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गंगा प्रदूषण : पर्यावरण मंत्रालय को नोटिस

लखनऊ। राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने वाराणसी में गंगा के प्रदूषण का स्वत: संज्ञान लिया है। वारा

By Edited By: Updated: Fri, 29 Nov 2013 02:31 AM (IST)

लखनऊ। राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने वाराणसी में गंगा के प्रदूषण का स्वत: संज्ञान लिया है। वाराणसी के दो दिनी दौरे पर आई मानवाधिकार आयोग की टीम ने जनहित से जुड़े सौ से अधिक मामलों को निपटाया।

आयोग ने पर्यावरण व वन मंत्रालय भारत सरकार तथा उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव को नोटिस जारी करते हुए इस संबंध में चार सप्ताह के अंदर रिपोर्ट देने को कहा है। रिपोर्ट में यह भी पूछा है कि गंगा की स्वच्छता तथा प्रदूषण से बचाने के लिए क्या कदम उठाए गए। राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष केजी बालाकृष्णन ने कहा कि गंगा में बढ़ता प्रदूषण चिंता का विषय है।

अध्यक्ष ने कहा दो दिन की सुनवाई में अनुसूचित जाति, जनजाति से जुड़े 123 मामलों की आयोग के पीठासीन सदस्य व जस्टिस डी. मुरुगेशन तथा एससी सिन्हा ने सुनवाई की। इसमें अधिकतर शिकायतें मुसहर समुदाय से जुड़ी रहीं। इस वर्ग की मुख्य शिकायतें बिजली, पानी, बीपीएल राशन कार्ड, इंदिरा आवास से जुड़ी रहीं। जिला प्रशासन को आवश्यक निर्देश दिए गए हैं। इंदिरा आवास योजना से संबंधित भी कई शिकायतें रहीं। अधिकारियों का कहना था कि योजना का लाभ बीपीएल कार्डधारकों को दिया जाता है। 2002 की निर्धारित बीपीएल सूची के तहत प्रत्येक ब्लाकवार कोटा निर्धारित है। कोटा में भी गड़बड़ी की शिकायत रहीं पर सामान्य तौर पर यह पाया गया कि नए सिरे से बीपीएल का सर्वे होना चाहिए व पर्याप्त कोटा भी। इस बाबत राज्य सरकार को निर्देशित किया गया है।

बंधुआ मजदूरों के मामले में सीधे तौर पर एससी/एसटी एक्ट के तहत मामले दर्ज करने हुए कार्रवाई व मदद दिलाने की बात कही गई। मनरेगा मजदूरों के जॉब के सवाल पर अध्यक्ष ने कहा जॉब कार्ड देना काफी नहीं, रोजगार के अवसर भी प्रदान करना महत्वपूर्ण है। ईट भट्ठे पर काम करने वाले मुसहर समुदाय को बारिश के समय काम न मिलने की शिकायतें मिलीं। प्रशासन को विशेष प्रोजेक्ट बनाकर जॉब उपलब्ध कराने के लिए निर्देशित किया गया।

कुपोषण के मामले में आई शिकायतों पर बच्चों को चिह्नित करने के साथ ही ग्राम्य स्तर की खामियों को दूर करने के लिए जिला प्रशासन को कहा गया है। आयोग के अध्यक्ष ने एक सवाल के जवाब में कहा कि उत्तर प्रदेश में एससी व एसटी वर्ग के उत्पीड़न समेत अन्य समस्या से जुड़े सात लाख प्रकरण में लगभग आधे मामले पुलिस व प्रशासन से जुड़े हैं हालांकि ब्यूरोक्रेट को इसके लिए दोषी न ठहराते हुए इतना जरूर कहा कि केस दर्ज न कराना भी अपराध है।

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नहीं होतीं 'कमेटियों' की बैठकें

आयोग के साथ आयोजित खुली बैठक में सामाजिक संस्थाओं ने नगर की स्थिति व व्यवस्था की एक-एक कर पोल खोली। एक एनजीओ का कहना था कि कुपोषण की पहचान आखिर कैसे की जाए। आंगनबाड़ी केंद्रों पर सही मापयंत्र तक नहीं है। महिलाओं, बच्चों तथा बंधुआ मजदूरों के लिए जिला प्रशासन के नेतृत्व में बनी कमेटियों की समय से बैठक तक नहीं होती। हरहुआ प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पर खुले में प्रसव कराया जाता है। एक व्यक्ति ने इसकी वीडियो रिकार्डिग तक दिखाई। आयोग के अध्यक्ष केजी बालाकृष्णन, अयोग के पीठासीन सदस्य जस्टिस डी मुरूगेसन व एससी सिन्हा ने मंडल वाराणसी के अधिकारियों के साथ कमिश्नरी सभागार में बैठक भी की।

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