने के लिए हमारी बड़ी कार्ययोजना है। यह यूपी पुलिस की सक्रियता और अभिसूचना संकलन का नतीजा है कि नेपाल में बैठकर करोड़ों रुपये जाली नोटों की सप्लाई करने वाला और पाकिस्तान से प्रशिक्षित इमरान तेली जैसा बड़ा सप्लायर पकड़ा गया है। हमारे रडार पर कई बड़े तस्कर हैं और जल्द ही नतीजे सामने आयेंगे।

दरअसल, भारतीय अर्थव्यवस्था में सेंध लगाने में जुटी पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आइएसआइ की पहुंच भारतीय खजाने तक हो गयी है। एसटीएफ और एटीएस ने करीब डेढ़ साल में 75 अभियुक्तों को पकड़कर 70 लाख से अधिक जाली नोट बरामद करने का दावा किया, लेकिन अकेले इमरान तेली ने ही दो वर्षो में 20 करोड़ जाली नोट यहां भेजे हैं। इमरान से पहले भी यूपी के ही माजिद मनिहार (नेपालगंज में मारा गया) और परवेज टांडा (नेपाल के बुटवल में मारा गया) जैसे कई नामचीन अपराधियों ने यहां करोड़ों जाली नोट खपाये हैं। सवाल लाजिमी है कि इनकी भेजी गयी खेप आखिर कहां गयी। जवाब बिल्कुल साफ है। तस्करों ने यहां बैंकों के एटीएम से लेकर बड़े-बड़े कारोबारियों तक यह नोट पहुंचा दिए हैं।

ऐसा भी नहीं कि बैंकों तक जाली नोट पहुंचने का मुद्दा कभी नहीं उठा। विधानसभा के पिछले बजट सत्र में भाजपा के श्यामदेव राय चौधरी और कांग्रेस के मुकेश श्रीवास्तव ने इस पर सवाल उठाया। संसदीय कार्यमंत्री आजम खान ने बताया कि बैंकों से जाली नोटों के 18 और एटीएम से भी जाली नोट मिलने के मामले सामने आये हैं। सरकार ने तब विधान सभा में घोषणा की कि राज्य स्तर पर डीजीपी और जिला स्तर पर डीएम की अध्यक्षता में कमेटी बनाकर जाली नोटों पर अंकुश की जिम्मेदारी सौंपी जायेगी। पर सच्चाई यही है कि अभी तक इन कमेटियों ने कोई भी करिश्मा नहीं दिखाया। एसबीआइ की शाखाओं में नोट शार्टिग मशीन व अल्ट्रा वाइलेट लैंप लगाये जाने के बावजूद उनके एटीएम से जाली नोट मिलने से भी कई सवाल खड़े हो रहे हैं।

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बैंककर्मियों से बेपरवाह है सरकार

जाली नोटों के धंधे में बैंक कर्मियों की भूमिका से सरकार बेपरवाह है। वर्ष 2009 में सिद्धार्थनगर जिले के डुमरियागंज कस्बे के एक बैंक से लाखों रुपये के जाली नोट मिले। इस मामले में कैशियर सुधाकर त्रिपाठी पकड़ा गया। उसने बैंक कर्मियों की भूमिका के बारे में कई अहम सुराग दिए, लेकिन जाली नोटों के तस्करों से बैंक कर्मियों की मिली भगत का राजफाश अब तक नहीं हो सका। बसपा सरकार के दौरान मौजूदा विधान सभा अध्यक्ष माता प्रसाद पाण्डेय ने जाली नोट का मुद्दा प्रमुखता से उठाया था।

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एटीएम ने उगले जाली नोट

- छह जुलाई 2013 को महराजगंज जिले के फरेंदा कस्बे से सिद्धार्थनगर के छितरापार निवासी मोहन को स्टेट बैंक के एटीएम से जाली नोट मिले। शाखा प्रबंधक ने उनकी शिकायत ही नहीं सुनी।

- 22 जून 2013 को चित्रकूट के लोहदा निवासी महेन्द्र मिश्रा को सिविल लाइंस स्थित एचडीएफसी बैंक के एटीएम से जाली नोट मिले। सुनवाई नहीं।

- दिसंबर 2012 में सीतापुर के स्टेट बैंक बिसवां में एटीएम से पैसा निकालने गये सिविल जज मनीष कुमार को जाली नोट मिले।

- 16 दिसंबर 2011 को गोरखपुर में धर्मशाला बाजार में एसबीआइ के एटीएम से एक उपभोक्ता को 500 रुपये जाली नोट मिले।

- अगस्त 2008 में अयोध्या में एक महिला पुलिसकर्मी ने एटीएम से जाली नोट मिलने पर मुकदमा दर्ज कराया।

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